अवैध फ्लेक्स प्रिंटिंग मशीन बना कर्मचारियों के लिए खतरा, प्रशासन मौन

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के दल्ली राजहरा नगर के वार्ड क्रमांक 24 स्थित मुख्य बस स्टैण्ड परिसर में अवैध रूप से संचालित फ्लेक्स प्रिंटिंग यूनिट लोगों की जान के लिए खतरा बन चुकी है। मशीन की स्थापना संकरी और सीमित जगह में की गई है, जहां पर न तो पर्याप्त वेंटिलेशन है, न ही श्रमिकों की सुरक्षा का कोई इंतजाम। जगह की कमी और लगातार हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने के कारण यहां काम करने वाले कर्मचारियों को सांस की बीमारी, आंखों में जलन, चक्कर आना और त्वचा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक, दुकान संचालक सुहैल फारूखी के द्वारा इस फ्लेक्स प्रिंटिंग यूनिट का संचालन किया जा रहा है, हैरानी की बात यह है कि यह मशीन बस स्टैण्ड परिसर जैसे सार्वजनिक स्थान पर स्थापित है, जहां से हजारों यात्री रोजाना गुजरते हैं। मशीन से निकलने वाली गंध और केमिकल्स का प्रभाव आमजन पर भी पड़ रहा है, लेकिन नगर पालिका प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है। आपको बता दे कि दुकान में अतिरिक्त टिन शीट से अवैध निर्माण भी किया गया है जिस कारण बस स्टैण्ड परिसर में अवैध कब्जा भी हो गया है वही दुकान संचालक द्वारा अपनी दुकान का कबाड़ भी दुकान के सामने बिखेर रखा है जिससे बस स्टैण्ड में यात्रियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही बस स्टैण्ड में आने जाने वाली यात्री बसों को भी आवाजाही में काफी परेशानी महसूस हो रही है। नगर पालिका के जिम्मेदारों द्वारा जानबूझकर ऐसी लापरवाही की जा रही है। वही राजस्व विभाग के प्रभारी बुद्धिमान सिंह से इस बाबत पूछने पर उनके द्वारा गोल मोल जवाब दिया जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस यूनिट में कार्यरत कर्मचारियों को कोई सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई), मास्क, दस्ताने या वेंटिलेशन सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। इसके अलावा, कार्य समय, न्यूनतम वेतन, मेडिकल सुरक्षा जैसे श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। जिला श्रम विभाग को कई बार शिकायत देने के बावजूद अब तक कोई निरीक्षण या कार्यवाही नहीं की गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, फ्लेक्स प्रिंटिंग में प्रयुक्त सॉल्वेंट, टोल्यून, जाइलीन, पीवीसी आधारित इंक जैसे रसायन श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र, आंख, त्वचा और आंतरिक अंगों पर गंभीर असर डालते हैं। वहीं संकरी जगह में इन रसायनों के उपयोग से जहरीली गैसों का जमाव होता है, जिससे कर्मचारी लंबे समय तक बीमार रह सकते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का भी खतरा बना रहता है।
जब इस विषय में दुकान संचालक सुहैल फारूखी से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कोई उत्तर देने से इनकार कर दिया। यह दर्शाता है कि शायद उन्हें प्रशासनिक चुप्पी का संरक्षण प्राप्त है। नगर पालिका के संबंधित अधिकारी और स्वास्थ्य शाखा से जब इस विषय पर संपर्क करने की कोशिश की गई, तो किसी ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
स्थानीय नागरिकों और यात्रियों ने नगर पालिका अध्यक्ष और जिला कलेक्टर से मांग की है कि इस अवैध फ्लेक्स प्रिंटिंग यूनिट को तुरंत बंद किया जाए। श्रम विभाग और स्वास्थ्य विभाग संयुक्त रूप से निरीक्षण कर स्वास्थ्य मानकों का मूल्यांकन करें। कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। सार्वजनिक स्थलों पर इस तरह के खतरनाक व्यवसायों की अनुमति पर सख्त रोक लगाई जाए।
फ्लेक्स प्रिंटिंग मशीन का संचालन, विशेष रूप से सीमित स्थान, अपर्याप्त वेंटिलेशन और हानिकारक रसायनों के सीधे संपर्क में आने की स्थिति में, मशीन संचालक और उसमें कार्यरत व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गंभीर एवं दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
