बालोद

कब्रिस्तान में घोटाला : दीवार गिरने से उठने लगे कई सवाल, सदर और ठेकेदार की मिलीभगत

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। कब्रिस्तान की दीवार गिरने के साथ ही कई राज खुलने लगे हैं, जिनका ना तो कोई ठोस कारण था और न ही कोई ठोस जवाब। जी हां, मामला है बालोद जिले के शहर दल्ली राजहरा स्थित मुस्लिम कब्रिस्तान की दीवार का, जिसकी मजबूती पर शासन ने लगभग 17 लाख 82 हजार रुपए खर्च किए थे। लेकिन अफसोस, एक महीने में ही दीवार पूरी तरह से ढहकर जमीदोज हो गई। अब सवाल ये उठता है कि क्या दीवार को बनाने वाले ठेकेदार की नीयत में कुछ खोट थी या फिर कुछ और ही मामला है? वहीं मुस्लिम जमात के कई लोगों का कहना है कि राजहरा मुस्लिम जमात का “सदर (अध्यक्ष) शेख नय्यूम” अब मुर्दों को भी चैन से सोने नहीं दे रहा। इससे पहले भी कई सदर रहे लेकिन उन्होंने जमात में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं किया।

मुस्लिम कमेटी दल्ली राजहरा के सदर (अध्यक्ष) और सेक्रेटरी, जिनके हाथ में कब्रिस्तान का जिम्मा है, अब इस भ्रष्टाचार और दुरुपयोग के मामले में पूरी तरह से मौन हैं। कहते हैं, “हर किसी की पहचान उसकी काम से होती है” लेकिन इन दोनों के काम ने पूरी मुस्लिम कमेटी और मुस्लिम समाज को बेहद शर्मिंदा कर दिया है। वहीं अन्य शहरों के लोग भी इनके कारनामों के कारण इन पर थूक रहे है। शासन से मिली राशि का क्या हुआ, ये सवाल किसी के मन में घुमते हुए सुलग रहे हैं, लेकिन सदर और सेक्रेटरी तो कान में रुई ठूंसकर सोए हुए हैं।

अब इस गिरती दीवार की वजह से कब्रिस्तान में जानवरों का जमावड़ा हो गया है, जिसमें कुत्ते और सूअर तक आराम से घुस आते हैं। ये जानवर कब्रों के पास जाकर वहां के शांति को भंग करते हैं और मृतकों की शांति में खलल डालते हैं। “मुस्लिम समाज के लोग अब पूछ रहे हैं कि जिनसे कब्रिस्तान की सुरक्षा और रख-रखाव की उम्मीद थी, वे अब क्यों खामोश हैं”?

शेख नय्यूम, मुस्लिम कमेटी के अध्यक्ष, क्या सचमुच अनजान हैं या वे जान-बूझकर इस मुद्दे से नजरें चुराने की कोशिश कर रहे हैं? यह समझ से परे है। और तो और, मुस्लिम कमेटी के सेक्रेटरी भी अब तक इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं, जैसे उनके कानों में रुई ठूंसी हो। उन्हें शायद यह महसूस नहीं हो रहा है कि वे लोगों के विश्वास को खो चुके हैं।

अब दीवार गिरने के बाद जनता और मीडिया में इस घोटाले को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं, लेकिन कब्रिस्तान के इन जिम्मेदारों के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। क्या यह घोटाला केवल एक दीवार तक सीमित है, या फिर इससे भी कहीं बड़े मुद्दे दफन हैं? ये सवाल राजहरा के नागरिकों के मन में अब तक गूंज रहे हैं।

आपको बता दें कि कांग्रेस शासन काल में यह भ्रष्टाचार हुआ है। अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनेक योजनाओं को लागू करने के नियम बनाए है। वहीं मुस्लिम समाज के जिम्मेदारों और भ्रष्ट ठेकेदारों द्वारा ऐसा सनसनीखेज कारनामा उजागर हुआ। वहीं मुस्लिम समाज के लोगों ने बताया कि कब्रिस्तान में औरतों के जाने पर सख्त मनाही है बावजूद इसके कब्रिस्तान में औरतों से काम करवाया जा रहा है। जो “इस्लामिक शरीयत के तौर पर नियम विरुद्ध है।”

राजहरा मस्जिद कमेटी के सदर और सेक्रेटरी का खुद का घर आज भी टिका हुआ है उसमें एक दरार भी नहीं आई है। तो कैसे इनकी निगरानी में मुस्लिम कब्रिस्तान में बनी दीवार मात्र एक माह में ही ढह गई, जो बड़ा सवाल है। इससे साफ साफ भ्रष्टाचार का खुलासा होता है। वहीं बाउंड्री वॉल निर्माण एजेंसी के इंजीनियर से पूछने पर उन्होंने बताया कि राजहरा मस्जिद कमेटी के सदर ने कब्रिस्तान की बाउंड्री वॉल को और आगे नाले तक बढ़ाने के निर्देश दिए थे। वहीं ठेकेदार ने नाले के किनारे बाउंड्री वॉल बना दी।

आदिवासी विकास शाखा बालोद में “आरटीआई एक्टिविस्ट फिरोज अहमद खान” द्वारा इस संबंध में आरटीआई दायर की गई थी। विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 10 अक्टूबर 2022 को “डौंडी के ठेकेदार आनंद जैन” को कार्यादेश दिया गया था। जिनके द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के मुस्लिम कब्रिस्तान अहाता निर्माण किया गया। वहीं अहाता निर्माण के ठीक एक माह में ही अहाता टूट गया। जिसे आज पर्यंत तक सुधारा नहीं गया है। विभाग के इंजीनियर द्वारा कैसे बिना नींव डाले दीवार बनाने के कागजों पर दस्तखत कर दिए गए। जो कही न कही भारी अनियमितता दिखाई देती है।

आपको बता दें कि 17.82 लाख की बाउंड्री वॉल में नींव तक नहीं डाली गई थी। इससे साफ जाहिर होता है कि भ्रष्टाचार के कारण कब्रिस्तान की दीवार ढह गई। “वहीं राजहरा मुस्लिम कमेटी के सदर (अध्यक्ष) शेख नय्यूम ने आज तक इस मामले में शिकायत तक नहीं की।” क्या शेख नय्यूम और उसके साथी इस घोटाले पर पर्दा डालने में सफल होंगे, या फिर उनका यह दुरुपयोग और भ्रष्टाचार पूरी तरह से बेनकाब हो जाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल कब्रिस्तान की गिरी हुई दीवार ने सच्चाई के कई राज खोल दिए हैं।

(नोट – समाचार के शीर्षक में लगी फोटो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से निर्मित है। लेकिन टूटे हुए कब्रिस्तान अहाता की तस्वीर असली है।)

Feroz Ahmed Khan

संभाग प्रभारी : दुर्ग

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