डौंडी गौठान से 300 गौमाता गायब : तस्करी का आरोप जनप्रतिनिधि पर, नगर पंचायत की चुप्पी पर उठे सवाल

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के डौंडी नगर पंचायत में एक बार फिर गौमाता की तस्करी का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। मात्र दो साल पहले ऐसी घटना सामने आई थी, अब फिर से गौठान से 300 मवेशियों के एक रात में गायब हो जाने ने नगर पंचायत और स्थानीय राजनीति की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालात ऐसे हैं कि नगर के लोग गौवंश की तस्करी को ‘खुला खेल’ मानने लगे हैं, वहीं निकाय की निष्क्रियता पर भी जनाक्रोश गहराता जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार शाम को मंगलू गार्डन के पास स्थित गौठान में दो नगर पंचायत कर्मचारी और तीन किसानों ने करीब 300 गौमाता को चारा चरवाने के बाद सुरक्षित गौठान में बंद किया था। में गेट पर ताला लगाया गया और कर्मचारी व किसान रात में अपने घरों को लौट गए। लेकिन अगली सुबह जब कर्मचारी चारा देने पहुँचे, तो गौठान का गेट तो बंद था, पर सभी गौ पशु गायब थे। स्थानीय ग्रामीणों ने आसपास तलाश की, किंतु कहीं भी मवेशियों का कोई अता-पता नहीं चला।
खबर सामने आ रही है कि इन मवेशियों को रात में तस्करी के लिए निकाला गया और कोचियों के माध्यम से बूचड़खाने भेजा गया होगा। नगर पंचायत के सफाई कर्मचारी कैलाश और जीतू ने नाम लेकर स्वीकार किया कि नगर पंचायत के एक पार्षद के निर्देश पर उन्होंने अन्य किसानों के साथ मिलकर पशुओं को गौठान से बाहर निकाला और आमाडुला जंगल के पास कोचियों को सौंप दिया। इसके एवज में तीनों कर्मचारियों को मात्र 500 – 500 रुपये दिए गए। सूत्रों की मानें तो कोचिए इन पशुओं को मोटी रकम में बिक्री कर लेते हैं, जिसके बाद इन्हें कटनी, नागपुर और जबलपुर जैसे शहरों में गौमांस के लिए पहुंचाया जाता है।
यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले वर्ष 2023 में भी डौंडी के सामुदायिक भवन में 350 गायें रात भर में गायब हो गई थीं और उन पर भी तस्करी के आरोप लगे थे। नगर में वर्षों बाद भी गौठान निर्माण अधूरा है और हर साल बारिश से पहले गौठान की मांग उठती है। अधूरे गौठान निर्माण के बहाने अव्यवस्था का फायदा उठाकर जब-तब पशु तस्करी के मामले लगातार उजागर हो रहे हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि डौंडी नगर पंचायत को सब पता होने के बावजूद अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। न तो मामला सार्वजनिक किया गया, न ही पुलिस प्रशासन को शिकायत सौंपी गई। इससे आम जनता में आक्रोश है और निकाय के जिम्मेदारों की भूमिका संदेह के घेरे में है। नागरिक इस पूरे मामले की हाई-लेवल जांच की मांग कर रहे हैं।
डौंडी में गौमाता की तस्करी का यह नया मामला कड़ा संदेश देता है कि जब तक प्रशासन और निकाय अपने दायित्वों को गंभीरता से नहीं निभाते, ऐसे प्रकरणों पर रोक असंभव है। ग्रामीणों की मांग है कि गौठान निर्माण शीघ्र पूर्ण किया जाए और पशु तस्करी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
गौ संरक्षण को लेकर छत्तीसगढ़ और भारत में कई कानून और अभियान चल रहे हैं। जिसमें छत्तीसगढ़ गो संवर्धन अधिनियम, 2004 – राज्य में गौवंश की हत्या या तस्करी पर पूरी तरह प्रतिबंध है। गौ तस्करी, अवैध परिवहन और वध पर 7 साल तक की जेल और 10,000 से 50,000 रु. तक जुर्माना हो सकता है।
छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग – राज्य सरकार ने यह आयोग बनाया है जो गौशालाएं, गौठान और संरक्षण गतिविधियों की निगरानी करता है। केंद्र सरकार का ‘राष्ट्रीय गो संवर्धन अभियान’ – गोपालन, जैविक खेती और पंचगव्य उत्पाद बढ़ाने के लिए चलाया जा रहा है। भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के तहत किसी गाय या पालतू पशु को मारना या नुकसान पहुंचाना संज्ञेय अपराध है (5 साल तक की जेल)।
“इस मामले की जानकारी मिली है और जांच प्रारंभ कर दी गई है। अगर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी-कर्मी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ कड़ी विभागीय और कानूनी कार्यवाही निश्चित की जाएगी।”
संतोष देवांगन,
सीएमओ, नगर पंचायत डौंडी