पर्यटकों को यहाॅ मिलता है एक रोमांचकारी अनुभव। सुर्योदय और सुर्यास्त के समय दिखता है मनमोहक नजारा।
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले में प्राकृतिक सौन्दर्यता से परिपूर्ण स्थलों की कमी नहीं है, यहाॅ कई ऐसे पर्यटक स्थल है जो लोगो को अपनी ओर आकर्षित करती है। अगर आपको घूमने के साथ ही एडवेंचर का शौक हो तो प्राकृतिक नजारों से परिपूर्ण दुर्गडोंगरी माॅ किल्लेवाली माता मंदिर में आप जरूर आ सकते हैं। यह स्थान प्राकृतिक वनों के बीच उँचे पहाड़ पर स्थित है, जहाँ पहुँचने पर दिखने वाला नजारा आपकी सारी थकान को मिनटों में ही उत्साह में बदल देगा। यहाॅ दिखने वाला नजारा, आपके सफर को रोमांचक और बेहद ही अविस्मरणीय बना देता है। यह स्थान प्रकृति की सुंदरता को करीब से निहारने का एक बेहतर ठिकाना बन गया है।
बालोद जिले के डौण्डी विकासखण्ड के ग्राम कोटागांव के समीप स्थित इस जगह ने अपने प्राकृतिक सुंदरता से पर्यटकों को अपने करीब आकर्षित किया है। यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता, बोईरडीह जलाशय, दुर्गडोंगरी माॅ किल्लेवाली मंदिर सहित एडवेंचर पसंद लोगों के लिए एक बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है। यहाॅ हर मौसम में प्रतिदिन आने वाले पर्यटक माॅ किल्लेवाली का आर्शीवाद लेने के साथ ही प्रकृति की खूबसूरती से भरपूर इस स्थान का आनंद लेते हैं।
प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण इस स्थान के चारों ओर वनक्षेत्र हैं, तो वहीं पास स्थित बोईरडीह जलाशय का खुबसुरत दृश्य और दल्ली राजहरा तथा महामाया की पहाड़ियों का दृश्य पर्यटकों में एक रोमांचकारी अनुभव पैदा कर देता है। बारिश के दिनों में यहाॅ चारों ओर हरियाली नजर आती है, जिससे इस जगह की खुबसुरती कहीं ज्यादा ही बढ़ जाती है। उँचे वृक्षों के बीच सीढ़ियों और कच्चे पगडंडी वाले रास्ते के साथ ही बढ़ती उँचाई इस सफर को और भी ज्यादा रोमांचक बना देती है। उपर जाते-जाते थकान भी होती है, लेकिन उपर मंजिल तक पहुँचने पर यहाँ के नजारे सारी थकान को उत्साह में बदल देता है।
जिला मुख्यालय बालोद से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है दल्ली राजहरा, जहाँ से महामाया रोड में 10 किलोमीटर का सफर तय करने के पश्चात आपको किल्लेवाली माता मंदिर जाने का द्वार नजर आता है। यहाॅ काफी उॅचाई तक वाहनों के आवागमन हेतु सीसी सड़क का निर्माण किया गया है। जिसके पश्चात वाहन पार्किंग की सुविधा भी है। यहाॅ से पर्यटक पैदल ही सीढ़ियों के माध्यम से उपर मंदिर तक जाना आना करते हैं। जानकारों के अनुसार बालोद जिले के इस पर्यटन स्थल को दुर्ग डोंगरी के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें दुर्ग का मतलब किला तथा डोंगरी का अर्थ पहाड़ होता है वही दोनों का शाब्दिक अर्थ पहाड़ पर किला होता है। पहले इस जगह पर किला था, आज सिर्फ अवशेष बचे हैं। यहाॅ सुर्योदय व सुर्यास्त का बेहद ही मनमोहक नजारा भी दिखाई देता है।