“लाठी लेकर विधानसभा!” चरणदास महंत के बयान से मचा सियासी भूचाल, कांग्रेस के तेवर तीखे, भाजपा ने बताया लोकतंत्र पर हमला

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों ‘लाठी’ की धमक गूंज रही है, और इसकी प्रतिध्वनि सीधे विधानसभा तक सुनाई दे रही है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने आगामी मानसून सत्र में ‘लाठी लेकर विधानसभा जाने’ की घोषणा कर दी है, जिससे प्रदेश की सियासत में हलचल मच गई है। कांग्रेस की मैराथन बैठक में जहां महंत की ‘चुप्पी’ को लेकर सवाल उठे, वहीं अब उनका यह आक्रामक बयान कांग्रेस के भीतर और बाहर नई हलचल पैदा कर रहा है।
“इस बार सभी लाठी लेकर जाएंगे!” – डॉ. चरणदास महंत : छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर विपक्ष ने कमर कस ली है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस बार जनहित के मुद्दों को न केवल मजबूती से उठाया जाएगा, बल्कि सदन में सभी सदस्य लाठी लेकर जाएंगे। यह बयान ऐसे समय आया है जब स्वयं कांग्रेस में उनकी निष्क्रियता पर उंगलियां उठ रही थीं। अब महंत के तेवरों ने सत्ता पक्ष को भी सचेत कर दिया है।
पहले भी दे चुके हैं लाठी संबंधी विवादास्पद बयान : यह पहली बार नहीं है जब डॉ. महंत ने ‘लाठी’ का उल्लेख किया है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी वे चुनावी मंच से ‘लाठी मारने’ की बात कहकर विवादों में आ चुके हैं। उस समय भाजपा ने उनके बयान की तीखी आलोचना की थी। अब एक बार फिर ‘लाठी लेकर विधानसभा जाने’ की बात कहकर महंत ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। क्या यह प्रतीकात्मक चेतावनी है या रणनीतिक संदेश? फिलहाल इतना तय है कि विपक्ष आर-पार की लड़ाई के मूड में है।
भाजपा का पलटवार – “लोकतंत्र में लाठी नहीं, तर्क चलना चाहिए” :महंत के बयान पर भाजपा ने तत्काल प्रतिक्रिया दी है। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए कहा —
“लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। विधानसभा संवाद और समाधान का मंच है, न कि प्रदर्शन का। ‘लाठी’ की भाषा जनादेश का अपमान है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि चुनाव में जनता पहले ही अपनी लाठी चला चुकी है, और कांग्रेस को अब आत्ममंथन करना चाहिए।
सटीक समय और सियासी संकेत : महंत का यह बयान केवल आवेग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक चाल भी प्रतीत होता है। जब पार्टी के भीतर उनके खिलाफ आलोचना तेज हो रही थी, तब उन्होंने स्वयं को आक्रामक भूमिका में लाकर एक स्पष्ट संदेश दे दिया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे सच में विपक्ष को धार देंगे, या यह भी केवल एक राजनीतिक नाटक भर रह जाएगा।
सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस पूरी तरह तैयार : कांग्रेस की रणनीति इस बार सड़कों से लेकर सदन तक स्पष्ट दिखाई दे रही है। डॉ. महंत का ‘लाठी वाला बयान’ केवल प्रतीक नहीं, बल्कि विपक्ष के इरादों का ऐलान है – “सरकार को बख्शा नहीं जाएगा, और हर मुद्दे पर घेराव सुनिश्चित किया जाएगा।”
बेरोजगारी, महंगाई, कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और आदिवासी अधिकार जैसे मुद्दों पर विपक्ष का रुख तल्ख रहने वाला है। जाहिर है, इस बार विधानसभा का मानसून सत्र सिर्फ बारिश नहीं, सियासी तूफान भी लेकर आने वाला है।
अब सवाल यह नहीं कि ‘लाठी’ आएगी या नहीं… असली सवाल है — विपक्ष सचमुच गरजेगा या केवल नारेबाज़ी कर लौट जाएगा?