बीमा जगत का सबसे बड़ा धोखाधड़ी कांड : एलआईसी को एक ही व्यक्ति की दो “मौतों” पर करोड़ों का चूना, फर्जीवाड़े का नेटवर्क बेनकाब…!

बिलासपुर। देश की सबसे भरोसेमंद बीमा कंपनी एलआईसी को करोड़ों रुपए का झटका! वो भी एक ऐसे फर्जीवाड़े के जरिए, जिसमें एक ही व्यक्ति की दो बार मौत कर दी गई लेकिन सिर्फ कागजों में ! डेथ क्लेम के नाम पर बीमा कंपनी को लगातार लूटा जा रहा था, और एलआईसी को भनक तक नहीं लगी जब तक कि एक मृतक ने खुद प्रीमियम भरना शुरू नहीं कर दिया!
फर्जी मौत, असली पैसा – जब सिस्टम बना शिकार :इस संगठित घोटाले में पहले किसी असली व्यक्ति का बीमा करवाया जाता, फिर थोड़े वक्त बाद नकली मृत्यु प्रमाण पत्र और फर्जी दस्तावेज तैयार कर डेथ क्लेम ठोक दिया जाता। पैसे मिलते ही, उसी व्यक्ति के नाम से दोबारा बीमा कर फिर मौत का नाटक रचा जाता। हैरानी की बात एक बार “मरने” के बाद भी वही व्यक्ति दोबारा बीमा करवाता, और फिर से “मर” जाता…
2019 में बीमा, 2021 में ‘मौत’ और 25 लाख का क्लेम : एक केस में 2019 में पॉलिसी ली गई। 2021 में व्यक्ति की कागजी मौत करवा दी गई और एलआईसी से 25 लाख का क्लेम वसूल लिया गया। इसके बाद, उसी नाम से 2021 में फिर पॉलिसी ली गई और 2023 में फिर से वही खेल! लेकिन इस बार एलआईसी को शक हुआ, और जांच ने पूरे तंत्र की पोल खोल दी।
एक ही मृतक, लेकिन तीन नई पॉलिसियाँ, एजेंटों की करतूत उजागर : एलआईसी के रिकॉर्ड में सामने आया कि डेथ क्लेम के चंद महीनों बाद उसी नाम से तीन नई पॉलिसियाँ फिर शुरू हो गईं। यानी मौत सिर्फ दस्तावेज़ों में थी असल में पूरी साजिश एक संगठित गिरोह की थी, जिसमें बीमा एजेंटों की मिलीभगत से करोड़ों का खेल चल रहा था।
मरा हुआ व्यक्ति भर रहा था प्रीमियम…! एक मामले में, डेथ क्लेम के बाद एलआईसी को जानकारी मिली कि मृत घोषित व्यक्ति की दूसरी पॉलिसी का प्रीमियम लगातार जमा हो रहा है। यही सबसे बड़ा सबूत बन गया और इसके बाद जांच के हर दरवाज़े खुलते चले गए।
यह घोटाला सिर्फ एलआईसी के सिस्टम ही नहीं, आम जनता के भरोसे पर भी सवाल खड़े करता है। सवाल ये है – जब एक व्यक्ति दो बार ‘मर’ सकता है और तीन बार पॉलिसी ले सकता है, तो क्या हमारे दस्तावेज़, हमारे सिस्टम और हमारे एजेंट भरोसे के लायक हैं?
फर्जी मौत के इस खेल ने बीमा क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि एलआईसी और प्रशासन इस घोटाले की जड़ तक जाकर इसे खत्म कर पाएंगे या नहीं।