मैनी नदी बनी मौत का दरिया : पुटू बीनने गईं मां-बेटी समेत चार बहे, एक का शव मिला – बाकियों की तलाश जारी, मातम में डूबा सरगुजा…

सरगुजा। छत्तीसगढ़ के सरगुजा में एक और दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। ढोढ़ागांव की दो महिलाएं और दो मासूम बच्चे पुटू बीनने जंगल गए थे, लेकिन लौटते वक्त उफनती मैनी नदी ने उन्हें हमेशा के लिए लील लिया। अब तक एक महिला का शव बरामद हुआ है, जबकि तीन लापता हैं। नदी के बहाव में बहे इन लोगों की तलाश में SDRF और पुलिस की टीम खून-पसीना एक कर रही है, लेकिन अभी तक सिर्फ मायूसी हाथ लगी है।
बच्चों की चीखें, मांओं की पुकार – सब कुछ निगल गई मैनी नदी।
गुरुवार शाम, ढलते सूरज के साथ सरगुजा में मौत ने दस्तक दी। केरजू चौकी क्षेत्र के ढोढ़ागांव से सोमारी (45 वर्ष), उनकी 8 वर्षीय बेटी अंकिता, बिनावती (30 वर्ष) और तीन साल का मासूम आरयस जंगल में पुटू बीनने निकले थे। लौटते समय नदी उफान पर थी – पर कोई चेतावनी नहीं, कोई सुरक्षा इंतज़ाम नहीं। पलभर में चार ज़िंदगियां बह गईं – मासूम सपनों समेत।
आज सुबह, नदी के बीचोंबीच एक महिला का शव फंसा मिला। SDRF और पुलिस की टीम जैसे-तैसे उसे निकालने की कोशिश कर रही है। बाकी तीन लापता दो बच्चे और एक महिला – न जाने कहां बह गए, किसी पेड़ की जड़ों में अटके हैं या नदी के पत्थरों के नीचे दबे हैं…
मौके पर पहुंचे सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो, लेकिन गांव वालों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। लोग पूछ रहे हैं –
🔸 हर साल मैनी नदी उफनती है, फिर क्यों नहीं कोई चेतावनी बोर्ड?
🔸 क्या आदिवासियों की जान इतनी सस्ती है?
🔸 क्या प्रशासन सिर्फ लाश मिलने के बाद जागेगा?
सरगुजा में हर साल सैकड़ों ग्रामीण जान हथेली पर रखकर जंगलों में जाते हैं – जलावन, पुटू, महुआ, तेंदू के लिए। लेकिन उनके जीवन की सुरक्षा की किसी को फिक्र नहीं। नदी के बहाव से ज़्यादा खतरनाक है सिस्टम की बेरुखी और लापरवाही।