“लैलूंगा में प्रशासनिक चमत्कार! – शिकायतें फाइलों में घुसती हैं और वहीं समाधिस्थ हो जाती हैं!…”
• अब जनता पूछ रही है 'SDM मैडम का तबादला कब होगा... वो भी स्थायी वाला?...'

लैलूंगा। विशेष व्यंग्यात्मक रिपोर्ट। रायगढ़ की इस शांत तहसील लैलूंगा में इन दिनों एक अनूठा प्रशासनिक प्रयोग चल रहा है “समस्याएं जमा करें और भूल जाएं!”
यहां के एसडीएम कार्यालय में ‘फॉरवर्डिंग’ एक कला, ‘जांच’ एक रहस्य, और ‘कार्रवाई’ एक दिव्य आभास बन चुका है।
“हम जांच करेंगे” – लैलूंगा का नया राष्ट्रीय गीत! – यहां हर शिकायत के बाद प्रशासन एक मंत्र सा जपता है :
“जांच की जाएगी, रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी…”
…और फिर रिपोर्ट कभी आती नहीं, और कार्रवाई सिर्फ फ़ाइलों में भ्रमण करती रहती है।
ऐसा प्रतीत होता है मानो एसडीएम कार्यालय में कोई अदृश्य “फॉरवर्डिंग देवी” विराजमान हैं, जिनके आशीर्वाद से हर आवेदन किसी अग्यात लोक में प्रेषित कर दिया जाता है।
पटवारी : लैलूंगा के ‘रियल एस्टेट मैनेजर’ –यहां के कुछ पटवारी सप्ताह में एक दिन दर्शन देने आते हैं वो भी चाय पीने या मोबाइल चार्ज करने।
कहीं फर्जी दस्तावेज़ बनते हैं, कहीं रिश्वत माँगी जाती है, और कहीं महीनों से कार्यालय का ताला भी नहीं खुला।
शिकायतें दर्ज हैं, सबूत सौंपे गए हैं लेकिन कार्रवाई?
जांच रिपोर्ट के बाद होगी, और रिपोर्ट?
शायद किसी गुप्त गुफा में लिपिबद्ध हो रही है।
ट्रैफिक व्यवस्था भगवान भरोसे, ब्रेकर भरोसे भी नहीं!
लैलूंगा की सड़कों पर चलना किसी रोमांचक झूले में बैठने से कम नहीं।
यहां न स्पीड ब्रेकर हैं, न संकेत बोर्ड, न कोई यातायात कर्मी।
लेकिन निश्चिंत रहिए एसडीएम कार्यालय ने सभी मांगों को ‘फॉरवर्ड’ कर दिया है!
(संभावना है, मंगल ग्रह के परिवहन विभाग को…)
राशन वितरण: कोई पात्र है, कोई पिटारा !
कई गांवों में महीनों से राशन नहीं मिला।
कहीं पुराने डेटा से वितरण हो रहा है, तो कहीं पात्र हितग्राही को अपात्र घोषित कर दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, संबंधित शिकायतें एसडीएम कार्यालय में ‘प्रकरण जांचाधीन’ नामक अलमारी में बंद हैं वो भी ताले के साथ।
किसानों के आवेदन अब ‘रद्दी’ नहीं, ‘साहित्य’ बनने की ओर
किसान नपाई की मांग कर रहे हैं, फसल बीमा में गड़बड़ी की शिकायत कर रहे हैं, भूमि रिकॉर्ड अधूरे हैं और इस सब पर प्रशासन का उत्तर है-
“आवेदन दीजिए, उचित समय पर कार्रवाई की जाएगी…”
अब किसान सोच रहे हैं –
“100 आवेदन जोड़कर ‘लैलूंगा के लाचार किसान’ नाम से कोई कविता संग्रह ही छपवा लें।”
🧳 एसडीएम मैडम का तबादला: लैलूंगा की नई जनभावना योजना!
आज लैलूंगा के चौक-चौराहों पर एक ही चर्चा है –
“मैडम का तबादला कब होगा?”
जनता को अब भरोसा है कि
“यदि एसडीएम बदल जाएं, तो शायद सिस्टम खुद-ब-खुद सुधर जाए!”
जनता ने दिया अल्टीमेटम : अब नहीं ‘फॉरवर्ड’, अब चाहिए ‘फाइनल’ निर्णय!
“लैलूंगा बचाओ जनअभियान” के अंतर्गत जनता ने जो माँगें रखी हैं, वे कुछ इस प्रकार हैं:
- एसडीएम लैलूंगा का तत्काल तबादला
- पटवारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच एवं निलंबन
- यातायात व्यवस्था की पूर्ण बहाली
- राशन घोटाले की उच्चस्तरीय जांच
- किसान शिकायतों का 15 दिनों में निराकरण
विधायक बोलीं – पद चाहे जिसका हो, जवाबदेही आवश्यक है
“जनता की सेवा के लिए अधिकारी होते हैं, न कि परेशानी बढ़ाने के लिए।”
– विद्यावती सिदार, विधायक, लैलूंगा
अब जनता मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुकी है : चूंकि तहसील स्तर पर समाधान नहीं मिला, अब जनता रायगढ़ कलेक्टर और सीएम कार्यालय से उम्मीद लगाए बैठी है।
“अब अंत नहीं, शुरुआत चाहिए।”
❗ अब सिर्फ जांच नहीं, निष्कर्ष चाहिए!
❌ “प्रकरण जांचाधीन है” अब बर्दाश्त नहीं
❌ “फॉरवर्ड कर दिया गया है” अब मज़ाक लगने लगा है
✅ जवाब चाहिए,
✅ निष्कर्ष चाहिए,
✅ न्याय चाहिए।
✍️ जहां व्यवस्था मौन हो, वहां व्यंग्य बोलता है।