डौंडी में यूरिया वितरण में घोटाला: किसानों के साथ छल, कृषि केंद्र सील, अधिकारी जांच में जुटे

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। बुधवार को मथाई चौक स्थित संगवारी कृषि केंद्र में किसानों के साथ हुए धोखाधड़ी के मामले ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। 24 किसानों को 35 बैग यूरिया देने का वादा कर केंद्र संचालक ने उनसे पोस मशीन में अंगूठा लगवाया, लेकिन बाद में स्टॉक खत्म होने की बात कहकर उन्हें खाली हाथ लौटा दिया। इससे नाराज किसानों ने केंद्र में ही धरना शुरू कर दिया और जमकर विरोध दर्ज कराया।
किसानों का आरोप है कि संचालक ने पहले उन्हें यूरिया देने की पर्ची थमा दी, लेकिन बाद में यूरिया देने से इनकार कर दिया। पर्चियों में भी गड़बड़ियां सामने आईं—किसी में तारीख नहीं थी, तो किसी में गलत तारीख लिखी गई थी। उदाहरण के तौर पर, पर्ची नंबर 1816 में कोई तारीख नहीं थी, पर्ची नंबर 1829 में 09 जुलाई 2025 और पर्ची नंबर 1940 में 07 जुलाई 2025 अंकित था। कई किसानों को सादे कागज पर तीन बोरी यूरिया बाद में देने का वादा कर पिछले महीने से ही टरकाया जा रहा है।
इस बीच, डौंडी सहकारी समिति में मंगलवार को 438 बैग और बुधवार को 225 बैग यूरिया वितरण के लिए आए, लेकिन चेकबुक में नाम दर्ज होने के बावजूद किसानों को यूरिया नहीं मिला। मजबूरी में किसानों को निजी केंद्रों से महंगे दामों पर यूरिया खरीदना पड़ा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर और बोझ बढ़ गया।
मामले की जानकारी मिलते ही डौंडी के युवा तहसीलदार देवेंद्र नेताम, आरआई एसएन सोनेश्वर और आवारी सर्कल आरआई भारत भूषण मौके पर पहुंचे। लेकिन, कृषि केंद्र का संचालक नदारद मिला और कर्मचारियों ने भी उसकी कोई जानकारी नहीं दी। शाम पांच बजे जब कृषि विभाग के जिला एसडीओ महेश कुमार केंद्र पहुंचे, तब भी संचालक नदारद ही रहा। अधिकारियों ने कई बार फोन किया, लेकिन संचालक ने सिर्फ अधिकारियों के कॉल रिसीव किए, अन्य किसी का नहीं। इतना ही नहीं, पॉस मशीन और गोदाम की चाबी भी दुकान से गायब कर दी गई थी। गोदाम में ताला लटका मिला, जिससे अधिकारियों को शक हुआ कि अंदर स्टॉक छिपाया गया है।
कर्मचारी खोमेंद्र ने अधिकारियों को बताया कि गोदाम में यूरिया का स्टॉक मौजूद है, जिससे साफ हो गया कि संचालक ने जानबूझकर किसानों और अधिकारियों को गुमराह किया। तहसीलदार ने तत्काल पुलिस बुलाकर पंचनामा बनवाया और दुकान व गोदाम को सील कर दिया। इस पूरी कार्यवाही की रिपोर्ट जिला कलेक्टर को भेजी जाएगी।
सीलिंग के दौरान कांग्रेस नेता कोमलेंद्र चंद्राकर ने तहसीलदार देवेंद्र नेताम से तीखी बहस की। हालांकि अधिकारी चाहते तो शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज करवा सकते थे, लेकिन उन्होंने संयम बरतते हुए ऐसा नहीं किया। इस कार्यवाही से किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन सहकारी समिति और निजी केंद्रों की मनमानी से वे अब भी परेशान हैं। किसानों का कहना है कि जब तक वितरण प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होगी, उनकी समस्याएं दूर नहीं होंगी।
इस पूरे प्रकरण में स्थानीय उर्वरक निरीक्षक अधिकारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। किसानों का आरोप है कि संबंधित अधिकारी ने जानबूझकर निजी कृषि केंद्र का निरीक्षण नहीं किया, न ही इस सत्र में और न ही पूर्व सत्रों में। एक्सपायरी नैनो यूरिया वितरण की शिकायत के बाद भी वे अवकाश पर चले गए और जिम्मेदारी से बचते रहे। उनकी अनुपस्थिति के कारण जिला स्तर के अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर कार्यवाही करनी पड़ी।
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाए और यूरिया वितरण की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए। किसानों का कहना है कि हर साल यूरिया वितरण में गड़बड़ियां सामने आती हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इस बार भी उन्हें निजी केंद्रों से महंगे दामों पर यूरिया खरीदना पड़ा, जबकि सरकारी दर पर उन्हें यह खाद मिलना चाहिए था।
अधिकारियों ने किसानों को आश्वासन दिया है कि मामले की पूरी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। साथ ही, यूरिया वितरण की निगरानी के लिए विशेष टीम गठित की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
डौंडी का यह मामला न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि किसानों की बदहाली और खाद वितरण में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी उजागर करता है। किसानों की मांग है कि प्रशासन पारदर्शी व्यवस्था लागू करे और दोषी अधिकारियों व संचालकों पर कड़ी कार्यवाही करे, ताकि भविष्य में बालोद जिले के किसान ऐसे शोषण से बच सकें।