बीजापुर

पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड : 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल, 72 गवाहों की गूंज से हिल उठा न्यायालय…

बीजापुर। पत्रकारिता के साहस को कुचलने की कोशिश में किए गए मुकेश चंद्राकर हत्याकांड का मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। इस बहुचर्चित केस में विशेष जांच दल (SIT) ने 1200 पन्नों की चार्जशीट और 1500 पन्नों की केस डायरी बीजापुर व्यवहार न्यायालय में पेश कर दी है। यह चार्जशीट उन खौफनाक साजिशों की पूरी दास्तान बयां करती है, जिसके तहत एक निर्भीक पत्रकार की हत्या को अंजाम दिया गया था।

सच लिखने की सजा-बेरहमी से हत्या : 1 जनवरी 2025 की सुबह पत्रकार मुकेश चंद्राकर को ठेकेदार दिनेश चंद्राकर और उसके गुर्गों ने मौत के घाट उतार दिया। उनका गुनाह? सिर्फ इतना कि उन्होंने सड़क निर्माण में हो रही भारी गड़बड़ियों को उजागर कर सच को जनता के सामने रखा। लेकिन भ्रष्टाचार के दलालों को ये बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने पत्रकारिता की आवाज को खामोश करने की साजिश रच डाली।

SIT की जांच में बड़े खुलासे : इस सनसनीखेज हत्याकांड की जांच आईपीएस मयंक गुर्जर के नेतृत्व में गठित SIT ने की। उनकी टीम ने मामले से जुड़े हर छोटे-बड़े सुराग को जोड़ा और 72 गवाहों के बयानपुख्ता सबूतों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ ठोस केस तैयार किया।

चार्जशीट: 1200 पन्नों की
केस डायरी: 1500 पन्नों की
गवाहों की संख्या: 72
मुख्य आरोपी: ठेकेदार दिनेश चंद्राकर समेत चार लोग
हत्या का कारण: सड़क निर्माण घोटाले का खुलासा

SIT प्रमुख बोले – ‘न्याय की गूंज दूर तक जाएगी!’ : SIT प्रमुख आईपीएस मयंक गुर्जर का कहना है कि, “हमने जांच में हर संभव सबूत जुटाए हैं और न्यायालय से पूरी उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। पत्रकारिता पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा!”

पत्रकारों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल : मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पत्रकारिता जगत को झकझोर कर रख दिया है। सत्ता और अपराधियों के गठजोड़ के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार क्या अब सुरक्षित हैं? इस सवाल का जवाब समाज और सरकार दोनों को देना होगा।

अब सबकी नजरें न्यायालय पर हैं। क्या अदालत इन भ्रष्टाचारियों को ऐसी सजा देगी कि कोई फिर कभी सच बोलने वालों की आवाज दबाने की हिम्मत न कर सके? मुकेश चंद्राकर को इंसाफ दिलाने की लड़ाई सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि पत्रकारिता की आजादी की जंग है!

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