बिलासपुर

हाईकोर्ट से पूर्व महाधिवक्ता को झटका: सतीश चंद्र वर्मा पर मंडराने लगा गिरफ्तारी का खतरा ; हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका की खारिज…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिससे उनकी गिरफ्तारी का खतरा मंडराने लगा है। इससे पहले रायपुर की विशेष अदालत भी उनकी जमानत याचिका को खारिज कर चुकी थी।

क्या है नान घोटाला? नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाला छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामलों में से एक है। इसमें राज्य के नागरिक आपूर्ति विभाग से जुड़ी अनियमितताओं का आरोप है, जिसमें करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार की बात सामने आई थी। 2015 में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 28 स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, बड़ी मात्रा में नकदी और आपत्तिजनक सामग्रियां बरामद हुई थीं। जांच के दौरान पता चला कि चावल आपूर्ति और अन्य खाद्य सामग्री वितरण में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है।

पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा पर क्या हैं आरोप? ईओडब्ल्यू और एसीबी की जांच में यह सामने आया कि नान घोटाले में तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग किया और मामले की जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने गवाहों को प्रभावित किया, सबूतों से छेड़छाड़ की और आरोपियों को बचाने की कोशिश की। विशेष रूप से, इस मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा मुख्य आरोपी हैं। ईओडब्ल्यू ने दावा किया कि सतीश चंद्र वर्मा ने इन अधिकारियों के साथ मिलकर जांच को भटकाने की कोशिश की। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

कैसे बढ़ी गिरफ्तारी की आशंका? जब ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की, तो सतीश चंद्र वर्मा ने रायपुर की विशेष अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने अत्यंत गंभीर मामला बताते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब उनकी गिरफ्तारी की आशंका और बढ़ गई है।

सीबीआई जांच की सिफारिश : नान घोटाले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की सिफारिश की है। इससे इस घोटाले से जुड़े सभी पहलुओं की निष्पक्ष और विस्तृत जांच संभव हो सकेगी।

क्या होगा आगे?

  • हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद ईओडब्ल्यू अब कभी भी सतीश चंद्र वर्मा की गिरफ्तारी कर सकती है।
  • इस मामले में सीबीआई की जांच भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे नए खुलासे हो सकते हैं।
  • नान घोटाले के अन्य आरोपियों की भूमिका को लेकर भी जांच एजेंसियां कड़ी नजर रख रही हैं।

नान घोटाले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की कानूनी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। हाईकोर्ट का ताजा फैसला उनके लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।

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