अवैध प्रवासियों के खिलाफ बालोद जिले की पुलिस सुस्त

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। छत्तीसगढ़ पुलिस ने राज्य में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया है। राजधानी रायपुर में विभिन्न क्षेत्रों से कई लोगों को एकत्रित कर उनकी पहचान और दस्तावेजों की जांच की गई। वही कई लोग संदिग्ध पाए गए, जिनके पाकिस्तान के सिंध प्रांत के, बांग्लादेशी या रोहिंग्या मूल के होने की आशंका है। लेकिन बालोद पुलिस द्वारा इस तरह का कोई अभियान शुरू ही नहीं किया है। आपको बता दें कि बालोद जिले के कई छोटे बड़े शहरों और गांव में पाकिस्तानी तथा बांग्लादेशी नागरिक बड़े आराम से रह रहे है जिन्होंने जिले में जमीन, मकान व दुकान तक खरीद लिए है। वही उन्होंने भारत की नागरिकता के लिए जरूरी सभी दस्तावेज तक बना लिए है।
जिले के श्रमिक बाहुल्य क्षेत्र दल्ली राजहरा जहां लोहे की खदाने है। यहां कई अवैध प्रवासी बड़ी शान से रह रहे है तथा स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की बीएसपी में ठेका श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे है। जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर यह क्षेत्र अत्यंत ही संवेदनशील क्षेत्र है लेकिन यहां के छुटभैये नेताओं और जुगाड़ के दम पर ऐसे विदेशी नागरिक बीएसपी के प्लांट में तक काम कर रहे है। वही राजहरा पुलिस भी इनको खुला संरक्षण देने में लगी हुई है। वही जिले में तबादले में आए बालोद एसपी योगेश कुमार पटेल भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। मानो लगता है कि प्रदेश में सभी जगह ऐसे विदेशी नागरिकों को खोज खोजकर उनकी निशानदेही की जा रही है लेकिन यहां पुलिस ने अपने “मुंह पर पट्टी” बांधे हुए है।
आपको बता दें कि प्रदेश में सभी जगह जिनमें रायपुर के खमतराई, टिकरापारा और उरला थाना क्षेत्रों में रहने वाले इन लोगों से पुलिस ने उनके निवास, कार्य और दस्तावेजों के बारे में विस्तृत पूछताछ की। जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं थे, उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई है।
इसके अतिरिक्त, रायपुर में एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) और स्थानीय पुलिस ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए तीन बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया, जो फर्जी भारतीय दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से रह रहे थे। ये लोग इराक भागने की फिराक में थे। कवर्धा जिले में भी पुलिस ने विशेष अभियान चलाकर कई संदिग्धों को पकड़ा, जो बिना वैध दस्तावेजों के निवास कर रहे थे। ये सभी लोग किराए के मकानों, होटलों और धर्मशालाओं में रह रहे थे।
बालोद जिले में अवैध प्रवासियों को संरक्षण देने वाले कुछ स्थानीय नेताओं और दलालों की पहुंच ऊपर तक होने के कारण जिले में कोई कार्यवाही ही नहीं हो रही है। बालोद जिले में खुली छूट होने की वजह से बाकी अन्य जिले से लोग यहां भूमिगत हो गए हैं। वही छत्तीसगढ़ सरकार ने स्पष्ट किया है कि अवैध प्रवासियों के खिलाफ यह अभियान जारी रहेगा और उन्हें संरक्षण देने वालों पर भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी। लेकिन जिले में खासकर दल्ली राजहरा में पुलिस की चुप्पी कुछ और ही बयान कर रही है। लोगो का कहना है कि राजहरा पुलिस शहर ने चल रहे अवैध कारोबार जिनमें अवैध शराब, अवैध बॉर, अवैध सट्टा, अवैध गांजा इत्यादि को बंद नहीं करा पा रही है तो ये क्या ही अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को खोज पाएगी।
वही बालोद, डौंडीलोहारा, गुरूर, अर्जुन्दा, डौंडी, दल्ली राजहरा, देवरी तथा गुण्डरदेही में पाकिस्तानी नागरिक खुलेआम कपड़े का कारोबार, मिस्त्री का काम, टायर पंचर दुकान, इत्र, किताबें, सेवई, अवैध प्लॉटिंग और प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार कर रहे हैं। आरोप है कि इन नागरिकों को स्थानीय छुटभैये नेता संरक्षण दे रहे हैं और उनके लिए फर्जी आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड भी बनवाए जाते हैं। वही पुलिस भी इन छुटभैये नेताओं के डर के कारण कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। वही राजहरा शहर के नागरिकों का कहना है कि शहर में जिलाबदर के आरोपी खुलेआम घूम रहे है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस के वर्दी के सितारे कितने चमक रहे है?
रिपोर्ट के अनुसार सन 2018 से 2023 के बीच कांग्रेस शासनकाल में अवैध पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों को पहचान पत्र और संपत्ति खरीदने की खुली छूट देने के आरोप लगे हैं। जानकारों का कहना है कि वोट बैंक की राजनीति के तहत कांग्रेस नेताओं ने इन विदेशियों को बसाने में मदद की। वहीं दस्तावेज तैयार कराने के लिए बिचौलियों की सक्रिय भूमिका भी सामने आई है।
सबसे शर्मनाक यह है कि राज्य सरकार और इंटेलिजेंस के पास इन अवैध नागरिकों का कोई ठोस रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। कई जिलों में मोहल्लों का दौरा कर दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जानकार सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान-बांग्लादेश से धार्मिक आयोजनों में आए कई लोग वापस नहीं लौटे और प्रदेश में बस गए। पिछले 20 से 25 वर्षों के बीच बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेजों के जरिए ये नागरिक स्थायी निवासी बन गए है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शीघ्र सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो ये अवैध नागरिक राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। पुलिस और प्रशासन के लिए यह समय है कि वे प्रदेश को सुरक्षित रखने हेतु निर्णायक कार्यवाही करें।