युक्तियुक्तकरण में लापरवाही पर डौंडी बीईओ निलंबित : संभागायुक्त ने की सख्त कार्यवाही

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन) में गंभीर अनियमितताओं और नियमों की अनदेखी के चलते डौंडी विकासखंड के शिक्षा अधिकारी (बीईओ) जयसिंह भारद्वाज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह कार्यवाही दुर्ग संभाग के आयुक्त सत्य नारायण राठौर द्वारा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 के नियम 9(1)(क) के तहत की गई है।
जांच में पाया गया कि डौंडी बीईओ जयसिंह भारद्वाज ने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में कुटरचना करते हुए नियमों का उल्लंघन किया। उन्होंने परिवीक्षा अवधि में कार्यरत शिक्षिका रीता ग्रेवाल को अनुचित रूप से अतिशेष घोषित किया। इसके अतिरिक्त, पूर्व माध्यमिक शाला कुमुड़कट्टा में गणित विषय के एकमात्र शिक्षक नूतन कुमार साहू को भी अतिशेष घोषित कर दिया गया, जिससे विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हुई। अन्य विद्यालयों, जैसे पूतरवाही, धुरवाटोला और साल्हे में भी वास्तविक अतिशेष शिक्षकों के स्थान पर गलत शिक्षकों को चिन्हांकित किया गया।
इन कृत्यों को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 के उल्लंघन और गंभीर लापरवाही एवं कदाचार की श्रेणी में माना गया है। निलंबन अवधि के दौरान जयसिंह भारद्वाज का मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, बालोद निर्धारित किया गया है। यह कार्यवाही शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सके।
गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डौंडी बीईओ जयसिंह भारद्वाज ने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में कुटरचना करते हुए और भी कई शिक्षकों को अतिशेष घोषित किया है और लाखों रुपए लेकर ये कूटरचना और हेरफेर की गई है। वही विभागीय सूत्र बताते है कि इनकी संपत्ति करोड़ों में है जिसकी नियमानुसार जांच की जानी चाहिए।
किसी शिक्षक को “अतिशेष” (सरप्लस) घोषित करना तब होता है जब किसी विद्यालय में शिक्षक की आवश्यकता से अधिक संख्या हो जाती है। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं जैसे छात्र संख्या में कमी – यदि छात्रों की संख्या घट जाती है तो शिक्षकों की जरूरत भी कम हो जाती है। नई पदस्थापना या स्थानांतरण – कभी-कभी एक स्कूल में ज्यादा शिक्षक आ जाते हैं जबकि जरूरत कम होती है। विषय के अनुसार जरूरत – यदि किसी विषय विशेष के शिक्षक अधिक हो जाएं और उस विषय के छात्रों की संख्या कम हो तो उस शिक्षक को अतिशेष घोषित किया जा सकता है।
अतिशेष घोषित शिक्षक को अस्थायी रूप से अन्य जरूरतमंद स्कूल में अटैच किया जा सकता है। जिले में रिक्त पद वाले किसी अन्य स्कूल में पदस्थ किया जा सकता है। यह प्रक्रिया शैक्षिक संतुलन बनाए रखने और सभी स्कूलों में शिक्षकों की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए की जाती है।