खरसिया में PDS चना घोटाला! अंगूठा गरीब का, चना बाजार का सिस्टम चुप, माफिया मस्त…

रायगढ़, छत्तीसगढ़। चना नहीं बंटा, मगर रजिस्टर में सब ‘फिट’! खरसिया के राशन दुकानों में गरीबों के हिस्से का चना महीनेभर से गायब है, और अफसरों की चुप्पी इस लूट को सरकारी संरक्षण में तब्दील कर रही है। अब सवाल सीधा है ‘चना गया कहां?’
ई-पॉश मशीन पर अंगूठा लगवाओ, चना भूल जाओ!
हितग्राही महीनों से लाइन में खड़े हैं, पर झोली खाली और बहानों की झड़ी लगी है। दुकानदार बड़ी सफाई से कहता है, “चना आया ही नहीं”, लेकिन रजिस्टर में सब बंट चुका दिखता है! क्या ये ‘डिजिटल लूट’ का नया मॉडल है?
👉 सरपंच से लेकर ग्रामीण तक उबल पड़े हैं :
“चना कभी आया ही नहीं, तो रजिस्टर में कैसे बांटा दिखाया गया?”
“हमारा अंगूठा लेकर कालाबाजारी कर रहे हैं। चना बाजार में बिक रहा है, और अधिकारी कागज़ों में आंकड़े गिन रहे हैं!”
चना की गंध मंडियों में, नहीं राशन की झोपड़ियों में!
ग्रामीण महिला बसंती निषाद ने सीधे आरोप जड़ते हुए कहा –
“हमसे अंगूठा लिया, फिर कहा चना खत्म! लेकिन बाजार में उसी चने की बोरियां बिक रही हैं… क्या यही है ‘जनकल्याण’?”
यह घोटाला नहीं, सुनियोजित ‘सरकारी डकैती’ है!
सूत्र बता रहे हैं कि दुकानदार, डिपो प्रभारी, और खाद्य निरीक्षकों की मिलीभगत से यह ‘चना सिंडिकेट’ चल रहा है। राशन गोदाम से लेकर बाजार तक सबकी जेबें भरी जा रही हैं, बस गरीबों की थाली खाली रह गई।
खाद्य विभाग का घिसा-पिटा जवाब :
“चना भेजा जा चुका है…जांच चल रही है…”
लेकिन सवाल है — जांच कब खत्म होगी? जवाबदेही कब तय होगी? या फिर ये जवाब भी सिर्फ ‘चना खत्म’ का सरकारी संस्करण है?
विपक्ष ने सत्ता को घेरा :
“गरीबों का चना खा रहे हैं सत्ता के सियार! जांच नहीं, कार्रवाई चाहिए… वरना जनता खुद हिसाब लेगी।”
🔴 अब खरसिया का जनाक्रोश भड़क चुका है।
पिछले दरवाजे से गायब हुआ चना अब सत्ता की पेशानी पर सवाल बनकर खड़ा है –
- क्या PDS अब ‘Private Distribution Scam’ बन गया है?
- कब टूटेगा अफसरशाही और माफिया का गठजोड़?
- क्या सरकार में हिम्मत है इस घोटाले का पर्दाफाश करने की?
🔥 चना तो गया, लेकिन अब सवाल जलने लगे हैं!
📢 यह केवल चना नहीं, गरीब की इज्जत, अधिकार और भरोसे की डकैती है। अब खरसिया चुप नहीं बैठेगा या तो घोटाला उजागर होगा, या फिर कुर्सियाँ हिलेंगी!