“प्रेम की आड़ में हत्या का तांडव!” दिल्ली के द्वारका में रिश्तों का कत्ल – भाभी-देवर की ‘क्राइम स्टोरी’ के सामने पुलिस भी सन्न!…

“मर क्यों नहीं रहा है?”
“करंट दे दो…”
“मुंह नहीं खुल रहा, आ जाओ, मिलकर मारते हैं…”📱ये कोई वेब सीरीज़ की स्क्रिप्ट नहीं – दिल्ली में एक असली मर्डर चैट है।
❗दिल दहलाने वाली साजिश❗
दिल्ली का यह मामला कानून से ज्यादा इंसानियत और रिश्तों की हत्या का है।
जहां एक महिला ने अपने देवर के साथ पति को मौत के हवाले कर दिया, क्योंकि बीच में आ रही थी एक ‘जुर्म में बाधक’ वैध शादी।
🕯️ पति बना रुकावट… तो रच डाली मौत की पटकथा
35 वर्षीय करण देव, एक सामान्य नौकरीपेशा पति, जिसे नहीं पता था कि उसका सबसे बड़ा दुश्मन उसी घर की दीवारों के पीछे छुपा है।
उसकी पत्नी सुष्मिता और छोटे भाई राहुल के बीच पनपी अवैध मोहब्बत ने ऐसा खौफनाक रूप लिया कि करण की धीरे-धीरे तड़पाकर हत्या कर दी गई।
🔥 और साजिश का हथियार बना… ‘मोबाइल चैट’
🧨 जो बात दुनिया नहीं समझ पाई, वह समझ गया करण का छोटा भाई कुनाल।
उसे शक हुआ, और जब उसने सुष्मिता का मोबाइल खोला – तो खुल गई जुर्म की पूरी पटकथा।
👇 कुछ असली चैट्स जो हत्या के हथियार से कम नहीं:
🧕 सुष्मिता: “देखो दवा खाकर मरने में कितना टाइम लगता है…”
🧑🦱 राहुल: “तो करंट दे दो।”
🧕 सुष्मिता: “कैसे बांधूं?”
🧑🦱 राहुल: “टेप से बांधो।”
🧕 सुष्मिता: “सांस बहुत धीरे चल रही है…”
🧑🦱 राहुल: “जितनी दवा है सब दे दो।”
🧕 सुष्मिता: “मुंह नहीं खुल रहा, आ जाओ, मिलकर कोशिश करते हैं।”
🩸ये चैट्स अब सबूत हैं – हत्या की घिनौनी मानसिकता के!
👮 गिरफ्तार, पर सवाल बाकी…
पुलिस ने सुष्मिता देवी और राहुल देव को गिरफ्तार कर लिया है।
पूछताछ में उन्होंने कबूल किया “हां, हमने मारा है करण को।”
लेकिन अब सवाल यह हैं :
- क्या यह हत्या पहली बार में हो गई?
- या पहले भी कई बार दी गई थीं ‘धीमी मौत’ की खुराकें?
- इस प्रेम-साज़िश में और कौन-कौन शामिल है?
- क्या किसी को करण की हत्या की भनक थी?
🔍 ‘करंट लग गया’ – यही था उनका कवरअप !
हत्या के बाद सुष्मिता ने करण के परिवार को कॉल किया –
“उसे करंट लग गया है… बेहोश है…”
पर पोस्टमॉर्टम से इनकार ने शक को जन्म दिया।
⚖️ अब क्या?
पुलिस ने चैट्स, डिवाइस, घटनास्थल से सबूत इकट्ठा कर मर्डर के केस को मजबूत किया है।
IPC की धारा 302 (हत्या) और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में मामला दर्ज हो चुका है।
दोनों आरोपी जेल की सलाखों के पीछे हैं, लेकिन कानून अब सिर्फ सजा नहीं देगा मिसाल बनाएगा।
जब प्यार हवस बन जाए, और रिश्ते सिर्फ बाधा लगें, तो ऐसे ही कत्ल होते हैं –
जहां न खून बहता है, न चिल्लाहट होती है –
बस, धीरे-धीरे इंसान को मार डाला जाता है।
दिल्ली की गर्मी में अब रिश्तों की बर्फीली साजिश से पूरा शहर सिहर गया है।
🛑 इस घटना से सबक लें – शक को नज़रअंदाज़ न करें। रिश्तों की परतें जब सड़ने लगें, तो गंध को पहचानिए।