संयुक्त संचालक के आदेश पर पत्थलगांव BRC की थूक-पोंछ राजनीति…!

पत्थलगांव। क्या शिक्षा विभाग अब बेलगाम घमंड और राजनीतिक संरक्षण का अड्डा बन गया है?
“आदेश गया कुएं में, और पत्थलगांव BRC अब भी पद की गद्दी पर जमा है – यही है सिस्टम की असली सूरत!”
राज्य शासन की स्थानांतरण नीति 2025 को लेकर 5 जून 2025 को आदेश जारी हुए — फिर 6 जून को सरगुजा संयुक्त संचालक ने साफ चेतावनी दी:
👉 “10 जून 2025 तक सभी सहायक शिक्षक / शिक्षक / व्याख्याता का समायोजन हर हाल में पूरा हो, अन्यथा जिम्मेदारों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई तय है।”
लेकिन सवाल है :
- ❗ फिर पत्थलगांव BRC आज तक अपनी कुर्सी पर क्यों बैठा है?
- ❗ क्या यह आदेशों का चीरहरण नहीं?
- ❗ क्या पत्थलगांव में प्रशासनिक लॉ एंड ऑर्डर का दहन हो चुका है?
इस खुली अवज्ञा के पीछे सवालों की एक श्रृंखला है :
🟥 क्या पत्थलगांव का BRC शासन से ऊपर है?
🟥 या फिर यह आदेश उसकी जेब में मोड़ा हुआ पड़ा है?
🟥 क्या डीईओ और बीईओ दोनों मिलीभगत से आँखें मूंदे बैठे हैं?
🟥 या फिर किसी सत्ता संरक्षक ने इस पद को अभेद्य बना दिया है?
⚠️ यह आदेश नहीं, मज़ाक बन चुका है : जिस आदेश की समयसीमा 10 जून थी, आज 12 जुलाई हो गई लेकिन पत्थलगांव का BRC अब भी पद पर बना हुआ है।
यह क्या “स्थानांतरण नीति” है या “राजनीतिक अंध संरक्षण नीति”?
📌 संयुक्त संचालक की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह :
अगर आदेश का पालन न हो और अधिकारी चुप रहें, तो यह चुप्पी क्या दर्शाती है?
❗ आदेश दिखाने के लिए था?
❗ या विभागीय अनुशासन रसूख के आगे नतमस्तक है?
अब जनता नहीं चुप बैठेगी :
🔥 पत्थलगांव BRC को तत्काल पद से हटाओ!
🔥 बीईओ व डीईओ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करो!
🔥 शिक्षा विभाग को चाटुकारिता और मिलीभगत से मुक्त करो!
✍ “जब नीति रसूख के पांव चाटे, जब कुर्सी पर बेईमानी जमा रहे, तब जनता का सवाल बनता है — क्या हम लोकतंत्र में हैं या सत्ता की दलाली में?”