राष्ट्रीय

डिजिटल इंडिया में नेटवर्क संकट : क्या सरकार और टेलीकॉम कंपनियां कर रही हैं जनता के साथ धोखा?…

नई दिल्ली | भारत में डिजिटल क्रांति के दौर में टेलीकॉम कंपनियां हाई-स्पीड इंटरनेट और बेहतर नेटवर्क का दावा कर रही हैं, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। देशभर में लाखों लोग धीमे इंटरनेट, बार-बार कॉल ड्रॉप और नेटवर्क न मिलने जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन इसका लाभ जनता को कितना मिला?

नेटवर्क समस्या: वादे बड़े, हकीकत फीकी : टेलीकॉम कंपनियां लगातार 5G, हाई-स्पीड डेटा और बेहतरीन नेटवर्क का विज्ञापन कर रही हैं, लेकिन ग्राहक आज भी अच्छा नेटवर्क पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बड़े शहरों में तो फिर भी स्थिति ठीक है, लेकिन ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में नेटवर्क पूरी तरह से फेल हो रहा है।

  • कई जगहों पर मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह से गायब हो जाता है और जहां नेटवर्क आता भी है, वहां इंटरनेट की स्पीड इतनी धीमी होती है कि कोई भी ऑनलाइन काम ठीक से नहीं हो पाता।
  • ग्राहक महंगे प्लान खरीदने को मजबूर हैं, लेकिन बदले में खराब सेवा मिल रही है।
  • टेलीकॉम कंपनियां शिकायतों को नजरअंदाज कर रही हैं, सिर्फ औपचारिक जवाब देकर मामले को टाल दिया जाता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 4G और 5G की पहुंच नाममात्र की है, कई जगहों पर 2G और 3G नेटवर्क भी मुश्किल से काम कर रहा है।

डिजिटल मीडिया भी हो रहा है प्रभावित : सिर्फ आम जनता ही नहीं, बल्कि डिजिटल मीडिया संस्थानों के लिए भी यह नेटवर्क संकट एक बड़ी चुनौती बन गया है।

  • लाइव रिपोर्टिंग और डिजिटल न्यूज़ कवरेज में दिक्कतें आ रही हैं।
  • अत्यधिक ट्रैफिक और कमजोर सर्वर लोड के कारण समाचार वेबसाइट और ऐप्स ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं।
  • साइबर हमलों और सेंसरशिप के चलते कई डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रभावित हो रहे हैं।

सरकार और कंपनियों की चुप्पी, जनता को नुकसान : सरकार और टेलीकॉम कंपनियां इस गंभीर समस्या पर चुप्पी साधे हुए हैं। जब ग्राहक खराब नेटवर्क को लेकर कंपनियों से शिकायत करते हैं, तो उन्हें केवल “हम इस पर काम कर रहे हैं” जैसे जवाब देकर टाल दिया जाता है।

  • सरकार ने डिजिटल इंडिया को सफल बनाने के लिए कई घोषणाएं कीं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।
  • कोई स्पष्ट नीति नहीं है कि टेलीकॉम कंपनियों को बेहतर सेवा देने के लिए कैसे बाध्य किया जाए।
  • नेटवर्क सुधारने के बजाय कंपनियां सिर्फ नए-नए महंगे प्लान लॉन्च कर रही हैं।

आगे क्या? डिजिटल इंडिया का सपना तब तक अधूरा रहेगा जब तक हर नागरिक को तेज, स्थिर और सुलभ नेटवर्क नहीं मिलेगा। सरकार और टेलीकॉम कंपनियों को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा, वरना जनता का भरोसा पूरी तरह टूट जाएगा।

अब सवाल य़ह उठता है कि : क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएगी? या फिर जनता को खराब नेटवर्क और महंगे प्लान के बीच संघर्ष करना ही पड़ेगा?

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