बालोदरायपुर

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड का बड़ा कदम : मस्जिदों को अब देना होगा आय-व्यय का हिसाब, ऑडिट ना कराने पर होगी जेल की सजा

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मस्जिदों की आय और खर्च पर अब कड़ी निगरानी रखी जाएगी। राज्य वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों को अपनी कमाई का हिसाब देने का आदेश जारी किया है। इसके तहत अब राज्य की 1800 से अधिक मस्जिदों को हर महीने और हर साल की आय-व्यय का लेखा-जोखा वक्फ बोर्ड को प्रस्तुत करना होगा। यह कदम मस्जिदों में होने वाली वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों के बाद उठाया गया है।

राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने बताया कि मस्जिदों से लगातार उनकी आय के दुरुपयोग की शिकायतें आ रही थीं। ऐसे में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

वर्तमान में, राज्य में बड़ी मस्जिदों में महीने की कमाई 1.5 लाख रुपये तक होती है और सालभर में यह रकम 15 से 20 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। अब इन मस्जिदों को अपने खर्च और आमदनी का हिसाब वक्फ बोर्ड को देना होगा। इसके लिए मस्जिदों को बैंक में अपना खाता खुलवाना होगा, ताकि आय-व्यय की प्रक्रिया और भी पारदर्शी हो सके। वक्फ बोर्ड इस संबंध में एक पोर्टल भी तैयार कर रहा है, जिसमें मुतवल्ली को अपनी मस्जिद की आमदनी और खर्च का विवरण डालना जरूरी होगा।

तीन साल तक ऑडिट नहीं कराया तो जेल की सजा

वक्फ बोर्ड ने मस्जिदों के मुतवल्लियों को आदेश दिया है कि यदि वे तीन साल तक ऑडिट नहीं कराते हैं, तो उन्हें जेल तक जाना पड़ सकता है। यह कदम उन मस्जिदों में पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है, जहां वित्तीय अनियमितताओं के चलते समाज में अविश्वास बढ़ सकता है।

वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वह अपनी संपत्तियों से होने वाली कमाई और मस्जिदों की आय से 30 प्रतिशत राशि शिक्षा पर खर्च करेगा। बोर्ड का मानना है कि इस कदम से न केवल मस्जिदों की आय की सही जानकारी मिलेगी, बल्कि समाज में शिक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा।

वक्फ बोर्ड ने की कार्यवाही, 6 मुतवल्ली हटाए गए

इसके साथ ही, छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने हाल ही में 6 मुतवल्लियों को उनके पद से हटा दिया है। इन मुतवल्लियों पर आरोप था कि उन्होंने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में समाज के लोगों से एक विशेष पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी। वक्फ बोर्ड ने इन मुतवल्लियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था, लेकिन जवाब संतोषजनक न होने पर इनकी कार्यवाही की गई। जिन मुतवल्लियों को पद से हटाया गया है, उनमें पहले दल्ली राजहरा, बिलासपुर, कांकेर, अंबिकापुर के एक-एक और रायपुर के दो शामिल हैं। सबसे पहले दल्ली राजहरा के जामा मस्जिद के मुतवल्ली शेख नय्यूम का मामला अखबारों और न्यूज पोर्टल में उजागर हुआ था जिसके बाद वक्फ बोर्ड के नियमों और आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर उन्हें तत्काल बर्खास्त कर दिया गया था। जिसकी प्रदेश के सभी मुस्लिम समाज के लोगों ने छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज की प्रशंसा की थी।

मुतवल्ली किसे कहा जाता है?

मुतवल्ली इसका मतलब होता है, वक्फ़ या मस्जिद की संपत्ति का प्रबंधन करने वाला व्यक्ति। मुतवल्ली को मस्जिद का ट्रस्टी या संरक्षक भी कहा जाता है। मुस्लिम कानून में, वक्फ़ संपत्ति को ईश्वर को समर्पित माना जाता है। इसलिए, मुतवल्ली की भूमिका अहम हो जाती है।

मुतवल्ली से जुड़ी कुछ और बातें :

मुतवल्ली की नियुक्ति वक्फ़ अधिनियम के तहत वक्फ़ बोर्ड द्वारा की जाती है। मुतवल्ली एक प्रत्ययी पद रखता है। यह वक्फ़ विलेख में निर्दिष्ट नियमों और शर्तों से बंधा होता है। इनको को संपत्ति का प्रबंधन, उसका रखरखाव और यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा जाता है कि लाभार्थियों को इच्छित लाभ मिले। यह केवल मस्जिद का प्रबंधक/अधीक्षक होता है।

समाज में आएगा विश्वास

वक्फ बोर्ड के इस फैसले से राज्य में मस्जिदों के वित्तीय मामलों में पारदर्शिता आएगी और लोगों को विश्वास होगा कि उनके द्वारा दी गई राशि का सही उपयोग हो रहा है। इसके अलावा, यह कदम यह भी सुनिश्चित करेगा कि मस्जिदों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा समाज की भलाई, विशेष रूप से शिक्षा, में लगेगा।

वक्फ बोर्ड का यह कदम न केवल वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देगा, बल्कि यह मस्जिदों के कार्यों में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी का भी निर्वहन करेगा। अब देखना यह है कि इस फैसले से वक्फ बोर्ड के प्रयासों में कितना सुधार आता है और मस्जिदों में सुधार की प्रक्रिया कितनी सख्ती से लागू होती है।

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Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग

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