मजदूर यूनियन और अधिकारियों की मिलीभगत से बीएसपी में घुसे विदेशी?, एसटीएफ कर सकती है कार्यवाही

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। बालोद जिले के दल्ली राजहरा स्थित स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) में कई बांग्लादेशी, म्यांमार तथा पाकिस्तानी नागरिक अवैध रूप से फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी करने की शहर में चर्चा है। बीएसपी में कई कर्मचारी नियमित तथा ठेका श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे है जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। वही मजदूर यूनियन के धनलोलुप नेता अपने फायदे के लिए बिना जांच पड़ताल किए ऐसे विदेशी अप्रवासी नागरिकों को सेल की नवरत्न कंपनी बीएसपी में नौकरी दिलवा देते है वही बीएसपी के गैर-जिम्मेदाराना अधिकारी बिना गहन जांच पड़ताल किए ऐसे लोगों को नौकरी पर रख लेते है।
गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दल्ली राजहरा स्थित लौह अयस्क खदानो में सैकड़ों की संख्या में बंग्लादेशी तथा पाकिस्तानी नागरिक नौकरी कर रहे है वही यहां के थाने में जिनका दुरुस्त रिकॉर्ड तक उपलब्ध नहीं है। कुछ बीएसपी के अधिकारी रिश्वत में मिली रकम के लालच में ऐसा कृत्य कर रहे है।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के दल्ली राजहरा स्थित स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) में अवैध रूप से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से नौकरी कर रहे बांग्लादेशी और पाकिस्तानी नागरिकों की उपस्थिति राज्य की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। सूत्रों के अनुसार, बीएसपी की लौह अयस्क खदानों में सैकड़ों विदेशी नागरिक नियमित और ठेका श्रमिक के रूप में कार्यरत हैं, जिनके दस्तावेजों की वैधता संदिग्ध है। शहर ने चर्चा है कि कई वर्ष पूर्व पाकिस्तान और बांग्लादेश से चोरी छुपे कई परिवार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर, महासमुंद इत्यादि शहरों में आ बसे है। वही इन बड़े शहरों में पुलिस के खतरे के कारण ये छत्तीसगढ़ में दूर दराज वाले इलाकों और छोटे शहरों में जाकर बस गए है वही ये फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवा लिए है। अब ये इन शहरों में दुकानें, खेत, फैक्ट्री खोलकर प्रशासन को गुमराह कर रहे है। वही इनमें से कुछ देश में प्रमुख राजनीतिक दलों में नेता, कार्यकर्ता, पार्षद व पंच तक बन गए है। जिसकी ईमानकारी से गहन जांच पड़ताल की जानी बेहद जरूरी है। लोगो द्वारा कयास लगाए जा रहे है कि विदेशी ताकतों द्वारा जानबूझकर इन्हें भारत में भेजा गया है ताकि ये यहां अवैध कार्यों में लिप्त होकर देश को खोखला कर सके।
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान और कार्यवाही के लिए प्रत्येक जिले में विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया है। राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने निर्देश दिए हैं कि सभी जिलों में इन टास्क फोर्सों के माध्यम से अवैध अप्रवासियों खासकर पाकिस्तानी सिंधी, मुस्लिम, बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें निष्कासित किया जाए। दुर्ग जिले में हाल ही में एक बांग्लादेशी महिला शाहिदा खातून, जो ‘ज्योति’ नाम से रह रही थी और उसके पति रसेल शेख को गिरफ्तार किया गया। दोनों ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और पासपोर्ट बनवाए थे। इसी तरह, रायगढ़ जिले में दो पाकिस्तानी नागरिकों, इफ्तिखार शेख और अर्निश शेख को फर्जी जानकारी देकर भारतीय दस्तावेज प्राप्त करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। नियमत: बीएसपी में कार्यरत लोगों की सूची बनाकर इनकी पिछले 15 से 20 वर्षों के रिकार्ड की गहन जांच की जानी चाहिए वहीं इनके मूल निवास की तस्दीक की जानी चाहिए।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 के तहत, अवैध रूप से भारत में रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा सकती है। इनमें गिरफ्तारी, निष्कासन और फर्जी दस्तावेज बनाने या उपयोग करने पर सजा का प्रावधान है।
अवैध अप्रवासियों को नौकरी दिलाने में शामिल सरकारी कर्मचारियों, मजदूर यूनियनों और अन्य भारतीय नागरिकों के खिलाफ भी कार्यवाही की जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर भारत में रह रहे ऐसे अप्रवासियों विदेशी नागरिकों को सहायता प्रदान करता है या फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करता है, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही संभव है।
छत्तीसगढ़ में अवैध अप्रवासियों की उपस्थिति न केवल राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक संरचना को भी प्रभावित करती है। भिलाई इस्पात संयंत्र के द्वारा इनकी अलग अलग खदानों और फैक्ट्रियों में कार्यरत कर्मचारियों व अधिकारियों के जमा सभी दस्तावेजों की बारीकी से जांच पड़ताल की जानी बेहद जरूरी है। वही इनके दस्तावेजों में खासकर इनके अनुभव (एक्सपीरियंस) प्रमाण पत्र की जांच बेहद जरूरी है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए सभी संबंधित विभागों, नागरिकों और समाज के सभी वर्गों को मिलकर प्रयास करने होंगे तथा इस संबंध में जानकारी पुलिस से साझा करनी चाहिए।