रायगढ़

तमनार में सत्ता की छांव में ‘विकास का तमाशा’: शिलान्यास, चरण पादुका और घोषणाओं के बीच मंत्री ने बांटे ‘राजनीतिक संदेश’…

रायगढ़। जिला रायगढ़ के तमनार ब्लॉक में आज ‘पशु मेला’ के बहाने एक बड़ा राजनीतिक आयोजन देखने को मिला, जिसमें राज्य के वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने 1 करोड़ से अधिक के विकास कार्यों का शिलान्यास किया, तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका बांटी, पशुपालकों को सम्मानित किया और केंद्र एवं राज्य सरकार की तमाम योजनाओं की लंबी फेहरिस्त गिनाते हुए आने वाले चुनावों की ज़मीन भी तैयार की।

घोषणाओं की बौछार में गुम हुए मूल सवाल : मंच से वित्त मंत्री ने कहा कि “जब तक राजनीति में रहेंगे, लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए काम करते रहेंगे”। लेकिन इस वादे की पृष्ठभूमि में तमनार के ही कई गाँवों में आज भी पीने का पानी, स्वास्थ्य सेवाएँ और रोजगार की स्थायी व्यवस्था दूर की बात है। करोड़ों के शिलान्यास की झड़ी के बीच यह सवाल अनुत्तरित रहा कि इन योजनाओं का जमीन पर क्रियान्वयन कब और कैसे होगा?

विकास कार्य या प्रतीकात्मक राजनीति? : शिलान्यास किए गए कार्यों में अधिकांश भवन निर्माण, छात्रावास की बाउंड्री वॉल, और रसोई शेड जैसे कार्य शामिल हैं — यानी ऐसी संरचनाएँ जिनका तत्काल और प्रत्यक्ष प्रभाव जनता की बुनियादी जरूरतों से नहीं जुड़ता। क्या यह “विकास” का नाम लेकर ‘स्मारक राजनीति’ नहीं है?

तेन्दूपत्ता संग्राहकों के चरण पादुका: असल मदद या औपचारिकता? : मंत्री ने जिन तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका बांटी, उनका जीवन जंगल और श्रम से जुड़ा है। यह सवाल रह गया कि क्या चरण पादुका उनके रोजमर्रा के संघर्ष का हल है, या केवल एक ‘फोटो ऑप’ भर? क्या उन्हें भूमि अधिकार, स्वास्थ्य बीमा, या सालभर की आय की गारंटी देने की योजनाएँ कभी इस मंच से घोषित होंगी?

‘महतारी वंदन योजना’ की भावनात्मक राजनीति : कार्यक्रम में मंत्री ने बताया कि “महतारी वंदन योजना” की राशि से महिलाओं ने मंदिर तक बना दिए — यह बात प्रशंसनीय हो सकती है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि महिलाओं की आर्थिक जरूरतें अभी भी धार्मिक भावनाओं में उलझाई जा रही हैं। क्या यह राशि वास्तव में शिक्षा, स्वास्थ्य या स्वरोजगार की दिशा में नहीं लगनी चाहिए?

लोकसभा सांसद का हमला : चरण पादुका योजना बंद करने वाली पुरानी सरकार : सांसद राधेश्याम राठिया ने मंच से पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधा कि उसने चरण पादुका योजना बंद कर दी थी। लेकिन यह तथ्य नहीं बताया गया कि पहले योजना बंद क्यों हुई थी, और अब दोबारा शुरू करने का व्यावहारिक लाभ क्या और कितना हुआ?

गौरव की राजनीति: राम मंदिर और दर्शन यात्रा की घो‍षणा : राम मंदिर और रामलाल दर्शन योजना को वित्त मंत्री ने गर्व से जोड़ते हुए बताया कि कैसे मुख्यमंत्री के पहले बजट में ही श्रद्धालुओं को अयोध्या ले जाने की योजना बनी। लेकिन यह नहीं बताया कि ग्रामीण छत्तीसगढ़ में शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन जैसी गंभीर समस्याएँ रामभक्ति से कैसे हल होंगी।

‘एक पेड़ मां के नाम’: इवेंट या पर्यावरणीय चेतना? :कार्यक्रम के समापन पर वित्त मंत्री ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ योजना के तहत पौधारोपण किया। लेकिन सवाल यह है कि पहले से लगे पेड़ बचाने के लिए सरकार के पास क्या नीति है, और पर्यावरणीय आपदाओं से जूझते आदिवासी अंचलों में क्या केवल पौधारोपण ही काफी है?

योजनाओं के पर्दे में सत्ता का ‘कौशल’ : तमनार का यह आयोजन केवल पशु मेला नहीं था, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए एक मंच, जहाँ सरकार ने योजनाओं, प्रतीकों और घोषणाओं के ज़रिए राजनीतिक संदेश देने का कौशल दिखाया। विकास के नाम पर सत्ता की छवि चमकाने की यह रणनीति पुरानी है, लेकिन सवाल यह है कि आदिवासी अंचल की असली जरूरतों  भूमि अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका पर कोई ठोस रोडमैप कब आएगा?

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