छत्तीसगढ़

बिलासपुर : बेशकीमती जमीन पर स्टे देकर कमिश्नर एक्का को हटाया था.. मामले पर जांच से होगा बड़ा खुलासा…

बिलासपुर। न्यायधानी बिलासपुर के बेशकीमती जमीन के खेल में आईएएस एक्का का तबादला सरकार ने कर दिया था।चर्चित मिशन अस्पताल के लीजधारकों की अपील संभाग आयुक्त न्यायालय ने खारिज कर दी है। पूर्व कमिश्नर नीलम नामदेव एक्का ने जिला प्रशासन द्वारा की जा रही अस्पताल की जमीन के अधिग्रहण पर स्टे दे दिया था। जिस पर राज्य सरकार बेहद खफा हुई और कमिश्नर नीलम नामदेव एक्का को हटा दिया गया था। नीलम नामदेव एक्का को बिलासपुर संभाग आयुक्त के पद पर पोस्टिंग पाने के बाद सिर्फ एक माह से भी कम समय में सरकार ने राजधानी वापस बुला लिया। इस फैसले को सरकार की नाराजगी से जोड़ कर देखा गया था।

नए कमिश्नर महादेव कावरे ने पूर्व कमिश्नर के आदेश को पलटते हुए पहले स्टे वेकेंट किया फिर अंतिम फैसला देते हुए जिला प्रशासन के पक्ष में आदेश भी पारित कर दिया। अब जिला प्रशासन इस जमीन को अपने कब्जे में ले सकेगा। गौरतलब है कि शहर के मध्य में स्थित 11 एकड़ अरबों की जमीन को अस्पताल के नाम से लीज में लेकर इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था। सन 1994 में लीज खत्म होने के बावजूद भी कब्जे में रखकर इसमें लगातार व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कर आर्थिक लाभ लिया जा रहा था। बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण के संज्ञान में यह मामला आने के बाद जिला प्रशासन के द्वारा अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की गई थी। जिसके खिलाफ लीज धारकों ने संभाग आयुक्त न्यायालय से स्टे ले लिया था। जिसे कमिश्नर महादेव कावरे ने खारिज कर दिया है।

मिशन अस्पताल के लीज का मामला काफी चर्चाओं में रहा था। यह जमीन शहर के मध्य में स्थित है। जिसे सेवा के नाम से 11 एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी। लीज पर जमीन लेकर डायरेक्टर रमन जोगी ने इसे चौपाटी बनाकर किराए पर दे रखी थी। एक रेस्टोरेंट भी इस पर संचालित हो रहा था। जिससे लाखों रुपए किराए के रूप में वसूले जा रहे थे। लीज की शर्तों का उल्लंघन कर व्यावसायिक उपयोग करने पर कलेक्टर अवनीश शरण की तिरछी नजर पड़ी। जब इसके रिकॉर्ड मंगवाए गए तब चौंकाने वाले खुलासे हुए। सन 1966 में लीज का नवीनीकरण साल 1994 तक के लिए कर लीज बढ़ाई गई थी। 31 अप्रैल 1994 तक लीज की अवधि थी। लीज की अवधि बढ़ाने के समय इसमें कई शर्तें भी लागू की गई थी। पर शर्तों का उल्लंघन कर न केवल इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था बल्कि 92069 वर्ग फिट अन्य व्यक्तियों के नाम रजिस्टर विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। लीज अवधि समाप्त होने के बाद भी लीजधारक कब्जे पर कायम था। जिस पर कलेक्टर के निर्देश पर निगम कमिश्नर अमित कुमार, बिलासपुर एसडीएम पीयूष तिवारी, नजूल अधिकारी एसएस दुबे, नजूल तहसीलदार शिल्पा भगत की टीम ने अस्पताल के अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की।

