2 करोड़ की नहर बनी भ्रष्टाचार की कब्र : ठेकेदार राकेश गुप्ता का घटिया खेल उजागर, टूट गई सरकारी योजना, धंस गई विकास की नींव…

कांकेर। जिले में पखांजूर के पी.वी. 26 में जल संसाधन विभाग द्वारा बनवाई जा रही करोड़ों की नहर भ्रष्टाचार और लापरवाही की बेमिसाल मिसाल बन गई है। ठेकेदार राकेश कुमार गुप्ता के नेतृत्व में बनाए गए इस नहर का निर्माण कार्य न सिर्फ तकनीकी मानकों को धता बता रहा है, बल्कि सरकारी खजाने को चूना लगाने का सजीव उदाहरण भी पेश कर रहा है।
घटिया सामग्री, ध्वस्त निर्माण -जनता का पैसा मिट्टी में :
करीब 2 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही यह नहर अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि जगह-जगह से टूट गई। कंक्रीट दरककर नीचे धंस गया, सतहें टेढ़ी-मेढ़ी, और दरारें इतनी चौड़ी कि भ्रष्टाचार साफ-साफ झांकता दिखे! ग्रामीणों का कहना है – “ना क्यूरिंग हुई, ना गुणवत्ता का ध्यान रखा गया, ये नहर नहीं, धांधली का नमूना है।”
“ठेकेदार की तिजोरी भरी, किसानों के हिस्से आई दरारें!”
स्थानीय लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। उनका आरोप है कि ठेकेदार ने जानबूझकर घटिया बोल्डर, कमजोर सीमेंट और निम्न दर्जे की सामग्री लगाई ताकि अपनी जेबें भर सके। नतीजा ये हुआ कि किसानों के लिए जीवनरेखा मानी जाने वाली ये नहर खुद बीमार हो गई।
परलकोट में और भी प्रोजेक्ट ठेकेदार के जिम्मे , हर जगह सवालों के घेरे में : ये पहला मामला नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि परलकोट और आसपास के दूरस्थ क्षेत्रों में भी राकेश गुप्ता द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्यों में अनियमितता और भ्रष्टाचार की बू आ रही है। अंदरूनी इलाकों में निगरानी कमजोर होने का फायदा उठाकर यह ठेकेदार मनमानी कर रहा है।
विभागीय अधिकारी बोले – दोषी बख्शे नहीं जाएंगे :
जल संसाधन विभाग के एसडीओ अंकित साहू ने कहा, “शिकायत गंभीर है। जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर निर्माण को तुड़वाया जाएगा। भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है तो ठेकेदार पर कार्रवाई तय है।”
अब सवाल जनता के हैं, जवाब सरकार दे :
- किसकी शह पर करोड़ों की योजना में भ्रष्टाचार हुआ?
- क्या राकेश गुप्ता पर FIR होगी या वही ढुलमुल जांच?
- कब तक अंदरूनी क्षेत्रों को ‘भ्रष्टाचार का चरागाह’ समझा जाएगा?
ग्रामीणों की दो टूक मांग – नहर को तोड़कर नए सिरे से गुणवत्तापूर्ण निर्माण हो, ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर जेल भेजा जाए।
ये सिर्फ नहर नहीं टूटी, टूटा है जनता का भरोसा!
अब अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीण सड़कों पर उतरेंगे। ये आंदोलन का बिगुल भी हो सकता है!