लैलूंगा में प्रशासनिक भूचाल : जनपद सीईओ प्रीति नायडू का सख्त फरमान – “काम नहीं तो कुर्सी खाली करो…!”

लैलूंगा, 3 जुलाई 2025। लैलूंगा जनपद में अब अफसरशाही और पंचायत सचिवों की ढिलाई पर लगाम कसने का समय आ चुका है। गुरुवार को केलो सभाकक्ष में जैसे ही नवपदस्थ जनपद सीईओ श्रीमती प्रीति नायडू ने पंचायत सचिवों के साथ समीक्षा बैठक की, पूरा माहौल तमतमा उठा। इस बैठक में न तो कोई बहाना चला, न कोई लीपापोती जो जहां चूका था, वहीं पकड़ा गया!
“प्रधानमंत्री आवास योजना में लूट नहीं, निर्माण चाहिए” : बैठक की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री आवास योजना की समीक्षा ने पंचायत सचिवों की साँसे टाइट कर दीं। सीईओ ने एक-एक पंचायत का नाम लेकर पूछा – “पैसा दे दिया, घर कहां है?”
जवाब गोलमोल मिला तो सीधा अल्टीमेटम मिला –
“अब एक भी अपूर्ण आवास नहीं दिखना चाहिए। किस्त लेने के बाद घर अधूरा रहा तो एफआईआर के लिए तैयार रहो!”
बिरहोर जनजाति की उपेक्षा पर फटकार : विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर के लिए स्वीकृत आवासों की धीमी गति पर सीईओ भड़क पड़ीं। उन्होंने दो टूक कहा –
“जिन्हें सबसे पहले मदद मिलनी चाहिए, उन्हें ही सबसे आखिर में रखा जा रहा है – शर्मनाक है ये!”
उन्होंने संबंधित सचिवों को तत्काल प्रगति दिखाने का निर्देश देते हुए चेताया कि जनजातीय योजनाओं की उपेक्षा अब महंगी पड़ेगी।
मनरेगा मजदूरी रोकी तो भुगतना पड़ेगा : मनरेगा के तहत 90 दिन की मजदूरी भुगतान समीक्षा में जब सामने आया कि मजदूरों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है, तो सीईओ ने गरजते हुए कहा –
“मजदूर का हक लटकाया गया तो तुम्हारी नौकरी भी लटकेगी – समय पर भुगतान नहीं हुआ तो सस्पेंशन तय है।”
“स्वच्छता सिर्फ पोस्टर में नहीं, ज़मीन पर दिखनी चाहिए!” : शौचालय निर्माण, कचरा प्रबंधन, स्वच्छ सर्वेक्षण, रंगाई-पुताई, जियो टैगिंग – हर बिंदु पर सीईओ ने साफ निर्देश दिया :
“अब खानापूर्ति नहीं चलेगी। जो दिखेगा वही गिना जाएगा – कागज नहीं, हकीकत बोलनी चाहिए।”
बजट में गड़बड़ी? अब नहीं बचेगा कोई : सीईओ ने 2025-26 के पंचायत बजट को लेकर सचिवों से कहा –
“कैशबुक बंद करो, हिसाब साफ करो – नहीं तो जांच बैठेगी। यूपीआई से कर वसूली के आंकड़े छिपाए तो वही अगला चार्जशीट बनेगा।”
पेंशन पोर्टल में मृत हितग्राही? लिस्ट दो या जवाब दो : पेंशन पोर्टल की गड़बड़ियों पर भी सीईओ सख्त दिखीं। उन्होंने साफ कहा –
“मरे हुए लोगों के नाम पर पेंशन ले रहे हो? शर्म करो! एक सप्ताह में मृतकों की सूची दो, वरना विभागीय जांच झेलो।”
“बैठकों में अब बहस नहीं, निष्कर्ष चाहिए” – सीईओ का आखिरी अल्टीमेटम : बैठक के समापन पर प्रीति नायडू ने पंचायत सचिवों को साफ शब्दों में निर्देश दिया –
“हर योजना का लाभ जमीन तक पहुंचे, ये अब आदेश नहीं, जिम्मेदारी है। कोई भी ढिलाई पाई गई, तो पद से हटाया जाएगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब अगली बैठकों में सिर्फ उपस्थिति नहीं, परिणाम की गिनती होगी।
जनपद में बढ़ी सरगर्मी, पंचायतों में हड़कंप : सीईओ की इस सख्त चेतावनी के बाद जनपद की पंचायतों में भारी हलचल है। सचिवों के मोबाइल पर मैसेजिंग ग्रुप्स गरम हैं, और फाइलों की धूल झाड़ने का दौर शुरू हो चुका है।
अब पंचायतों को तय करना होगा – “काम करेंगे या दंड झेलेंगे”
नोट: यह रिपोर्ट एक स्पष्ट संकेत है कि लैलूंगा अब ‘कामचोरी संस्कृति’ को अलविदा कह रहा है। अगर किसी अधिकारी या सचिव को अब भी भ्रम है कि लापरवाही से काम चलता रहेगा, तो अगली खबर में उनका नाम होना तय है!