हाईकोर्ट से लेकर मामला पहुंचा थाने तक : अधिग्रहण की कार्यवाही के दौरान कई विवाद सामने आए। डायरेक्टर रमन जोगी ने अधिग्रहण की कार्यवाही को गलत बता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। जिस पर हाईकोर्ट ने डायरेक्ट हाईकोर्ट आने की बजाय पहले संभाग आयुक्त न्यायालय, राजस्व बोर्ड में अप्रैल करने का निर्देश देते हुए याचिका खारिज कर दी। इसके बाद 16 अगस्त को नजूल शाखा से नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर भूमि खाली करने को कहा गया था। 20 अगस्त को क्रिश्चियन वुमन बोर्ड का मिशन के डायरेक्टर रमन जोगी ने 10 दोनों का समय मांगा था। जिस पर उन्हें 10 दिन के बजाय 6 दिन का समय ही दिया गया था। 26 अगस्त तक यह जमीन खाली करनी थी। पर डायरेक्टर रमन योगी ने 22 अगस्त को ही शाम 5:00 बजे तक कब्ज़ा छोड़ देने की बात का सूचना जिला प्रशासन को दे दी। अपने पत्र में रमन जोगी ने अस्पताल के ओपीडी, इक्विपमेंट, लेबर रूम, नवजात शिशु केंद्र, नर्सिंग स्कूल, हॉस्टल, क्लास अस्पताल के ओपीडी, इक्विपमेंट, लेबर रूम, आईसीयू, नवजात शिशु केंद्र, नर्सिंग स्कूल, हॉस्टल, क्लासरूम लैबोरेट्री एवं रेजिडेंशियल आवासीय डॉक्टर्स कॉलोनी एवं स्टाफ क्वार्टर को सौंपने की बात कही। इसके अलावा मरीजों की चिकित्सा व अन्य संपूर्ण गतिविधियों से अपना दायित्व मुक्त होने की बात कहते हुए इसके पश्चात किसी भी प्रकार की घटना- दुर्घटना अस्पताल में होने पर उसकी जवाबदारी आवेदक की नहीं होने की बात पत्र में लिखी।

डायरेक्टर के लिखे पत्र के बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने निगम कमिश्नर अमित कुमार, एसडीएम पीयूष तिवारी, नजूल अधिकारी एसएस दुबे, तहसीलदार शिल्पा भगत पुलिस और डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ की टीम बनाकर अस्पताल भेजी। पर अस्पताल में एक भी मरीज भर्ती टीम को नहीं मिला। पूरे परिसर अस्पताल का एहतियातन वीडियोग्राफी करवाई गई ताकि बाद में कोई भी अनगर्ल आरोप न लगे। साथ ही हॉस्पिटल में जगह-जगह नोटिस भी चस्पा किया गया।

नजूल तहसीलदार शिल्पा भगत ने डायरेक्ट रमन जोगी कोपत्र लिखकर मामले में बताया था कि संपूर्ण कार्यवाही न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत हो रही है। आपके द्वारा समय मांगने पर 26 अगस्त तक समय भी दिया गया है। डायरेक्ट होने के नाते उक्त संपत्ति और इस पर स्थित भवनों पर आपकी जिम्मेदारी है। 26 अगस्त तक भवन खाली करने और अस्पताल तथा अस्पताल में यदि भर्ती मरीज हो तो उन्हें स्थानांतरित करने की जवाबदारी आपकी है और 26 अगस्त तक घटना – दुर्घटना होने पर आप जवाबदार होंगे। नजूल तहसीलदार के पत्र को डायरेक्ट रमन जोगी से तामील करवाने के अलावा परिसर में स्थित बिल्डिंग में भी चिपकाए गए। परिसर की निगरानी के लिए सीसीटीवी भी लगाए गए।

इस बीच कुछ लोगों ने उक्त जमीन पर खुद को लीजधारक बता अपना बोर्ड टांग दिया और सीसीटीवी के तार काट दिए। जिस पर जिला प्रशासन ने सिविल लाईन थाने में अपराध भी दर्ज करवाया। दूसरी तरफ संभाग आयुक्त नीलम नामदेव एक्का ने जिला प्रशासन की कार्यवाही पर स्टे दे दिया।इस बीच कुछ लोगों ने उक्त जमीन पर खुद को लीजधारक बता अपना बोर्ड टांग दिया और सीसीटीवी के तार काट दिए। जिस पर जिला प्रशासन ने सिविल लाईन थाने में अपराध भी दर्ज करवाया। दूसरी तरफ संभाग आयुक्त नीलम नामदेव एक्का ने जिला प्रशासन की कार्यवाही पर स्टे दे दिया।

