“ये आत्महत्या नहीं, सिस्टम की संगठित हत्या है!” – रायगढ़ में सूदखोरी ने निगल ली एक ज़िंदगी…

रायगढ़। यह सिर्फ आत्महत्या नहीं, यह व्यवस्था की चूक और समाज की संवेदनहीनता का सबसे क्रूर चेहरा है। रायगढ़ जिले के अतरमुड़ा निवासी 42 वर्षीय होटल संचालक रूपेश दीवान ने सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर ज़हर खा लिया। इलाज के दौरान रायपुर के एक निजी अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
मरने से पहले रूपेश ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया जिसमें उसने कहा:
“मैं धीरे-धीरे उधारी चुका रहा हूं, लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं। कोई घर खाली करने को कह रहा है, किसी ने कब्जा कर लिया है। अब तनाव सहना मुश्किल हो गया है… मरना पड़ रहा है…”
“जिस घर को प्यार से बनाया, उसी पर हुआ कब्जा” : रूपेश दीवान शहर के रिटायर्ड बैंककर्मी अरुण मिश्रा के मकान में किराए पर होटल चला रहा था। समय-समय पर वह अरुण से उधारी लिया करता था, जिसे वह पहले चुका भी चुका था। लेकिन बीते कुछ समय से आर्थिक तंगी के कारण किश्तें समय पर नहीं दे सका।
शुक्रवार की शाम अरुण मिश्रा अपने बेटे और 3–4 अन्य लोगों के साथ रूपेश के घर पहुंचा। उस वक्त रूपेश घर पर नहीं था। आरोप है कि अरुण मिश्रा और उसके साथियों ने रूपेश की पत्नी से बदसलूकी की और मकान में ताला जड़ दिया।
वीडियो बनाकर घर से दूर जाकर खा लिया जहर : शनिवार सुबह 10:30 बजे रूपेश घर से दूर किसी सुनसान जगह गया और एक वीडियो रिकॉर्ड कर वायरल किया, जिसमें उसने मानसिक उत्पीड़न, सूदखोरी और मकान कब्जे की बात कही। इसके बाद उसने जहरीला पदार्थ खा लिया।
परिजन जब वीडियो देखकर उसे खोजने निकले तो वह बेहोशी की हालत में मिला। पास में ज़हर की बोतल पड़ी थी। तत्काल मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया, जहां से हालत गंभीर होने पर उसे रायपुर रेफर किया गया। रविवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
“20% ब्याज, लाखों चुका देने के बाद भी नहीं मिली राहत” : रूपेश के साढ़ू परमानंद मिश्रा ने खुलासा किया कि अरुण मिश्रा 20 प्रतिशत ब्याज दर पर उधारी देता था। रूपेश और उसकी पत्नी अब तक 15 से 17 लाख रुपये चुका चुके थे, इसके बावजूद उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था।
“अरुण मिश्रा ने मेरी साली का हाथ पकड़ लिया, धमकाया और मकान पर जबरन कब्जा कर लिया। रूपेश और उसकी पत्नी थाने जाने ही वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उसने जहर खा लिया…”
पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई, आरोपी जेल में : चक्रधर नगर थाना पुलिस ने पीड़िता की पत्नी के आवेदन पर अरुण मिश्रा, उसके बेटे व अन्य दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सीएसपी आकाश शुक्ला ने पुष्टि की कि आरोपियों को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया है।
अरुण मिश्रा की सफाई: “22 लाख में मकान खरीदा था” : आरोपी अरुण मिश्रा का कहना है कि उसने रूपेश का मकान 22 लाख रुपये में खरीदा था, जिसकी स्टांप पर लिखापढ़ी भी की गई थी। लेकिन रूपेश ने वह मकान किसी और को ऊंची कीमत पर बेचने का प्रयास किया। मिश्रा ने दावा किया कि उसने सिर्फ अपने पैसे मांगे, डराने-धमकाने की बात गलत है।
यह सिर्फ एक मौत नहीं… समाज के चेहरे पर तमाचा है
- सवाल उठता है कि जब एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी सूदखोरी में लिप्त हो और पुलिस की जानकारी के बावजूद यह खेल वर्षों से चल रहा हो, तो सिस्टम की नाकामी कौन स्वीकार करेगा?
- यह सिर्फ रूपेश की आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सुनियोजित मानसिक हत्या है, जिसकी जिम्मेदार सिर्फ कुछ लोग नहीं, बल्कि वह व्यवस्था है जो ऐसे सूदखोरों को संरक्षण देती है।
अब नहीं सहेंगे :
- सूदखोरी के खिलाफ सख्त कानून,
- स्थानीय प्रशासन की निगरानी समिति, और जनता की जनचेतना ही इस जहर को खत्म कर सकती है।
यह रिपोर्ट सिर्फ खबर नहीं, एक जनघोषणा है- अब एक भी रूपेश नहीं मरना चाहिए। प्रशासन और समाज को मिलकर यह लड़ाई लड़नी होगी।