वेदिक इंटरनेशनल स्कूल का निर्मम चेहरा उजागर : विधवा मां की मजबूरी को बनाया वसूली का जरिया, बच्चों का भविष्य दांव पर…

रायगढ़ | पटेलपाली : जब शिक्षा का मंदिर लालच और मुनाफे की मंडी में बदल जाए, तो वहाँ ज्ञान नहीं, अन्याय फलता है। ऐसा ही एक शर्मनाक उदाहरण रायगढ़ के पटेलपाली स्थित वेदिक इंटरनेशनल स्कूल ने फिर प्रस्तुत किया है, जहां एक विधवा मां की असहायता को व्यापारिक अवसर में बदलकर निर्ममता की सारी सीमाएं लांघ दी गईं।
सहानुभूति की चादर ओढ़, भीतर से निकला मुनाफाखोर चेहरा : प्रियंका पाण्डेय, ग्राम टाड़ापारा, तहसील खरसिया की निवासी हैं। उनके पति विनय पाण्डेय का आकस्मिक निधन 16 अक्टूबर 2023 को हो गया। अचानक टूटे इस दुख ने उन्हें और उनके दो बच्चों विभोर (अब 10वीं) और विशेष (अब 8वीं) – को जीवन की सबसे कठिन लड़ाई में झोंक दिया। आर्थिक विपन्नता और भावनात्मक टूटन के बावजूद प्रियंका ने बच्चों की पढ़ाई को नहीं छोड़ा। वेदिक इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन आनंद अग्रवाल ने उस समय सहानुभूति दिखाते हुए कहा –
“फीस की फिक्र मत कीजिए, आप बस बच्चों को पढ़ाते रहिए।”
लेकिन आज, वही स्कूल 6 लाख 15 हजार रुपये की फीस वसूली का नोटिस थमा कर बच्चों को स्कूल से बाहर निकाल चुका है।
ना पढ़ाई जारी, ना ट्रांसफर सर्टिफिकेट – स्कूल बना असंवेदनशीलता का प्रतीक : नया सत्र शुरू होने के बाद प्रियंका ने बच्चों की शिक्षा का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए ट्रांसफर सर्टिफिकेट (T.C.) की मांग की, ताकि उन्हें किसी अन्य स्कूल में प्रवेश मिल सके। लेकिन स्कूल प्रशासन ने ‘नोड्यूज’ के नाम पर टी.सी. देने से साफ इनकार कर दिया।
प्राचार्या ने स्पष्ट कहा :
“चेयरमैन का आदेश है, बिना बकाया चुकाए टी.सी. नहीं मिलेगा।”
चेयरमैन आनंद अग्रवाल से संपर्क करने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं – न कॉल रिसीव हुआ, न मैसेज का कोई जवाब। इस बीच प्रियंका को बार-बार स्कूल में अपमानित किया गया, बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बंद कर दी गई।
प्रियंका की गुहार और प्रशासन की खामोशी : इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ प्रियंका ने थाना जूटमिल, जिला शिक्षा अधिकारी, पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर रायगढ़ तक लिखित शिकायतें भेजीं। लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। प्रशासन की यह चुप्पी एक बड़े सवाल की तरह खड़ी है- क्या निजी स्कूलों पर शासन का कोई नियंत्रण शेष है?
प्रियंका का दर्द “अगर मुझे कुछ हो गया तो जिम्मेदार वेदिक स्कूल और शासन होगा” : प्रियंका ने अपने पत्र में लिखा है कि वे मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुकी हैं।
“मेरे बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। अगर मुझे कुछ हो गया, तो उसकी जिम्मेदारी वेदिक इंटरनेशनल स्कूल और छत्तीसगढ़ शासन की होगी।”
यह सिर्फ एक मां की लड़ाई नहीं, यह पूरे समाज की चेतावनी है :
- क्या शिक्षा अब संवेदना नहीं, सिर्फ सौदा बनकर रह गई है?
- क्या निजी स्कूल प्रशासनिक व्यवस्था से ऊपर हो चुके हैं?
- एक विधवा मां की करुण पुकार भी अगर सत्ता के गलियारों में अनसुनी रह जाए, तो क्या हम सचमुच एक लोकतांत्रिक समाज में जी रहे हैं?
अब सवाल उठेंगे – अब चुप्पी नहीं चलेगी…!!