गोबरी नदी का पुल बना मौत की मंडी : भ्रष्ट विकास मॉडल की शर्मनाक मिसाल, कब जागेगा सूरजपुर प्रशासन?…

सूरजपुर। छत्तीसगढ़ में सक्रिय मानसून जहां एक ओर राहत लाया है, वहीं दूसरी ओर सूरजपुर ज़िले के ग्रामीणों के लिए यह बारिश खतरे की घंटी बन गई है। गोबरी नदी पर बना पुल अब पुल नहीं, बल्कि मौत का फंदा बन गया है। करोड़ों की लागत से बना यह पुल इस कदर जर्जर हो चुका है कि किसी भी क्षण ढहने की आशंका है। किनारों की बाउंड्री वॉल बह चुकी है, बीमों में दरारें हैं, नीचे की ज़मीन धंस चुकी है—लेकिन प्रशासन अभी तक गहरी नींद में है।
बीस साल में ही दम तोड़ गया करोड़ों का पुल : वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा लोकार्पित यह पुल आज भ्रष्ट इंजीनियरिंग और लापरवाह व्यवस्था का नमूना बन चुका है। यह पुल शिवप्रसाद नगर, डबरीपारा, भंवराही, बांसापारा जैसे कई गांवों को सूरजपुर जिला मुख्यालय से जोड़ता है। लेकिन वर्तमान स्थिति में यह संरचना सुविधा नहीं, भय और दुर्घटना का मार्ग बन चुकी है।
हर दिन की आवाजाही बनी मौत से जंग : ग्रामीणों के अनुसार इस पुल के अलावा कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं है। बच्चे, किसान, महिलाएं, बुजुर्ग—all—हर रोज़ इस जर्जर पुल से जान हथेली पर रखकर गुजरते हैं। बरसात में फिसलन, खुली दीवारें और दरारों से बहता पानी—हर क्षण एक बड़ी अनहोनी का खतरा बना रहता है।
“क्या किसी की मौत के बाद ही प्रशासन जागेगा?” ग्रामीणों का गुस्सा फूटा : ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार प्रशासन से पुल की मरम्मत अथवा वैकल्पिक मार्ग की मांग की है, लेकिन अब तक न तो कोई कार्रवाई हुई है, न ही कोई निरीक्षण। स्थानीय निवासी नाराज हैं और सवाल कर रहे हैं—“क्या किसी बच्चे की लाश पुल के नीचे मिलेगी, तब सरकारी अमला हरकत में आएगा?”
यह सिर्फ एक पुल नहीं, सड़े हुए सिस्टम का आईना है : यह पुल छत्तीसगढ़ में चल रहे खोखले विकास मॉडल का प्रतीक बन चुका है। जहां निर्माण की गुणवत्ता भ्रष्टाचार और कमीशन के नीचे दब जाती है, वहां जीवन की कीमत प्रशासन की फाइलों में दबी रह जाती है।
अब चेतावनी नहीं, अल्टीमेटम : ग्रामीणों का उबाल सड़क पर आने को तैयार – ग्रामीणों ने 7 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि यदि पुल की मरम्मत या वैकल्पिक रास्ते की व्यवस्था शीघ्र नहीं की गई, तो वे प्रशासनिक कार्यालयों का घेराव करेंगे और बड़े जनआंदोलन की शुरुआत होगी। यह चेतावनी है—और अगला कदम ‘सड़क जाम’ से लेकर ‘जिला बंद’ तक होगा।
“जब विकास की सड़क मौत की ओर ले जाए, तब सवाल केवल पुल का नहीं, पूरे सिस्टम की नीयत का होता है ! “