प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता से क्षेत्र में हरे भरे वृक्षों की अंधाधुंध अवैध कटाई, लकड़ी तस्कर सक्रिय
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के गुंडरदेही तहसील अंतर्गत धान कटाई के बाद से गांवों में हरे-भरे वृक्षों की अंधाधुंध अवैध कटाई का मामला सामने आया है। प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता और मिलीभगत के चलते लकड़ी तस्करों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही है। गुंडरदेही ब्लॉक के सकरौद, राहुद, मचौद, चाराचार, कांदुल, भाटागांव, खुरसुनी, रनचिरई, सिकोसा, धनगांव, माहुद जैसे गांवों में आधुनिक स्वचालित आरा मशीनों का इस्तेमाल करके हरे-भरे वृक्षों की कटाई की जा रही है। इन वृक्षों को शहरों की आरा मशीनों तक पहुंचाने के लिए बड़े-बड़े ट्रक ट्रैक्टर और टिप्पर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अर्जुन वृक्ष, जो कि प्रतिबंधित वृक्षों की श्रेणी में आता है, उसकी अंधाधुंध कटाई हो रही है। राजस्व अधिकारियों की निष्क्रियता कहे या मिलीभगत जिसके कारण यह अवैध गतिविधियां सरकारी नाक के नीचे हो रही हैं। बाजार में अर्जुन वृक्ष की लकड़ी की मांग अधिक होने के कारण लकड़ी माफिया इसे ज्यादा से ज्यादा काटने में लगे हुए हैं, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन और जंगलों की अंधाधुंध कटाई को बढ़ावा मिल रहा है।
कई स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारी जानबूझकर इन गतिविधियों से आंखें मूंदे हुए हैं। विभागीय अधिकारियों, जैसे कि वन विभाग, राजस्व विभाग और स्थानीय पुलिस की लापरवाही के कारण यह अवैध कटाई बेरोकटोक जारी है। लकड़ी तस्करों के साथ अधिकारियों की मिलीभगत के संकेत भी मिल रहे हैं, क्योंकि यह कारोबार खुलेआम गांवों में हो रहा है और बड़े ट्रकों के माध्यम से लकड़ी का परिवहन आदि किया जा रहा है।
जब तक स्थानीय प्रशासन को इस अवैध कटाई की जानकारी नहीं मिलती, तब तक यह कटाई आधुनिक मशीनों से की जाती है और सड़क के रास्ते लकड़ी का परिवहन किया जाता है। नकली कागजात और अन्य दस्तावेजों के जरिए अवैध लकड़ी को वैध बनाने की कोशिश की जाती है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह पूरी प्रक्रिया सफल हो रही है।
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत, सरकारी और निजी भूमि पर किसी भी प्रकार के वृक्षों की कटाई को कड़े नियमों के तहत नियंत्रित किया जाता है। इस अधिनियम के तहत सरकारी भूमि पर अवैध लकड़ी कटाई करना एक गंभीर अपराध है, और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति अर्जुन वृक्ष जैसे प्रतिबंधित वृक्ष की कटाई करता है, तो उसे वन विभाग द्वारा जुर्माना और सजा का सामना करना पड़ता है।
प्रशासन को वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों की निगरानी बढ़ानी चाहिए और अवैध कटाई करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इसके लिए स्थानीय पुलिस को भी सक्रिय करना होगा ताकि इस कारोबार को बंद किया जा सके। वन विभाग, राजस्व विभाग, और स्थानीय पुलिस को मिलकर लकड़ी तस्करों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। इसके लिए सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी बढ़ाने और अवैध कटाई को रोकने के लिए नियमित पैट्रोलिंग की आवश्यकता है। स्थानीय लोगों को जन जागरूकता अभियान के तहत यह समझाना होगा कि अवैध वृक्ष कटाई से न केवल पर्यावरणीय नुकसान हो रहा है, बल्कि यह समाज और प्राकृतिक संसाधनों के लिए भी हानिकारक है। इसके लिए सामाजिक संगठनों और मीडिया का भी सहयोग लिया जा सकता है।
प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता और मिलीभगत के कारण वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और लकड़ी तस्करों का कारोबार बढ़ता जा रहा है। अर्जुन वृक्ष जैसी प्रतिबंधित प्रजातियों की कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो रहा है। कानूनी कार्यवाही, सख्त प्रशासनिक निगरानी और सामाजिक जागरूकता के माध्यम से इस अवैध गतिविधि को रोकने और पर्यावरण को बचाने की आवश्यकता है।