जेलपारा में युवक की फांसी से मौत, तीन घंटे तक नहीं पहुंची पुलिस ; लापरवाही पर फूटा जनाक्रोश…

रायगढ़। शहर के जेलपारा क्षेत्र में रविवार दोपहर एक दर्दनाक और चौंका देने वाली घटना सामने आई, जिसने न सिर्फ एक परिवार को शोक में डुबो दिया, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। 29 वर्षीय युवक निर्मल लहरे ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, लेकिन घटना की सूचना मिलने के तीन घंटे बाद तक भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची, जिससे मोहल्ले में आक्रोश की लहर दौड़ गई।
नशे में धुत था युवक, घरेलू विवाद के बीच उठाया यह खौफनाक कदम : मृतक की पहचान निर्मल लहरे पिता गणेश लहरे के रूप में हुई है, जो विवाहित था और उसका एक छोटा बेटा भी है। परिजनों के अनुसार, निर्मल सुबह से ही शराब के नशे में था, और घर में किसी बात को लेकर कहा-सुनी और मजाक-मजाक में यह आत्मघाती कदम उठा लिया गया।
जब परिजन कमरे में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि निर्मल पलंग पर चढ़कर अलवेस्टर पाइप में चुन्नी बांधकर फांसी पर झूल रहा था। शरीर पूरी तरह शिथिल हो चुका था। यह दृश्य देख घर में चीख-पुकार मच गई और मोहल्ले के लोग बड़ी संख्या में जमा हो गए।
सूचना के घंटों बाद भी नहीं पहुंची पुलिस, वार्ड पार्षद को करना पड़ा हस्तक्षेप : स्थानीय लोगों ने तत्काल वार्ड पार्षद को घटना की जानकारी दी, जिन्होंने पुलिस को अवगत कराया। लेकिन अचरज की बात यह रही कि सूचना देने के बावजूद तीन घंटे तक न तो पुलिस मौके पर पहुंची, न ही कोई प्राथमिक जांच की प्रक्रिया शुरू की गई।
परिजनों और मोहल्लेवासियों ने इस लापरवाही पर कड़ा विरोध दर्ज कराया, और यह सवाल उठाया कि जब किसी नागरिक का जीवन दांव पर होता है, तो प्रशासन की संवेदनशीलता आखिर कहां चली जाती है?
सवालों के घेरे में रायगढ़ पुलिस की संवेदनशीलता : इस पूरे घटनाक्रम ने रायगढ़ पुलिस की संवेदनशीलता और तत्परता पर गहरी चोट की है। जब आत्महत्या जैसी गंभीर वारदात की सूचना पर भी पुलिस की प्रतिक्रिया सुस्त हो, तो यह ना सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों की भी पोल खोलता है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर घटनास्थल पर समय पर पुलिस पहुंचती, तो मामले की प्राथमिक जांच बेहतर ढंग से हो सकती थी, और शायद स्थिति कुछ और होती।
क्या कोई ठोस कार्रवाई होगी? – अब मामला पुलिस के संज्ञान में है, और आगे की जांच उसी पर निर्भर करेगी। लेकिन जो सबसे अहम सवाल उठता है, वह है पुलिस की लेटलतीफी और नागरिक सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता।
जनता मांग कर रही है कि संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा जाए, और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए प्रशासन सख्त दिशा-निर्देश जारी करे।
यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, प्रशासन की संवेदनहीनता का आईना है। जब सिस्टम ही शिथिल हो जाए, तो भरोसा कहां टिकेगा?