कमिश्नर  एक्का के स्टे के बाद मचा बवाल :  राज्य शासन के द्वारा आईएएस अफसरों के द्वारा किए गए ट्रांसफर के तबादलों में नीलम नामदेव एक्का को बिलासपुर संभाग आयुक्त बनाकर भेजा गया। जिनके द्वारा जिला प्रशासन के द्वारा की जा रही मिशन अस्पताल के अधिग्रहण की कार्यवाही पर स्टे दे दिया गया। स्टे देने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें पोस्टिंग के एक महीने के भीतर ही बिलासपुर से हटाकर रायपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे को बिलासपुर संभाग का भी अतिरित प्रभार दे दिया। नीलम नामदेव एक्का के तबादले को जोड़कर देखा जा रहा था। महादेव कावरे के चार्ज लेने के बाद मामले में सुनवाई चल रही थी। लगभग दो माह तक संभाग आयुक्त कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। जिसमें जिला प्रशासन और मिशन अस्पताल के लीजधारकों का पक्ष सुना गया। कमिश्नर कावरे ने स्टे पहले ही हटा दिया था। 25 अक्टूबर को मामले की हुई सुनवाई में 30 अक्टूबर को फैसले की तारीख दी गई थी। 30 अक्टूबर को कमिश्नर न्यायालय ने जिला प्रशासन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अधिग्रहण को सही बात लीजधारकों की अपील निरस्त कर दी। जिसके बाद अब जिला प्रशासन मिशन अस्पताल की जमीन को अपने कब्जे में ले सकेगा।यह मोहल्ला चांटापारा शीट नंबर 17, प्लाट नंबर 20/1 एवं रकबा 382711 एवं 40500 वर्गफीट है। 1966 में लीज का नवीनीकरण कर साल 1994 तक लीज बढ़ाई गई थी। पुलिस की अवधि 31 अप्रैल 1994 तक के लिए थी। जिसमें मुख्य रूप से निर्माण में बदलाव एवं व्यवसायिक गतिविधियां बिना कलेक्टर की अनुमति के न किए जाने की शर्त थी। पुलिस की नवीनीकरण उपरांत सीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20 रकबा 474790 में से 92069 वर्गफीट अन्य व्यक्ति को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। इसके साथ ही किराए पर अन्य प्रतिष्ठानों को दे इसे कमाई का माध्यम बना लिया गया था। 1994 को लीज खत्म होने के बाद 30 वर्षों तक लीज का नवीनीकरण नहीं करवाया गया था।

मिशन अस्पताल की स्थापना साल 1885 में हुई थी। इसके लिए क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल बिलासपुर, तहसील व जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ को जमीन आबंटित की गई थी। यह मोहल्ला चांटापारा शीट नंबर 17, प्लाट नंबर 20/1 एवं रकबा 382711 एवं 40500 वर्गफीट है। 1966 में लीज का नवीनीकरण कर साल 1994 तक लीज बढ़ाई गई थी। पुलिस की अवधि 31 अप्रैल 1994 तक के लिए थी। जिसमें मुख्य रूप से निर्माण में बदलाव एवं व्यवसायिक गतिविधियां बिना कलेक्टर की अनुमति के न किए जाने की शर्त थी। पुलिस की नवीनीकरण उपरांत सीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20 रकबा 474790 में से 92069 वर्गफीट अन्य व्यक्ति को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। इसके साथ ही किराए पर अन्य प्रतिष्ठानों को दे इसे कमाई का माध्यम बना लिया गया था। 1994 को लीज खत्म होने के बाद 30 वर्षों तक लीज का नवीनीकरण नहीं करवाया गया था।

Back to top button
error: Content is protected !!