फ्लेक्स प्रिंटिंग में प्रयुक्त प्रमुख हानिकारक रसायन के नाम और उनसे होने वाले नुकसान। सॉल्वेंट इंक रसायन का प्रयोग प्रिंटिंग इंक का आधार, तेज़ सूखने के लिए होता है जिसके कारण सांस की समस्या, चक्कर, सिरदर्द, लीवर व किडनी पर असर होता है। टोल्यून रसायन इसका उपयोग इंक में होता है वही इससे होने वाले संभावित स्वास्थ्य प्रभाव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, चक्कर, मूड डिसऑर्डर की समस्या होती है। जाईलीन रसायन का उपयोग क्लीनिंग व थिनिंग एजेंट के रूप में होता है वही इससे सिरदर्द, त्वचा जलन, आंखों की जलन, लिवर डैमेज होता है। मिथाइल इथाईल कीटोन (एमइके) रसायन का प्रयोग इंक और क्लीनिंग एजेंट के लिए तथा इससे त्वचा पर जलन, फेफड़े प्रभावित, दीर्घकालिक एक्सपोजर से नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) रसायन का प्रयोग फ्लेक्स शीट में होता है इसके जलने पर डायॉक्सिन गैस निकलती है यह कैंसरजन्य तत्व है।
फ्लेक्स प्रिंटिंग मशीन के स्वास्थ्य पर प्रभाव (यदि सीमित वेंटिलेशन में हो तो) जैसे श्वसन तंत्र पर प्रभाव जिसमें लगातार रसायन सूंघने से क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा तथा फेफड़ों की सूजन हो सकती है। सीलन या वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) वेंटिलेशन के बिना जमा हो सकते हैं। तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव जिसके कारण टॉल्यून और जाईलीन जैसे रसायन से सिरदर्द, चक्कर, थकावट और सोचने की क्षमता घटाने का कारण बन सकते हैं।
इसके मानव इंद्रियों पर नकारात्मक असर होता है जैसे आंखों में जलन, नाक से खून आना, त्वचा पर चकत्ते या फफोले। इसके दीर्घकालिक प्रभाव जिसमें लीवर और किडनी खराब होना, कैंसर (विशेषकर डायॉक्सिन गैस के संपर्क से) तथा प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।
आपको बता दें कि फ्लेक्स प्रिंटिंग मशीन में स्थान की कमी और जोखिम। यदि मशीन का इंस्टॉलेशन मात्र मशीन के आकार जितने या उससे थोड़े बड़े स्थान में किया गया है। जिसके कारण वेंटिलेशन की कमी ही रसायनों को वाष्प रूप में जमा होने देती है। काम करने वाले व्यक्ति को सीधा और लगातार एक्सपोजर होता है। एमरजेंसी एग्जिट या अग्निशमन उपकरण उपलब्ध नहीं होने से सुरक्षा खतरा बढ़ता है।
इस संबंध में भारत सरकार द्वारा लागू नियम व अधिनियम में फैक्ट्री एक्ट, 1948 की धारा 13 पर्यावरण की शुद्धता – पर्याप्त वेंटिलेशन अनिवार्य है। धारा 41बी खतरनाक रसायनों के इस्तेमाल में सुरक्षा उपाय लागू करना अनिवार्य। खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमापार संचलन) नियम, 2016 में फ्लेक्स प्रिंटिंग में प्रयुक्त सॉल्वेंट व इंक को खतरनाक अपशिष्ट माना गया है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 में औद्योगिक प्रक्रिया में रसायनों के उपयोग के लिए एमओईएफ एंड सीसी द्वारा समय-समय पर मानक निर्धारित किए जाते हैं। सामग्री सुरक्षा डेटा शीट (एमएसडीएस) की अनिवार्यता में हर रसायन की एमएसडीएस मशीन पर रखना और कर्मचारी को जानकारी देना अनिवार्य है।
फ्लेक्स प्रिंटिंग मशीन जहां स्थापित है वहां एग्जॉस्ट फैन / इंडस्ट्रियल वेंटिलेशन सिस्टम लगवाना बेहद जरूरी है। सुरक्षा किट (पीपीई– मास्क, दस्ताने, चश्मे) का अनिवार्य उपयोग। कम से कम 150 से 200 वर्गफुट जगह में मशीन इंस्टॉल हो, ताकि कर्मचारी को सांस लेने और हिलने की जगह मिले। कर्मचारियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करवाना बेहद जरूरी है।
यदि प्रशासन अब भी नहीं जागता, तो यह मामला एक दिन किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकता है। स्वास्थ्य और श्रम कानूनों की अनदेखी, एक ऐसी चिंगारी है जो किसी भी समय विस्फोट का रूप ले सकती है।