सूरजपुर में 60 वर्षीय वृद्ध के साथ 35 लाख की ठगी, फर्जी दस्तावेज़, तहसीलदार की मिलीभगत उजागर…
"जमीन भी गई, पैसा भी लुटा... अब जान से मारने की धमकी...!"

सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले में एक वृद्ध के साथ हुई 35 लाख की जमीन सौदे में ठगी का मामला शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता और गिर चुके तंत्र का सजीव प्रमाण बनकर सामने आया है। ग्राम रैसरा निवासी 60 वर्षीय देवीदयाल बरगाह ने खुलासा किया है कि न सिर्फ उनकी पुश्तैनी जमीन हड़पी गई, बल्कि उनके जीवनभर की कमाई भी छलपूर्वक डकार ली गई। अब उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है, और एक महिला के माध्यम से झूठे मुकदमे में फंसाने की साज़िश रची जा रही है।
35 लाख में हुआ सौदा, सिर्फ 10 लाख दिए – फर्जी दस्तावेज़ों से कब्जा : देवीदयाल बरगाह के अनुसार, उन्होंने खसरा नंबर 1546/2 और 1572/2, कुल रकबा 1.43 हेक्टेयर पुश्तैनी भूमि का सौदा 35 लाख रुपये में किया था। सौदा करने वालों में शामिल थे :
- देवीदयाल पिता सिलोचन (निवासी रैसरा)
- कैलाश लोहार (चौकी चेदरा, थाना झिलमिली)
- सम्मेजान (ग्राम दुरती, थाना भटगांव)
- दशरथ राजवाड़े (थाना प्रतापपुर चेदरा)
पीड़ित के अनुसार, इन व्यक्तियों ने केवल 5 लाख रुपये नकद, 4 लाख रुपये चेक तथा 1 लाख रुपये अलग से दिए — इस प्रकार कुल 10 लाख की राशि दी गई और शेष 25 लाख रुपये हड़प लिए गए।
इसके बाद, फर्जी दस्तावेज़ों और पहचान पत्रों के माध्यम से उक्त भूमि का नामांतरण अपने नाम पर करा लिया गया।
फर्जी आधार कार्ड से नामांतरण – तहसीलदार पर रिश्वतखोरी का गंभीर आरोप : पीड़ित का आरोप है कि आरोपियों ने उसके पुत्र के आधार कार्ड में पिता के नाम में हेराफेरी कर फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए, और इन्हीं के आधार पर तहसील ओडगी में नामांतरण प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
देवीदयाल बरगाह ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि तहसीलदार ने रिश्वत लेकर फर्जी दस्तावेजों पर नामांतरण स्वीकृत किया, जिससे प्रशासन की भूमिका भी अब कठघरे में आ गई है।
बकाया रकम की मांग करने पर मिली जान से मारने की धमकी : जब पीड़ित ने अपनी शेष रकम की मांग की, तो आरोपियों ने जान से मारने की धमकी दी और एक महिला के माध्यम से उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी गई।
वर्तमान में सभी आरोपी मोबाइल बंद कर फरार हैं।
एसपी से न्याय की गुहार — FIR की मांग, जान-माल की सुरक्षा की अपील : देवीदयाल बरगाह ने सूरजपुर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि:
✅ आरोपियों के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज की जाए
✅ शेष 25 लाख रुपये की वसूली सुनिश्चित की जाए
✅ पुश्तैनी जमीन की वापसी की कानूनी कार्यवाही हो
✅ तहसीलदार की भूमिका की जांच हो एवं उन्हें निलंबित किया जाए
✅ उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए
प्रशासनिक व्यवस्था कठघरे में : एक वृद्ध को न्याय के लिए दर-दर भटकना क्यों पड़ रहा है? – इस मामले ने प्रशासनिक लापरवाही, राजस्व तंत्र की भ्रष्टाचार में लिप्तता, और पुलिस की निष्क्रियता को उजागर कर दिया है।
यह सवाल बेहद गंभीर हैं:
▪️ क्या तहसील स्तर पर बिना वैध दस्तावेज़ों के नामांतरण संभव है?
▪️ क्या रिश्वत लेकर सरकारी कर्मचारी जमीन माफियाओं की मदद कर रहे हैं?
▪️ क्या एक वृद्ध नागरिक की आवाज़ भी इस व्यवस्था में अनसुनी रह जाएगी?
यह अब सिर्फ देवीदयाल बरगाह की लड़ाई नहीं – यह व्यवस्था के खिलाफ जनसंघर्ष की दस्तक है : यदि इस मामले में तत्काल और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होती, तो यह केवल एक वृद्ध के साथ अन्याय नहीं होगा — बल्कि कानून, शासन और लोकतंत्र के साथ खुला मज़ाक होगा।
जनता की मांग :
🔹 तत्काल FIR हो।
🔹 तहसीलदार सहित सभी दोषियों पर आपराधिक कार्यवाही की जाए।
🔹 SIT गठित कर निष्पक्ष जांच की जाए।
🔹 पीड़ित को आर्थिक और कानूनी सहायता दी जाए।