रायपुर

छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग की बड़ी नाकामी ! हाईकोर्ट का करारा तमाचा – प्राचार्य प्रमोशन पर रोक, अवमानना का नोटिस!…

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के शिक्षा विभाग ने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है! हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद प्राचार्य पदोन्नति का आदेश जारी करने की जल्दबाज़ी ने विभाग को न्यायपालिका के कटघरे में ला खड़ा किया है! नतीजा – हाईकोर्ट का सख्त स्टे ऑर्डर और अवमानना का सीधा नोटिस! अब पूरा शिक्षा महकमा सांसें थामे 7 मई की अगली सुनवाई का इंतजार कर रहा है।

कोर्ट में पेश हुई ‘सरकारी धोखाधड़ी’ की तस्वीर : 28 मार्च को सरकार ने हाईकोर्ट में कान पकड़कर कहा था – “कोई प्रमोशन नहीं देंगे जब तक कोर्ट फैसला न सुना दे।” लेकिन 30 अप्रैल को विभाग ने गुपचुप तरीके से 2925 व्याख्याताओं और प्रधान पाठकों को प्राचार्य बना डाला! कोर्ट की आंखों में धूल झोंकने की इस हरकत का पर्दाफाश 1 मई को हुआ, जब याचिकाकर्ता वकीलों ने कोर्ट को पूरे सबूतों के साथ बताया – “माई लॉर्ड, आदेश का मखौल उड़ाया गया है!”

नतीजा – फटकार, रोक और नोटिस, सब एक साथ : हाईकोर्ट ने विभाग की इस करतूत को सीधी न्यायिक अवमानना करार देते हुए तुरंत प्रमोशन लिस्ट पर स्टे लगा दिया और अवमानना का नोटिस ठोक दिया! यह विभाग की न केवल कानूनी बल्कि नैतिक पराजय भी मानी जा रही है।

2019 से लटके केस, 2025 में भी नहीं सुधरे हालात : प्राचार्य पदोन्नति को लेकर 2019 से लेकर अब तक दर्जनों याचिकाएं लंबित हैं – बीएड, डीएलएड की पात्रता, अनुभव, भर्ती प्रक्रिया जैसी कई आपत्तियों पर कोर्ट में बहस जारी है। कोर्ट ने साफ कहा – “जब तक मामले लंबित हैं, तब तक कोई प्रमोशन नहीं!” लेकिन विभाग ने न तो कोर्ट की सुनी, न ही शिक्षा की गरिमा की परवाह की।

शिक्षकों में भयानक असमंजस और गुस्सा : जिन 2813 शिक्षकों को प्राचार्य बनाकर पोस्टिंग दी गई थी, उनकी पदोन्नति अब ठंडे बस्ते में है। शिक्षक गुस्से में हैं “हम क्या कोई प्रयोगशाला के चूहे हैं?” शिक्षकों का कहना है कि विभाग ने उन्हें धोखे में रखा, और अब कोर्ट के आदेश की वजह से उनकी पदोन्नति रद्द होने के कगार पर है।

क्या होगा अगला धमाका 7 मई को? : पूरा प्रदेश, खासकर शिक्षा जगत अब 7 मई की सुनवाई पर निगाहें गड़ाए बैठा है। क्या हाईकोर्ट शिक्षा विभाग को और लताड़ेगा? क्या प्रमोशन रद्द हो जाएंगे? क्या अफसरों पर व्यक्तिगत कार्रवाई होगी? हर सवाल गर्म है, जवाब सिर्फ कोर्ट देगा!

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