राज्यपाल ने पत्रकार सुरक्षा कानून पर तोड़ी चुप्पी, शासन को लिखा पत्र ; अटल श्रीवास्तव के हस्तक्षेप के बाद बढ़ी उम्मीदें…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से लंबित पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति द्वारा विधायकों के माध्यम से चलाए जा रहे ज्ञापन अभियान के बाद अब राज्यपाल महोदय ने संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर कानून पर विधिसम्मत कार्रवाई की जानकारी मांगी है।
यह पहल तब और असरदार बन गई जब कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव (कांग्रेस) ने पत्रकारों के ज्ञापन के साथ राज्यपाल को पत्र लिखकर आग्रह किया कि पत्रकार सुरक्षा कानून पर जल्द निर्णय लिया जाए ताकि प्रदेश में पत्रकारों को भयमुक्त वातावरण में कार्य करने की गारंटी मिल सके।
राज्यपाल की चुप्पी टूटी, अब शासन के पाले में गेंद : सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल के पास दो वर्षों से लंबित पत्रकार सुरक्षा कानून के ड्राफ्ट पर अब तक हस्ताक्षर नहीं हुए थे। यह वही ड्राफ्ट है जिसे भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में विधानसभा से पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया था, लेकिन उसके बाद से यह फाइल ठंडे बस्ते में पड़ी थी।
अब जब पत्रकार संगठन ने विधायकों के मार्फत यह मामला उठाया और अटल श्रीवास्तव जैसे जनप्रतिनिधियों ने इसे गंभीरता से लिया, तब जाकर राज्यपाल ने शासन को पत्र लिखकर पूछा है कि कानून पर क्या कार्यवाही की गई है।
अटल श्रीवास्तव ने कहा – अब पत्रकारों को न्याय देना विष्णुदेव साय सरकार की जिम्मेदारी : विधायक अटल श्रीवास्तव ने कहा:
“हमारी सरकार ने पत्रकार सुरक्षा कानून का ड्राफ्ट बनाया, विधानसभा से पारित कराया और राज्यपाल को भेजा। यदि उस समय के राज्यपाल इसपर हस्ताक्षर कर देते, तो आज पत्रकारों को उनका अधिकार मिल चुका होता। अब पत्रकारों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार की है। मैं और मेरी पार्टी कांग्रेस पत्रकारों के साथ हैं। हम यह कानून लागू कराने के लिए हरसंभव संघर्ष करेंगे।”
पत्रकारों की सुरक्षा अब भी अधर में : छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां पत्रकार लगातार भ्रष्टाचार, खनन माफिया, शराब माफिया और सत्ता के गठजोड़ को उजागर करते हैं, उनके लिए सुरक्षा कानून का अभाव एक खुला खतरा बनकर खड़ा है। पिछले वर्षों में कई पत्रकारों पर हमले हुए, धमकियाँ दी गईं, लेकिन कोई सख्त कानूनी सुरक्षा कवच नहीं मिल पाया।
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद शर्मा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश परिहार ने दो टूक कहा:
“हम इस मसले को केवल ज्ञापन तक सीमित नहीं रहने देंगे। यह पत्रकारों की अस्मिता और अधिकार का सवाल है।”
अब सवाल साफ है :
- क्या विष्णुदेव साय सरकार पत्रकारों को वह अधिकार देगी जो उन्हें वर्षों से नसीब नहीं हो पाया?
- क्या पत्रकारों की कलम अब भी राजनीतिक सहमति की मोहताज रहेगी?
- क्या राज्यपाल की चिट्ठी के बाद शासन की नींद टूटेगी या फिर यह पत्र भी फाइलों की कब्रगाह में गुम हो जाएगा?
यह घटनाक्रम छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य शासन इस पत्र को कितनी गंभीरता से लेता है और कब तक पत्रकार सुरक्षा कानून की वास्तविक घोषणा होती है।