“मौत का सौदागर बेनकाब: झोलाछाप डॉक्टर का क्लिनिक सील, प्रशासन की छापेमारी से हड़कंप!”

पत्थलगांव। तहसील अंतर्गत मिर्जापुर (तमता) गांव में फर्जी डॉक्टर के खिलाफ पत्रकारों द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन और मीडिया रिपोर्ट का असर अब जोरदार तरीके से दिखने लगा है। वीडियो साक्ष्यों और सोशल मीडिया पर तेज़ होती जनआवाज़ के दबाव में आकर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम 14 जुलाई की शाम गांव पहुंची।
मौके पर की गई जांच में पुष्टि हुई कि उक्त व्यक्ति बिना किसी पंजीयन या मान्यता प्राप्त डिग्री के वर्षों से इलाज कर रहा था। प्राथमिक स्वास्थ्य अधिकारी, बीएमओ, तहसीलदार और पुलिस बल की उपस्थिति में उसका क्लिनिक तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया।
मेडिकल टीम ने मानी गड़बड़ी : ग्रमीणों और पत्रकारों द्वारा प्रस्तुत वीडियो और डिजिटल भुगतान रसीदों के आधार पर जांच टीम ने माना कि यह व्यक्ति इलाज के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहा था। बिना किसी परीक्षण के सीधे इंजेक्शन देना और गंभीर बीमारियों का स्वयं इलाज करना, न केवल गैरकानूनी है बल्कि जानलेवा भी।
प्रशासन ने की त्वरित कार्रवाई, तीन सदस्यीय जांच दल गठित : पंचायत भवन में ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की मौजूदगी में पूर्ण पंचनामा तैयार कर विधिवत कार्यवाही की गई। मौके पर ही तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया, जो विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को सौंपेगा।
जनता की चेतावनी का असर, पत्रकारिता की जीत : यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि जब पत्रकारिता जनहित में साहसपूर्वक खड़ी होती है, तो सिस्टम को जवाब देना ही पड़ता है। वर्षों से दबे हुए मामले को सामने लाने में न केवल ग्रामीणों की जागरूकता बल्कि पत्रकारों की जिम्मेदार भूमिका भी निर्णायक रही।
अब सिर्फ ‘जांच’ नहीं, जवाबदेही चाहिए : मिर्जापुर (तमता) की यह घटना यह बताती है कि फर्जीवाड़ा केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि प्रशासनिक और स्वास्थ्य तंत्र की सामूहिक चूक का नतीजा है। लेकिन अब जनता ने ठान लिया है।
“बहाने नहीं, कार्रवाई चाहिए। चुप्पी नहीं, जिम्मेदारी चाहिए।”