बिना रेरा पंजीयन के 106 प्रोजेक्ट्स का संचालन : छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट में बड़ा खुलासा, प्रमोटरों पर कसेगा शिकंजा…

रायपुर। छत्तीसगढ़ रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने राज्य में रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी एक बड़ी खामी को उजागर करते हुए 106 ऐसे निर्माण परियोजनाओं की पहचान की है, जो टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से स्वीकृति तो ले चुके हैं, लेकिन रेरा अधिनियम 2016 के तहत पंजीकृत नहीं हैं। यह न केवल गंभीर कानूनी उल्लंघन है, बल्कि आम जनता, निवेशकों और मकान खरीददारों के हितों पर सीधा हमला है।
बिना पंजीकरण बेचा जा रहा फ्लैट और प्लॉट : प्राधिकरण की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि इन प्रोजेक्ट्स का निर्माण कार्य तथा विक्रय बिना वैधानिक रेरा पंजीयन के किया जा रहा था। यह सीधा-सीधा रेरा कानून की अवहेलना है, जिसके तहत पंजीकरण के बिना कोई भी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट चलाना प्रतिबंधित है। ऐसे प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले उपभोक्ता न तो कानूनी सुरक्षा के दायरे में आते हैं, और न ही उन्हें समय पर कब्जा या रिफंड की कोई गारंटी मिलती है।
प्रमोटरों को थमाए गए नोटिस, जवाब देना अनिवार्य : रेरा प्राधिकरण ने इन सभी प्रोजेक्ट्स के प्रमोटरों को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है। साथ ही स्पष्ट किया है कि रेरा अधिनियम का पालन प्रत्येक प्रमोटर की वैधानिक जिम्मेदारी है, जिससे किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी जा सकती।
सात वर्षों में 136 मामलों में स्वतः संज्ञान, भारी जुर्माने की चेतावनी : रेरा के मुताबिक, पिछले सात वर्षों में कुल 136 प्रोजेक्ट्स के विरुद्ध स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई की गई है, जिनमें प्रमोटरों ने पंजीकरण के बिना ही प्रोजेक्ट्स संचालित किए। अधिनियम के अनुसार, बिना पंजीकरण प्रोजेक्ट चलाने पर पंजीकरण शुल्क का 400% तक अतिरिक्त शुल्क और परियोजना लागत का 10% तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
उपभोक्ताओं के हितों पर हमला, पारदर्शिता को खतरा : रेरा अधिनियम की मूल भावना उपभोक्ताओं को सुरक्षित और पारदर्शी निवेश वातावरण उपलब्ध कराना है। लेकिन पंजीकरण के बिना संचालित हो रहे प्रोजेक्ट्स न केवल इस भरोसे को तोड़ते हैं, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में अराजकता और धोखाधड़ी को बढ़ावा देते हैं।
सवालों के घेरे में प्रशासनिक निगरानी भी : अब सवाल यह उठता है कि जब ये प्रोजेक्ट्स टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से स्वीकृत हो चुके थे, तब रेरा पंजीयन की अनदेखी कैसे हुई? क्या संबंधित विभागों की निगरानी प्रणाली में चूक है या मिलीभगत?
रेरा प्राधिकरण की इस कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ के रियल एस्टेट सेक्टर में हलचल तेज हो गई है। उपभोक्ताओं को सलाह दी जा रही है कि वे किसी भी प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले उसके रेरा पंजीयन की जांच अवश्य करें। वहीं, अवैध रूप से प्रोजेक्ट संचालित कर रहे प्रमोटरों पर अब भारी जुर्माने और कानूनी कार्यवाही की तलवार लटक रही है।
यह मामला महज कागज़ी कार्रवाई नहीं है, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में जवाबदेही, पारदर्शिता और उपभोक्ता अधिकारों के लिए उठाया गया निर्णायक कदम है।