“कब्रगाह बनता विद्यालय?…” पत्थलगांव में छात्राओं की जान खतरे में, प्राचार्या की मनमानी चरम पर – प्रशासन मौन…!

पत्थलगांव। इंद्रा गांधी शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पत्थलगांव, शिक्षा का मंदिर नहीं बल्कि अब एक भयावह हादसे की प्रतीक्षा करता जर्जर भवन बन चुका है। यहां पढ़ने वाली छात्राओं की जान हर दिन खतरे में है, लेकिन विद्यालय प्रबंधन और जिला प्रशासन की आंखें मूंदी हुई हैं।
ध्वस्त होता ढांचा, घोटाले की बू – लेकिन जवाबदेही शून्य!…सूत्रों के अनुसार, इस विद्यालय के भवन और आधारभूत सुविधाओं के सुधार हेतु पूर्व विधायक द्वारा लाखों रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। परंतु आज तक न तो भवन की हालत सुधरी और न ही उस राशि का कोई स्पष्ट हिसाब सामने आया।
जब आरटीआई के माध्यम से आय-व्यय की जानकारी मांगी गई, तो विद्यालय प्राचार्या द्वारा अपूर्ण, भ्रमित और गोलमोल उत्तर दिए गए। वहीं, जब इस संबंध में सीधे संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन उठाना भी ज़रूरी नहीं समझा।
छात्रा पर गिरा मलबा, पर बना दिया गया ‘गुप्त मामला’ : विद्यालय की जर्जर छत से गिरा पलस्तर एक छात्रा के सिर पर आ गिरा। सौभाग्यवश वह गंभीर रूप से घायल नहीं हुई, लेकिन घटना को छिपाने का शर्मनाक प्रयास किया गया। छात्रा को धमकाकर चुप करा दिया गया कहा गया कि “ये तुम्हारे पास गिरा है, बाहर कुछ मत कहना।”
क्या यही है हमारी ‘बेटी पढ़ाओ’ नीति का ग्राउंड रियलिटी?
प्राचार्या की तानाशाही, नियम नहीं, चाटुकारिता ही योग्यता!… विद्यालय के वातावरण को प्राचार्या ने पूरी तरह ‘दरबारी संस्कृति’ में बदल दिया है। जिन शिक्षकों और कर्मचारियों की उनकी कृपा प्राप्त है, वे:
- मनमर्जी से स्कूल आते-जाते हैं
- छुट्टियों में गायब रहते हैं
- परीक्षा काल में भी नेटवर्क मार्केटिंग, हर्बल उत्पाद बिक्री और जमीन दलाली जैसे निजी व्यवसायों में लिप्त रहते हैं
इन सभी गतिविधियों के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं, और जिम्मेदार मौन हैं।
शासन के आदेश हवा में, अधिकारी खामोश – आखिर क्यों?… छत्तीसगढ़ शासन का स्पष्ट निर्देश है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी निजी व्यवसाय में संलग्न पाया जाता है, तो तत्काल निलंबन किया जाए। परंतु यहां उल्टा चल रहा है प्राचार्या को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त होने की आशंका जताई जा रही है।
जनता के तीखे सवाल :
- छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
- विकास निधि कहां गई? और किसकी जेब में गई?
- RTI में झूठे व अपूर्ण उत्तर क्यों?
- क्या प्राचार्या कानून से ऊपर हैं?
- निजी व्यवसाय कर रहे शिक्षकों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?
जनता की मांगें – तुरंत हो कड़ी कार्रवाई!
- प्राचार्या को तत्काल निलंबित किया जाए
- विद्यालय भवन की मरम्मत अविलंब करवाई जाए
- RTI के उल्लंघन पर कानूनी कार्यवाही की जाए
- निजी व्यवसाय कर रहे कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो
- मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करवाई जाए