रायगढ़

CG13 ढाबा पर हमला या सुनियोजित गुंडाराज? रायगढ़ में बेलचे से पीटा गया ढाबा संचालक – पुलिस ने दबा दी आवाज़!…

"पैसा मांगना अब गुनाह बन गया है… खाना पसंद नहीं आया, तो बेलचे से पीट डालेंगे?"

रायगढ़। शहर के छातामुड़ा बाईपास चौक स्थित CG13 ढाबा इन दिनों लगातार गुंडागर्दी का शिकार बना हुआ है। तीन दिनों में तीन हमले, बेलचे से पीटकर लहूलुहान कर देना और उसके बाद पुलिस का मौन – यह सब मिलकर दर्शाता है कि शहर में अब कानून नहीं, गुंडे राज कर रहे हैं।

27 जून – पहली कड़ी: खाने के पैसे मांगना पड़ा भारी : कुछ युवक ढाबे में खाना खाकर बिना पैसे दिए निकलने लगे। जब स्टाफ ने बिल मांगा, तो बहसबाजी और गाली-गलौज करते हुए पैसा देकर चले गए। संचालक ने बात को हल्का समझ कर टाल दिया। लेकिन यहीं से कहानी की बर्बर शुरुआत हो चुकी थी।

28 जून की रात – धमकी की पटकथा तैयार: “कल देख लेंगे तुझे” – रात 11 बजे के करीब सामने की चाय दुकान चलाने वाला बिट्टू साह और उसका साथी ढाबे में पहुंचे और स्टाफ को मां-बहन की गालियां देते हुए बोले –

“खाना अच्छा नहीं बनाते हो, पैसे ज़्यादा लेते हो… अब सबक सिखाएंगे!”
संचालक मौके पर पहुंचा, पर तब तक उपद्रवी भाग चुके थे। सूचना पुलिस को दी गई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

29 जून की सुबह – ‘सोते हुए मौत’ देने की कोशिश : बेलचे से हमला, हड्डियां टूटीं –सुबह करीब 9 बजे, जब संचालक और स्टाफ ढाबे के अंदर सो रहे थे, विवेक सिंह, दीपक सिंह और अन्य गुंडे अचानक अंदर घुस आए। सोते हुए लोगों पर बेलचे, मुक्के और लातों से जानलेवा हमला किया गया।

  • संचालक के कंधे, पीठ, चेहरा और पैर की उंगली में गंभीर चोटें आईं,
  • फ्रोमिंग लकड़ा के घुटने,
  • और संजय सिंह के होंठ व गर्दन लहूलुहान हो गए।

गुंडों ने गालियां देते हुए खुलेआम धमकी दी – “अब दोबारा पैसे मांगा, तो चलने लायक नहीं छोड़ेंगे!”

तीन दिन तक बवाल, नामजद आरोपी, चश्मदीद गवाह – फिर भी पुलिस क्यों चुप?

  • ढाबा संचालक ने तीनों घटनाओं की लिखित रिपोर्ट दी।
  • गवाहों ने नाम लेकर बयान दिया।
  • मेडिकल रिपोर्ट में गंभीर चोटें दर्ज हैं।
  • मारपीट का वीडियो भी उपलब्ध है।

इसके बावजूद पुलिस ने केवल हल्की धाराओं में मामला दर्ज किया और आरोपियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। क्या रायगढ़ पुलिस तब जागेगी जब किसी की जान चली जाएगी?

रायगढ़ की जनता पूछ रही है –

  • क्या अपराधियों को अब पुलिस का संरक्षण मिल रहा है?
  • क्या मेहनत करने वालों की सुरक्षा अब किस्मत के भरोसे है?
  • क्या यह शहर बेलचे और धमकियों के हवाले कर दिया गया है?

CG13 ढाबा सिर्फ एक ठिकाना नहीं – यह हर उस इंसान की लड़ाई है जो ईमानदारी से रोटी कमाता है और सम्मान से जीना चाहता है।

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