जशपुर

पत्थलगांव के कछार में आदिवासी जमीन पर खुली लूट!…

• बिना आदेश, बिना प्रक्रिया—पटवारी, सरपंच और सचिव की मिलीभगत से आदिवासी की जमीन हड़पने का सनसनीखेज मामला उजागर!...

जशपुर। जिले के पत्थलगांव तहसील अंतर्गत ग्राम कछार से आदिवासी अधिकारों को रौंदती एक गंभीर और शर्मनाक घटना सामने आई है। ग्राम कछार स्थित खाता नंबर 299, जो कि आदिवासी बुधु उरांव के नाम दर्ज है, के टुकड़ा क्रमांक 03 और 04 की रजिस्ट्री अवैध रूप से कर दी गई। इस रजिस्ट्री में न तो राजस्व प्रक्रिया 170(ख) का पालन हुआ, न ही किसी सक्षम अधिकारी का आदेश लिया गया।

पटवारी कृष्ण कुमार यादव पर गंभीर आरोप : पटवारी कृष्ण कुमार यादव पर आरोप है कि उन्होंने भारी आर्थिक लाभ लेकर न सिर्फ अवैध रजिस्ट्री कराई, बल्कि जानबूझकर चौहद्दी दर्शाकर जमीन का फर्जी सीमांकन भी कर दिया। उन्होंने नियमों और अधिकारों को दरकिनार करते हुए ग्राम पंचायत प्रस्ताव के माध्यम से नामांतरण की प्रक्रिया पूरी कर दी, जो न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि आदिवासी हितों के भी विरुद्ध है।

सरपंच और सचिव की संदिग्ध भूमिका : ग्राम पंचायत कछार के सरपंच और सचिव ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदिवासी भूमि के नाम में संशोधन के लिए पंचायत प्रस्ताव पारित किया, जो पूरी तरह अवैध और पक्षपातपूर्ण प्रतीत होता है। स्थानीय शासन तंत्र के ये प्रतिनिधि भूमाफियाओं की भाषा बोलते नजर आ रहे हैं, ना कि जनता के हितों की।

डायरेक्ट नामांतरण बना लूट का हथियार : इस मामले ने यह साफ कर दिया है कि डायरेक्ट नामांतरण प्रणाली, जिसे शासन ने पारदर्शिता और सुगमता के लिए लागू किया था, अब सरकारी और आदिवासी भूमि की लूट का हथियार बनता जा रहा है। जब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक इस प्रक्रिया का दुरुपयोग होता रहेगा।

जांच आवश्यक, कार्रवाई अनिवार्य : 

  • पटवारी कृष्ण कुमार यादव के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर निलंबन की मांग उठ रही है।
  • सरपंच और सचिव की भूमिका की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।
  • संपूर्ण प्रकरण में रजिस्ट्री और नामांतरण से संबंधित दस्तावेजों की समीक्षा कर दोषियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए

अगर अब भी चुप रहा प्रशासन…तो यह मामला एक असाधारण विसंगति नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की जमीन और अधिकारों के खिलाफ सुनियोजित हमले की शुरुआत मानी जाएगी। अगर आज सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो कल पूरे जशपुर में ऐसी घटनाएं आम बात बन जाएंगी।

आवाज़ उठाइए, अन्याय के खिलाफ खड़े होइए : यह सिर्फ एक जमीन का मामला नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता, स्वाभिमान और संविधानिक अधिकारों की लड़ाई है।

अब या तो न्याय होगा, या संघर्ष होगा।

जशपुर जाग रहा है – अब अन्याय नहीं सहा जाएगा!

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