जब्त लकड़ी सहित ट्रॉली गायब : पुलिसिया लापरवाही या चोरों से मोहब्बत?

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के चिखलाकसा क्षेत्र में पांच माह पूर्व पटवारी द्वारा जब्त किए गए प्रतिबंधित अर्जुन (कहूआ) के पेड़ों की दो ट्रालियों मेंoभरी लकड़ी के रात के अंधेरे में गायब होने की घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। तहसीलदार द्वारा थाना राजहरा को चिपरा निवासी “शातिर लकड़ी तस्कर तामेश सिन्हा” सहित घटना के सीसीटीवी कैमरे में कैद उसके सहयोगियों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही करने हेतु पत्र प्रेषित किए गए थे। हालांकि, एक माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद राजहरा पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। जिससे पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों में पुलिस के प्रति गहरा आक्रोश व्याप्त है।
इस प्रकरण में “थाना प्रभारी टीएस पट्टावी की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न” लग रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पुलिस की निष्क्रियता से अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। वहीं, पुलिस विभाग की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिससे जनता में असंतोष व्याप्त है। इस घटना ने एक बार फिर से प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और दोषियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जाती है। बता दें कि थाना प्रभारी द्वारा इस मामले को लेकर बात करने पर उनके द्वारा गोलमोल जवाब दिया जा रहा है। कभी जांच चल रही है बोला जाता है तो कभी वन विभाग और राजस्व विभाग का मामला है, बताया जाता है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब शासकीय कार्यालयों के जब्त सामान को गायब करने वाले के द्वारा अपराध तो स्वीकार किया जा रहा है, किंतु गायब किए जाने के पांच महीने बाद भी गायब की गई ट्राली और लकड़ी वापस नहीं किया जाना इस मामले में साफ दिखाई दे रहा है फिर भी थाना प्रभारी तूलसिंह पट्टावी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। इससे प्रतीत होता है कि राजहरा थाना प्रभारी अपराधियों को खुला संरक्षण दे रहे है। आपको बता दें कि थाना प्रभारी तुलसिंह पट्टावी द्वारा जानबूझकर नागरिकों को परेशान करने का पुराना रिकॉर्ड है। आपको बता दें कि जिले के प्रतिष्ठित पत्रकार के घर हुई चोरी की भी रिपोर्ट इन्होंने नहीं लिखी थी। लोगो का कहना है कि इनके बारे में “चोरों से मोहब्बत” की मिसाल दी जाती है।
जानकारों का कहना है कि इस मामले में थाना प्रभारी को तहसीलदार जैसे महत्वपूर्ण राजस्व अधिकारी के पत्र प्रेषित किए जाने और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तत्काल तामेश सिन्हा एवं सीसीटीवी में दिख रहे अन्य अज्ञात सहयोगियों के विरुद्ध शासकीय संपत्ति को चोरी करने के अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया जाना चाहिए था। आपको बता दें कि भारतीय दंड संहिता (अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) के तहत सरकारी संपत्ति (जैसे जब्त की गई लकड़ी या ट्रैक्टर-ट्रॉली) की चोरी करने पर संबंधित धाराएं लागू हो सकती है जिनमें धारा 303 (बीएनएस, 2023) यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य की संपत्ति (जिसमें सरकार की संपत्ति भी शामिल है) को चोरी करता है, तो यह धारा लागू होती है। जिसमें सजा 7 साल तक की कैद और जुर्माना लग सकता है। धारा 317 (बीएनएस, 2023) सरकारी कार्य में बाधा डालना / शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाना। यदि कोई सरकारी उद्देश्य के लिए उपयोग की जा रही संपत्ति (जैसे जब्त ट्रॉली) को नुकसान पहुंचाता है या चोरी करता है, तो यह धारा भी लग सकती है तथा धारा 324 (बीएनएस, 2023) विश्वास का आपराधिक उल्लंघन। यदि संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए सौंपा गया था और फिर उसे हड़प लिया गया या गायब किया गया, तो यह धारा लागू हो सकती है। इन धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर संबंधित आरोपी के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा सकती है।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के चिखलाकसा क्षेत्र में जब्त की गई प्रतिबंधित अर्जुन (कहूआ) के पेड़ों की दो ट्रॉलियों में भरी लकड़ी के रात के अंधेरे में गायब होने की घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, तामेश सिन्हा ने एक प्रभावशाली व्यक्ति के संरक्षण में बेखौफ होकर यह कार्य किया। मामले को तूल पकड़ता देख, तत्कालीन नायब तहसीलदार और उनके सहयोगियों के कहने पर तामेश ने माफीनामा लिखकर स्वीकार किया कि वह दोनों ट्रॉलियों को लेकर गया था, जिन्हें उसने आज तक वापस नहीं किया है।
घटना के दस दिन बाद, चिखलाकसा क्षेत्र में उसी स्थान पर दो अन्य ट्रॉलियां लकड़ी से भरी लावारिस हालत में पाई गईं। तामेश सिन्हा इन्हीं ट्रॉलियों और लकड़ी को पहले वाली जब्त संपत्ति बता रहा है, जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि ये ट्रॉलियां और लकड़ी पहले से बिल्कुल अलग हैं। नियमानुसार, जब तामेश ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को माफीनामा लिखकर दिया था, तो उसे लकड़ी से भरी उन्हीं ट्रॉलियों को विभाग को सुपुर्द करना चाहिए था। इसलिए, दस दिन बाद मिली ट्रॉलियों और लकड़ी को वही मानना उचित नहीं है।
इस प्रकरण में प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता और संभावित मिलीभगत की ओर इशारा करता है। अब देखना यह है कि बालोद जिले के नए पुलिस अधीक्षक द्वारा राजहरा थाना प्रभारी तुलसिंह पट्टावी के मामले की लापरवाही को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं?