स्कूलों में मुफ्त पाठ्यपुस्तकों के वितरण में लापरवाही! अब जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज…

रायपुर। लोक शिक्षण संचालनालय, छत्तीसगढ़ ने 21 जुलाई 2025 को समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि शैक्षणिक सत्र 2024–25 की कक्षा 4वीं, 5वीं, 7वीं, 8वीं, 9वीं एवं 10वीं की शेष बची पुस्तकें तत्काल छात्रों को वितरित की जाएं। इसके साथ ही यह भी अनिवार्य किया गया है कि वितरण नहीं हुई पुस्तकों की पूरी जानकारी एक विशेष फॉर्मेट में स्कूलवार व छात्रवार दर्ज कर एक्सेल शीट तैयार की जाए।
निर्देशों की अनदेखी पर संस्था प्रमुख होंगे जिम्मेदार : सख्त चेतावनी दी गई है कि यदि किसी भी विद्यालय द्वारा 10 दिनों के भीतर वितरण की स्थिति पोर्टल में अपडेट नहीं की जाती और ‘शेष’ पुस्तकें दर्शाई जाती हैं, तो संस्था प्रमुख को ही इसकी सीधी जिम्मेदारी मानी जाएगी। UDISE सीलयुक्त रिकॉर्ड बनाकर वितरण को समयसीमा में पूर्ण करना अनिवार्य किया गया है।
VC में मिला स्पष्ट निर्देश : आज की VC बैठक में सभी संकुल प्राचार्यों और शैक्षिक समन्वयकों को निर्देशित किया गया कि जिन छात्रों को स्कैनिंग के कारण पुस्तक नहीं मिल पाई है, उन्हें कल तक अनिवार्य रूप से वितरण किया जाए। साथ ही एक शिक्षक को यह कार्य सौंपा जाए कि वह रजिस्टर एवं एक्सेल फॉर्मेट में जानकारी संकलित कर BEO कार्यालय को सौंपी।
प्रश्न उठते हैं:
🔹 जब पुस्तकें छात्रों के लिए मुफ़्त हैं तो स्कैनिंग न होने के नाम पर वितरण में देरी क्यों?
🔹 शिक्षा विभाग के अधिकारी क्या समय पर निगरानी नहीं कर रहे थे?
🔹 छात्रों के शैक्षणिक हितों से हो रहे इस खिलवाड़ के लिए कौन जिम्मेदार है?
छात्रों के अधिकारों और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में यदि लापरवाही होती रही, तो शिक्षा का अधिकार केवल कागजों तक सीमित रह जाएगा। अब देखना यह है कि शासन इस आदेश को कितना गंभीरता से लागू करता है और किस स्तर पर जवाबदेही तय होती है।