सूरजपुर

प्रकाश इंडस्ट्रीज की चाल पर भड़के ग्रामीण : बिना राजस्व अधिकारी के कराई गई ग्रामसभा, ज़मीन हड़पने की गहरी साजिश का आरोप…

ग्राम केवरा में ग्रामीणों का कंपनी की ग्रामसभा से बहिष्कार, फूटा आक्रोश – उग्र आंदोलन की चेतावनी...

सूरजपुर।  छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में कंपनियों द्वारा मनमानी की एक और कड़ी सामने आई है। सरगुजा संभाग के ग्राम केवरा में प्रकाश इंडस्ट्रीज द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर आयोजित ग्रामसभा उस समय विवादों के घेरे में आ गई, जब यह खुलासा हुआ कि सभा में न तो राजस्व अधिकारी मौजूद थे और न ही किसी भी प्रकार की प्रशासनिक निगरानी। ग्रामीणों ने इसे एक सुनियोजित साजिश बताते हुए सभा का बहिष्कार कर दिया और कड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।

ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी द्वारा यह ग्रामसभा सिर्फ कागजी खानापूर्ति और ग्रामीणों को धोखे में रखकर दस्तखत करवाने के उद्देश्य से बुलाई गई थी। “यह ज़मीन हड़पने की एक गहरी और खतरनाक चाल है,” ग्रामवासियों का आरोप है।

🔥 “अगर जबरन ज़मीन ली गई, तो होगा संघर्ष – जिम्मेदार होंगे प्रशासन और कंपनी” : सभा स्थल पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर नारेबाजी की और प्रकाश इंडस्ट्रीज के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। आशीष प्रताप सिंह देव, शांतनु सिंह समेत अनेक स्थानीय नेताओं ने मंच से खुलकर कहा:

“बिना किसी सरकारी निगरानी के ग्रामसभा बुलाना लोकतंत्र का अपमान है। यह ग्रामीणों के अधिकारों का खुलेआम हनन है। अगर प्रशासन और कंपनी ने होश नहीं संभाला तो सड़क से सदन तक उग्र आंदोलन होगा।”

⚠️ गंभीर सवाल : क्या बिना प्रशासनिक उपस्थिति के ग्रामसभा वैध है? : इस पूरे घटनाक्रम ने कंपनी के इरादों और प्रशासन की भूमिका पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामसभा में राजस्व अधिकारी की गैर-मौजूदगी न सिर्फ प्रक्रिया की वैधता को खत्म करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कंपनी किस हद तक जाकर ग्रामीणों को धोखा देने की कोशिश कर रही है।

✊ “गांव एकजुट है, जमीन पर कोई सौदा नहीं” – ग्रामीणों का ऐलान : केवरा ग्रामवासियों ने स्पष्ट कर दिया है कि अब कोई भी निर्णय चाहे वह मुआवजा हो या जमीन हस्तांतरण सिर्फ सरकारी निगरानी, कानूनी पारदर्शिता और उचित न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही स्वीकार्य होगा।

“हमारी जमीन हमारी अस्मिता है। हम किसी भी कीमत पर इसे लूटने नहीं देंगे। प्रकाश इंडस्ट्रीज की यह चालबाज़ी अब और नहीं चलेगी।”

🔍 क्या करेगा जिला प्रशासन? : अब सबसे बड़ा सवाल है कि इस गंभीर और संवेदनशील मामले में सरगुजा जिला प्रशासन क्या रुख अपनाएगा। क्या कंपनी के खिलाफ जांच शुरू होगी? क्या ग्रामीणों के सवालों का जवाब मिलेगा? या यह विरोध भी अन्य ग्रामीण आंदोलनों की तरह सत्ता और सिस्टम की अनदेखी का शिकार बन जाएगा?

मुख्य तथ्य:

  • 🛑 बिना राजस्व अधिकारी के ग्रामसभा आयोजित की गई
  • ⚠️ कंपनी पर गुमराह कर जबरन हस्ताक्षर कराने का आरोप
  • ग्रामीणों ने सभा का बहिष्कार कर दिया आंदोलन का अल्टीमेटम
  • 💰 पारदर्शिता, कानूनी प्रक्रिया और उचित मुआवज़े की मांग

यह रिपोर्ट प्रशासनिक संवेदनशीलता और जन अधिकारों के हनन की एक बड़ी तस्वीर प्रस्तुत करती है। यदि इस पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संघर्ष राज्यव्यापी आंदोलन में तब्दील हो सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!