बिलासपुर

छत्तीसगढ़ : छात्राओं से अश्लील हरकतें करने वाले प्रधान पाठक और सहायक शिक्षक निलंबित…

बिलासपुर। शिक्षा के मंदिर में जहां गुरु को माता-पिता के समान माना जाता है, वहां कुछ लोग इस पवित्र पेशे को कलंकित कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से सामने आया है, जहां दो शिक्षकों पर छात्राओं के साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप साबित हुआ है।

बिलासपुर जिले के तखतपुर स्थित खुडियाडीह स्कूल में सहायक शिक्षक अशोक कुमार कुरें और बिल्हा के मंगला पासीद स्कूल में प्रधान पाठक रामकिशोर निर्मलकर पर छात्राओं ने बैड टच (अनुचित स्पर्श) करने का गंभीर आरोप लगाया था। जब प्रशासन ने इस मामले की जांच की, तो आरोप सही पाए गए। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने दोनों शिक्षकों को तत्काल निलंबित कर दिया और उन्हें अन्य स्कूलों में अटैच कर दिया गया।

शिक्षा विभाग की सख्त कार्रवाई : शिक्षकों द्वारा की गई इस शर्मनाक हरकत को शिक्षकीय गरिमा और सिविल सेवा नियमों का घोर उल्लंघन मानते हुए शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अपनाया। डीईओ ने तुरंत निलंबन आदेश जारी कर दिया, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके।

बढ़ते मामलों से शिक्षा जगत पर सवाल : यह कोई पहला मामला नहीं है, जब किसी शिक्षक ने अपनी मर्यादा लांघी हो। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को भूलकर छात्राओं का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे। इस घटना ने एक बार फिर स्कूलों में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

छात्राओं की सुरक्षा के लिए क्या जरूरी? :

  1. गुड टच-बैड टच की समझ: छात्राओं को जागरूक किया जाए कि वे गुड टच और बैड टच में फर्क समझें और किसी भी अनुचित हरकत की तुरंत शिकायत करें।
  2. सख्त निगरानी: स्कूलों में शिक्षकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।
  3. कड़ी सजा: ऐसे मामलों में दोषी पाए गए शिक्षकों पर आजीवन प्रतिबंध और कठोर सजा का प्रावधान हो।
  4. हेल्पलाइन सेवा: छात्राओं के लिए एक गोपनीय हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए, जहां वे बिना किसी डर के अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।

बच्चों को सतर्क बनाने की जरूरत : अभिभावकों और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को जागरूक करें और उन्हें बताएं कि अगर कोई व्यक्ति अनुचित हरकत करे तो वे बिना झिझक अपने माता-पिता, शिक्षकों या प्रशासन से इसकी शिकायत करें।

शिक्षा का उद्देश्य बच्चों का भविष्य संवारना है, न कि उनके साथ अनैतिक हरकतें करना। ऐसे शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि शिक्षा जगत की गरिमा बनी रहे और छात्र-छात्राएं सुरक्षित माहौल में सीख सकें।

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