बिलासपुर

“मस्तूरी थाना की गोपनीयता तार-तार: वही आरक्षक, वही करतूत – विभाग कब जागेगा…?”

बिलासपुर | जिले के मस्तूरी थाना में लंबे समय से पदस्थ एक आरक्षक पुलिस विभाग की छवि को लगातार धूमिल कर रहा है। विभागीय गोपनीयता के खुलेआम उल्लंघन और अवैध कार्यों में कथित संलिप्तता के गंभीर आरोप इस आरक्षक पर लग चुके हैं। पहले पचपेड़ी में कांड कर चुका यही आरक्षक अब मस्तूरी थाने को भी विवादों की गर्त में धकेल रहा है।

पहले भी विवादों में रहा, अब फिर दोहराई जा रही करतूत : सूत्रों के अनुसार, यह आरक्षक पहले पचपेड़ी थाना में पदस्थ था, जहां अवैध वसूली, गोपनीय जानकारी लीक करने और अपराधियों को संरक्षण देने जैसे गंभीर आरोपों के बाद उसे वहां से हटाया गया था। लेकिन सुधारने के बजाय अब वही गतिविधियाँ मस्तूरी में दोहराई जा रही हैं। आश्चर्य की बात यह है कि उसके खिलाफ शिकायत और जांच के बावजूद उसे संवेदनशील थानों में तैनाती मिलती रही है।

थाने की बातें लीक, पत्रकारों तक पहले पहुंचती हैं खबरें : स्थानीय लोगों और पुलिस सूत्रों की मानें तो मस्तूरी थाने की आंतरिक और गोपनीय सूचनाएं पहले ही मीडिया में लीक हो जाती हैं। माना जा रहा है कि आरक्षक थाने की गोपनीय जानकारी पत्रकारों को नियमित रूप से दे रहा है, जिससे न केवल विभाग की कार्रवाई प्रभावित हो रही है, बल्कि पुलिस की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं।

सरकारी आवास में भी गड़बड़ी : नियम ताक पर – चौंकाने वाली बात यह है कि इस आरक्षक का घर मस्तूरी क्षेत्र से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर है, फिर भी उसे तहसील में पदस्थ कुछ प्रभावशाली लोगों की सिफारिश पर वीआईपी क्वार्टर दिया गया है। यह ना सिर्फ नियमों के खिलाफ है, बल्कि भ्रष्टाचार को खुला समर्थन भी दर्शाता है।

गृह थाना क्षेत्र में अवैध कारोबार को संरक्षण : स्थानीय आरोपियों को संरक्षण देना, जुआ-सट्टा, अवैध खनन, शराब कारोबारियों से वसूली करना – ये सभी आरोप लगातार इस आरक्षक पर लगते आ रहे हैं। गृह थाना क्षेत्र में रहते हुए यह आरक्षक कथित रूप से पूरी गैरकानूनी गतिविधियों के नेटवर्क को संचालित कर रहा है और पुलिस की छवि को धूमिल कर रहा है।

पुलिस विभाग कब लेगा संज्ञान? :अब सवाल यह है कि ऐसे विवादास्पद और नियमों को ताक पर रखने वाले आरक्षक को लगातार मस्तूरी, पचपेड़ी और सीपत जैसे स्थानों में क्यों तैनात किया जा रहा है? क्या इसके पीछे कोई प्रभावशाली गठजोड़ है? पुलिस विभाग को चाहिए कि वह इस मामले में तत्काल उच्चस्तरीय जांच कर निष्पक्ष कार्रवाई करे।

जनहित की मांग : ऐसे आरक्षक को हटाया जाए : पुलिस की साख और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि ऐसे आरक्षक को तत्काल प्रभाव से हटाकर विभागीय कार्रवाई की जाए। मस्तूरी क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा, न्याय और पुलिसिंग की गरिमा दांव पर नहीं लगाई जा सकती।

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