जशपुर

“रेत में लाशें… और सिस्टम की चुप्पी!” तपकरा में दिल दहलाने वाला नरसंहार!…

• मां और दो मासूम बच्चों की बेरहमी से हत्या - हत्यारा बोला और गायब हो गया...!

जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में आज इंसानियत का क़त्ल सिर्फ तीन लाशों से नहीं हुआ।बल्कि पूरी व्यवस्था की आत्मा पर लानत लग गई!तपकरा के साजबहार गांव की रेत में आज वो सच दफन मिला, जिसने पूरे प्रदेश की आंखें खोल दी हैं।

“मैंने मारा है, रेत में गाड़ दिया!” – नशे में धुत व्यक्ति की चीख और फिर… खौफनाक खुलासा!

गांव का रहने वाला प्रमोद गिद्धी शराब के नशे में चिल्लाता मिला
“मैंने एक औरत और दो बच्चों को मारकर नदी किनारे रेत में दफना दिया है!”

पहले लोगों ने मजाक समझा।
फिर पुलिस आई।
और जब रेत हटाई गई — तो मौत सामने थी!

6 साल का मासूम लड़का — मृत!
11 साल की बच्ची — मृत!
36 साल की महिला — मृत!
इंसानियत — शर्मसार!

और अब?

अब सिस्टम कह रहा है –
“अभी हत्या साबित नहीं हुई, मर्ग कायम है, पीएम रिपोर्ट का इंतज़ार है!”

क्या किसी की लाश दफनाई जाती है बिना हत्या के?
क्या तीन मौतें यूं ही इत्तेफाक हैं?
क्या आरोपी की ‘स्वीकारोक्ति’ को भी कूड़े में फेंक दिया जाएगा?

जांच नहीं, कार्रवाई चाहिए! पोस्टमार्टम नहीं, इंसाफ चाहिए!

एसएसपी शशि मोहन सिंह खुद मानते हैं:
“प्रथम दृष्टया मामला हत्या का लगता है। आरोपी फरार है। जांच जारी है।”

लेकिन जनता पूछ रही है –
👉 “क्या रेत से निकली लाशें गवाही नहीं देतीं?”
👉 “क्या बच्चों की मौत को भी अब फाइलों में धकेला जाएगा?”
👉 “कब तक हर हत्या एक ‘प्रथम दृष्टया’ बनकर रह जाएगी?”

गांव में कोहराम – हत्यारे की गिरफ्तारी नहीं तो उग्र आंदोलन तय!

साजबहार के ग्रामीण अब चुप नहीं बैठेंगे।
लोगों का साफ कहना है –
“अगर इस बार हत्यारे को छोड़ा गया, तो तपकरा थाने को जनता के सवाल जला देंगे!”

ये सिर्फ क्राइम नहीं –

ये सिस्टम की चुप्पी और लापरवाही की सरेआम पोल है!
बच्चों की लाशें अगर चीख सकतीं
तो शायद पूछतीं :
“हमें क्यों मारा गया?”
“हमारी मां की क्या गलती थी?”
“हत्यारा खुले में क्यों घूम रहा है?”

अब देर नहीं!

अगर अब कार्रवाई नहीं होती —
तो तपकरा सिर्फ एक गांव नहीं,
छत्तीसगढ़ का प्रतीक बन जाएगा — उस सिस्टम का,
जो हत्यारे को ढूंढ़ने से पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार करता है!

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