घरघोड़ा नगर पंचायत चुनाव: भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीयों के बीच घमासान, सांसद की 50 लाख की घोषणा ने मचाया बवाल…
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रायगढ़। घरघोड़ा नगर पंचायत चुनाव अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका है, और राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, जिससे इस चुनाव में रोमांच अपने चरम पर पहुंच चुका है। लेकिन इस बीच भाजपा सांसद राधेश्याम राठिया के एक बयान ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है।
सांसद की 50 लाख की घोषणा से मचा सियासी बवाल! लोकप्रिय सांसद राधेश्याम राठिया ने घरघोड़ा में प्रचार के दौरान यह घोषणा की कि जिस वार्ड में भाजपा के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी सुनील ठाकुर और भाजपा के पार्षद प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, वहां सांसद निधि से 50 लाख रुपये दिए जाएंगे। इस बयान के बाद सियासी गलियारों में भूचाल आ गया है। विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए भाजपा पर मतदाताओं को प्रलोभन देने का आरोप लगाया है।
क्या यह लोकतंत्र का अपमान नहीं? सांसद निधि जनता के टैक्स के पैसे से आती है, और इसका उपयोग सभी वार्डों के समान विकास के लिए किया जाना चाहिए। लेकिन सांसद की इस घोषणा ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या भाजपा केवल उन्हीं वार्डों का विकास करेगी, जहां से उसे अधिक समर्थन मिलेगा?
- क्या यह मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास नहीं है?
- क्या चुनाव आयोग इस मामले का संज्ञान लेगा?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह वोटों की “सौदेबाजी” का एक उदाहरण है, जो निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है।
भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशियों की रणनीतियाँ :
- भाजपा प्रत्याशी – सुनील सिंह ठाकुर : भाजपा ने सुनील सिंह ठाकुर को नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतारा है। उनका चुनावी एजेंडा स्थानीय विकास और भाजपा की नीतियों के प्रचार पर केंद्रित है। सांसद की 50 लाख की घोषणा से भाजपा को कुछ फायदा हो सकता है, लेकिन यह विरोधियों के लिए एक मुद्दा भी बन गया है।
- कांग्रेस प्रत्याशी – सोमदेव मिश्रा : कांग्रेस ने सोमदेव मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है, जो स्थानीय मुद्दों और जनसंपर्क अभियान पर जोर दे रहे हैं। वे भाजपा की सांसद निधि वाली घोषणा को लोकतंत्र विरोधी करार दे रहे हैं और जनता को यह समझाने में लगे हैं कि विकास कोई चुनावी इनाम नहीं, बल्कि नागरिकों का हक है।
- निर्दलीय प्रत्याशी – सुरेंद्र सिंह चौधरी (सिल्लू भैया) : पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, जिन्हें जनता सिल्लू भैया के नाम से जानती है, ने निर्दलीय रूप से ताल ठोकी है। उन्होंने इसे भाजपा और कांग्रेस दोनों के खिलाफ जन आंदोलन बना दिया है। उनके प्रचार में जनता की समस्याओं को प्रमुखता दी जा रही है और वे मतदाताओं से सीधे संवाद कर रहे हैं।
क्या चुनाव आयोग लेगा संज्ञान? चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, सरकारी योजनाओं और सांसद निधि जैसी सरकारी राशि का उपयोग चुनावी लाभ के लिए नहीं किया जा सकता। विपक्षी दलों ने इस मामले को चुनाव आयोग तक ले जाने की तैयारी कर ली है। अब देखना होगा कि क्या इस पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
घरघोड़ा के चुनावी मुद्दे : इस बार घरघोड़ा के मतदाता केवल पार्टियों के वादों पर नहीं, बल्कि स्थानीय मुद्दों पर भी ध्यान दे रहे हैं। चुनाव में मुख्यतः ये मुद्दे हावी हैं:
- सड़कें जर्जर हालत में हैं, जिनका सुधार जरूरी है।
- पेयजल संकट गहराता जा रहा है, जिसे लेकर जनता में नाराजगी है।
- नालियों की सफाई व्यवस्था खराब है, जिससे कई इलाकों में गंदगी पसरी हुई है।
जनता का रुख और संभावित नतीजे : घरघोड़ा की जनता अब इस बात को लेकर दोराहे पर है –
- क्या सांसद निधि की घोषणा भाजपा के पक्ष में माहौल बना पाएगी?
- या फिर जनता इसे लोकतंत्र के खिलाफ मानकर भाजपा से दूर हो जाएगी?
चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में है, और सभी प्रत्याशी अंतिम समय तक मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। मतदान 11 फरवरी को होगा और 15 फरवरी को परिणाम घोषित किए जाएंगे।
अब देखना यह होगा कि जनता विकास को आधार बनाकर मतदान करती है या सांसद निधि की घोषणा जैसे प्रलोभनों को लेकर फैसला लेती है। घरघोड़ा का चुनाव केवल एक स्थानीय चुनाव नहीं, बल्कि लोकतंत्र और निष्पक्षता की परीक्षा भी है। क्या घरघोड़ा की जनता अपने अधिकारों के लिए खड़ी होगी, या फिर यह राजनीति का एक और शिकार बनकर रह जाएगा? इसका जवाब 15 फरवरी को मिलेगा।
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