जिले में खुलेआम चल रहे अवैध कबाड़खाने
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले के बालोद, डौंडीलोहारा व गुरुर में अवैध रूप से कबाड़ का धंधा जोरो पर खुलेआम चल रहा है। आपको बता दे कि पुलिस थाने से महज कुछ ही दूरी पर प्रशासन से आंख मिचौली कर यह अवैध कारोबार को खुलेआम अंजाम दिया जा रहा है। कबाड़ व्यवसाय के लिए शासन ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाया है, पर इसके लिए लाइसेंस जरूरी है। नियम के मुताबिक कबाड़ खरीदी बिक्री के व्यवसाय के लिए लाइसेंस बना होना चाहिए। शहर में कबाड़ की दो दुकानें हैं, पर उनमें से किसी के पास भी कोई लाइसेंस नही है। कबाड़ की खरीदी – बिक्री की कोई रसीद भी नहीं होती। हालांकि इन कबाड़खानों में आसपास की गांव में घूम-घूमकर कुछ लोग इन्हें खरीद कर लाते हैं। फिर उसे किसी कबाड़खाने में बेचकर अपना जीवन यापन करते है।
कई बार तो चोरी किये हुए समान को चोरों के द्वारा खपाने का प्रयास किया जाता है। ऐसे कई कबाड़ वाले भी है जो कीमती लोहे की समान को कम रेट में खरीद कर मशीन द्वारा उसके टुकड़े कर खरीद लिया जाता है। ताकि खरीदे गये चोरी के माल के बारे में किसी को सुराग ना लग सके। ऐसे कई चोरी की घटनाएं इस क्षेत्र में आये दिन घटती रहती है।जानकारी के अनुसार दादा कबाड़ी नामक कबाड़ दुकान जो कि ग्राम पंचायत बोरतरा में संचालित है।
जिले के कुछ मीडियाकर्मी जब इस संबंध में जानकारी लेने पहुँचे तब उन्हें पैसे की मांग कर रहे है करके दादा कबाड़ी के संचालक द्वारा समाचार प्रकाशित न कर दे करके थाने में झूठी शिकायत किया गया है। पुलिस भी इन कबाड़ियों के आगे – पीछे मंडराते रहती है, क्योंकि इन खाकीधारियों के रोज का सब्जी- भाजी, दाल नमक का खर्चा इन्हीं अवैध धंधेबाजों के सहारे चलता है। चाहे वह कबाड़ी हो, गांजा बेचने वाला हो या फिर सट्टा खाईवाल…
इन अवैध कारोबारियों पर कार्यवाही के नाम से पुलिसिया रवैया सुस्त ही देखा जाता है। यही कारण है कि इन अवैध धंधेबाजों को पुलिस का डर नहीं होता और बिंदास, बेखौफ सारे अवैध काम खाकी के सरपरस्ती में अंजाम दिया जाता है जिससे इन अवैध कारोबार में लिप्त लोगों का हौसला बुलन्द रहता है।