पत्रकारों के अल्टीमेटम से कांपा पुलिस प्रशासन, उग्र आंदोलन की आहट से बौखलाए अफसरों ने दबाव में पकड़े मुख्य आरोपी!

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/गुरूर। पत्रकारों के प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन आंदोलन और उग्र अल्टीमेटम ने आखिरकार पुलिस प्रशासन की नींद उड़ा दी। जिस मामले में अब तक ढिलाई दिखा रही थी वही राजनैतिक और प्रशासनिक दबाव में दबे अधिकारियों ने अपनी फजीहत से बचने के लिए आखिरकार 24 मई 2025 को बेमेतरा से दो मुख्य आरोपियों उमेश्वर उर्फ ओमू साहू एवं रविकांत साहू को गिरफ्तार करने में ही अपनी “सजगता” दिखाना उचित समझा।
यह वही आरोपी हैं, जिन पर लाठी, डंडे और लोहे के पाइप से एक पत्रकार पर जानलेवा हमला करने का आरोप है। गौरतलब है कि इस हमले के अन्य 8 आरोपी पहले ही गिरफ्त में आ चुके थे, लेकिन दो मुख्य आरोपी लंबे समय से फरार चल रहे थे। पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठने लगे थे और पत्रकार संगठनों ने चेतावनी दे दी थी कि यदि त्वरित गिरफ्तारी नहीं हुई तो प्रदेशभर में उग्र आंदोलन होगा।

पत्रकारों के इस निर्णायक रुख के बाद प्रशासन हरकत में आया और आखिरकार बेमेतरा से आरोपियों को दबोचकर जिले की सरहद के अंदर लाया गया। सवाल यह भी है कि क्या अगर पत्रकार सड़कों पर न उतरने की चेतावनी नहीं देते तो ये गिरफ्तारियां होतीं? क्या पुलिस प्रशासन की सजगता केवल आंदोलन के डर से जागी है?

आपको बता दें कि बालोद जिले के पुरूर थाना क्षेत्र में वरिष्ठ पत्रकार कृष्णा गंजीर पर हुए प्राणघातक हमले के मुख्य आरोपी उमेश्वर उर्फ ओमू साहू और रविकांत साहू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ये दोनों आरोपी घटना के बाद से फरार थे। आपको बता दें कि दिनांक 13 मई 2025 को पत्रकार कृष्णा गंजीर और उनके साथी अमित मंडावी अवैध रेत भंडारण की सूचना पर कवरेज के लिए ग्राम मरकाटोला गए थे। वहां उमेश्वर साहू, रविकांत साहू और उनके अन्य 7-8 साथियों ने लाठी, डंडा और लोहे के पाइप से हमला कर दिया। गुरूर एसडीएम ने पटवारी डोमेंद्र मंडावी को भी जांच के लिए भेजा था। जिस पर रेत चोरों ने हाइवा चढ़ाने की कोशिश की। जिसके बाद वे जान बचाकर भागे। इस हमले में पत्रकार गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना में शामिल 8 आरोपियों को पुरूर पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन पत्रकारों और पटवारी पर हमले के मुख्य आरोपी को जिले की पुलिस गिरफ्तार ही नहीं कर पा रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्य आरोपियों उमेश्वर उर्फ ओमू साहू और रविकांत साहू को गिरफ्तार करने में पुलिस हिचकिचा रही थी, क्योंकि इन रेत चोरों को कांग्रेस और भाजपा के छुटभैय्ये नेताओं का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। जिसकी वजह से पुलिस महकमे में शांति छाई हुई थी।
वही पत्रकारों पर हुए प्राणघातक हमले के आरोपियों को गिरफ्तार करने ने पुलिस द्वारा ढ़िलाई बरतने के कारण प्रदेश के पत्रकारों ने एक राय होकर पुरूर ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर अर्धनग्न होकर धरना देने की चेतावनी दी थी। जिसके बाद पुलिस महकमे की सांस फूलने लगी, जिसके बाद आनन फानन में पुलिसिया तंत्र जागृत हो गया व इनका रडार भी काम करने लगा। जिले का साईबर सेल भी गहरी नींद से जाग इधर उधर हाथ पांव मारने लगा। आखिरकार बालोद जिला पुलिस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रदेश की अवाम को बता ही दिया कि पत्रकारों को मौत की नींद सुलाने का दुस्साहस करने वाले रेत चोर उमेश्वर उर्फ ओमू साहू और रविकांत साहू को उनकी पुलिस ने बेमेतरा से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस महकमे से जारी तहरीर में बताया गया कि घटना के बाद पुरूर थाना में अपराध क्रमांक 49/2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 296, 351(2), 191(2), 191(3), 190 और 109 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज रामगोपाल गर्ग के निर्देश पर, पुलिस अधीक्षक बालोद योगेश पटेल और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोनिका ठाकुर के मार्गदर्शन में, पुलिस अनुविभागीय अधिकारी गुरूर बोनीफास एक्का के पर्यवेक्षण में थाना प्रभारी पुरूर सउनि भुजबल साहू के नेतृत्व में सायबर टीम बालोद और थाना पुरूर की संयुक्त टीम ने दोनों मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्हें न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है।
वही पुलिस ने बताया कि इस मामले में पुलिस की तत्परता और सायबर टीम की भूमिका सराहनीय रही है। पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है और इस प्रकार की घटनाओं पर सख्त कार्यवाही से ही समाज में कानून का भय बना रहेगा।