भारतमाला में भ्रष्टाचार का महाघोटाला ! किसानों की ज़मीन पर लूटा गया मुआवज़ा…
• "रायपुर से राजनांदगांव तक बिछी मुआवज़ा लूट की फोरलेन सड़क...!"

रायपुर। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना अब घोटालों का पर्याय बनती जा रही है। रायपुर-विशाखापट्टनम इकॉनॉमिक कॉरिडोर में करीब 325 करोड़ रुपये का मुआवजा घोटाला उजागर होने के बाद, अब दुर्ग और राजनांदगांव जिलों में अधिग्रहित भूमि के मुआवजा भुगतान में गंभीर अनियमितताओं की परतें खुल रही हैं। संभागायुक्त कार्यालय दुर्ग ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए दावा-आपत्तियों और शिकायतों की नई सूची आमंत्रित की है।
जांच के घेरे में दुर्ग और राजनांदगांव की प्रशासनिक मशीनरी : जानकारी के मुताबिक, दुर्ग जिले के दुर्ग और पाटन अनुविभागों तथा राजनांदगांव जिले के मुख्य अनुविभाग में भू-अर्जन की गई भूमि की जानकारी संबंधित कलेक्टर कार्यालयों की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई है। यदि किसी किसान या ज़मीन मालिक को मुआवजा निर्धारण या प्रक्रिया को लेकर आपत्ति है, तो वे 15 दिनों के भीतर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
फर्जी दावेदारों को भुगतान, असली ज़मीन मालिक वंचित : प्रभावित गांवों के किसानों का आरोप है कि भू-अर्जन के दौरान नकली दस्तावेज़ों के ज़रिए फर्जी दावेदारों को मोटी रकम बांट दी गई, जबकि असली ज़मीन मालिकों को मुआवजा देने से या तो इंकार किया गया या उन्हें औने-पौने दाम थमा दिए गए। दुर्ग-रायपुर सिक्सलेन बायपास निर्माण हेतु दुर्ग, पाटन, अभनपुर, आरंग और राजनांदगांव के 51 गांवों की ज़मीन अधिग्रहीत की गई थी, जिसमें कई स्थानों पर कानून और प्रक्रिया का खुला उल्लंघन हुआ।
शासन गंभीर, ईओडब्ल्यू को सौंपी गई जांच : भारतमाला परियोजना में लगातार उभरते घोटालों के बीच राज्य शासन ने इस मामले की जांच की कमान ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) और एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) को सौंप दी है। सभी संभागायुक्तों को कहा गया है कि वे मुआवजा वितरण की जांच करें और रिपोर्टें सार्वजनिक पोर्टल पर अपलोड करें।
इन पांच बिंदुओं पर हो रही जांच:
- क्या अधिग्रहित भूमि का सही मूल्यांकन किया गया?
- क्या मुआवजा असली ज़मीन मालिकों को मिला?
- फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर भुगतान हुआ या नहीं?
- प्रक्रिया में नियमों का पालन हुआ या अनदेखी की गई?
- क्या किसी प्रभावशाली व्यक्ति या अधिकारी ने गड़बड़ी में भूमिका निभाई?
प्रदेशव्यापी जांच की आंच अब हर जिले तक : राज्य में रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, धमतरी, कांकेर, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, बिलासपुर, कोंडागांव और जांजगीर-चांपा जैसे 11 जिलों से गुजरने वाली इस मेगा परियोजना में अब हर जिले में अधिग्रहण से लेकर भुगतान तक की जांच की जा रही है। जिन अधिकारियों की मिलीभगत सामने आएगी, उन पर एफआईआर और विभागीय कार्रवाई की तैयारी भी शुरू हो चुकी है।