रायगढ़

“नोबेल दिलाओ रायगढ़ बचाओ” आंदोलन की हुंकार…

• रसायन और शांति के क्षेत्र में 'उल्लेखनीय योगदान' के लिए पर्यावरण अधिकारी अंकुर साहू को नोबेल पुरस्कार दिलाने की मांग...

रायगढ़, छत्तीसगढ़। एक तरफ रायगढ़ की फिजा में सांस लेना दूभर हो चुका है, जहरीली हवा और प्रदूषित जल जिले को बीमारियों और दुर्घटनाओं का अखाड़ा बना चुका है – वहीं दूसरी तरफ, पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी अंकुर साहू के कार्यकाल में “23 जनसुनवाई” करवाने का अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित कर, उन्हें नोबेल पुरस्कार दिलाने की मांग उठाई जा रही है।

‘रायगढ़ बचाओ – लड़ेंगे रायगढ़’ संस्था ने इस माँग को लेकर छत्तीसगढ़ शासन के सुशासन तिहार कार्यक्रम के अंतर्गत एक तीखा और व्यंग्यपूर्ण ज्ञापन सौंपा है, जिसमें सैकड़ों नागरिकों के हस्ताक्षर शामिल हैं।

ज्ञापन में संस्था ने कहा है कि –

“जब कोई अधिकारी अपने कार्यकाल में 32 महीनों में हजारों किलोमीटर सरकारी वाहन से यात्रा करके, 23 जनसुनवाई करवा ले और इसके बावजूद रायगढ़ देश का नहीं बल्कि विश्व का एक शीर्ष प्रदूषित जिला बनने की ओर अग्रसर हो – तो वह निश्चित ही ‘शांति’ और ‘रसायन’ के क्षेत्र में एक अद्वितीय योगदानकर्ता माना जाएगा। ऐसे अधिकारी को नोबेल पुरस्कार मिलना ही चाहिए।”

ज्ञापन में यह भी व्यंग्य किया गया है कि,

“साहू साहब ने जहाँ-जहाँ जनसुनवाई की, वहाँ-वहाँ उद्योगों और कोयला खदानों को हरी झंडी मिली, और वहाँ से निकले रासायनिक तत्व आज रायगढ़ की जल, जंगल और जमीन में फैल चुके हैं। यह योगदान रसायन शास्त्रियों के लिए शोध का विषय बन गया है।”

संस्था ने आगे यह भी दावा किया कि,

“रायगढ़ के हित में संघर्ष करने वाली आवाजों को शांत करने के प्रयास में साहू साहब ने जिस ‘शांति’ को जन्म दिया है, वह शांति का नोबेल पाने योग्य है।”

📣 रैली और आंदोलन की तैयारी : संस्था ने यह भी घोषणा की है कि वे आने वाले दिनों में “नोबेल दिलाओ – रायगढ़ बचाओ” के नारे के साथ एक जनरैली आयोजित करेंगे। इस रैली के माध्यम से जनता की पीड़ा, प्रदूषण के भयावह परिणाम और शासन-प्रशासन की आंख मूंद नीति को उजागर किया जाएगा।

📩 कलेक्टर को भेजी गई अनुशंसा : नवपदस्थ कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी को इस ज्ञापन की एक प्रति भेजी गई है और उनसे आग्रह किया गया है कि वे स्वीडन की नोबेल समिति को इस “जन-सिफारिश” को आधिकारिक अनुशंसा के साथ प्रेषित करें।

✍ हस्ताक्षरकर्ता : विनय शुक्ला, बासु शर्मा, शेख कलीमुल्ला, शमशाद अहमद, अक्षत खेड़ुलकर, ऋषभ मिश्रा, मुजीब अहमद, तिजेश जायसवाल, योगेंद्र यादव, अभीषेक पटेल, शौर्य अग्रवाल, किशन सिदार, इनाम सिद्दीकी, हरि मिश्रा, आकर्ष शर्मा, अनिल चीकू समेत सैकड़ों जनप्रतिनिधि।

यह प्रेस विज्ञप्ति न केवल शासन की ढुलमुल कार्यशैली पर एक तीखा व्यंग्य है, बल्कि रायगढ़ की जनता की बढ़ती पीड़ा और उनके आक्रोश की दस्तावेजी अभिव्यक्ति भी है। एक ओर रायगढ़ देश में प्रदूषण की राजधानी बनने की ओर बढ़ रहा है, दूसरी ओर ऐसे अधिकारियों के लिए नोबेल की सिफारिश जनता कर रही है – यह शासन और समाज के लिए चेतावनी है।

रायगढ़ बचेगा तो ही साँस बचेगी।
🛑 प्रदूषण पर पर्दा नहीं – जवाब दो!
📢 नोबेल दिलाओ आंदोलन में जनता होगी निर्णायक।

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