मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में भ्रष्टाचार के गंभीर मामले की जांच नहीं और प्लास्टर गिरने की घटना में क्या शिक्षक दोषी?
असल जिम्मेदार कौन उठ रहा सवाल
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद/डौंडी। जिले में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना पर भ्रष्टाचार प्रकरण सामने आने के बाद भी संबंधित उच्चाधिकारियों ने अब तक कोई जांच कारवाई नही करवाई गई है, जबकि शासन द्वारा दिए करोड़ों की राशि के मरम्मत कार्य के बाद कई स्कूल भवनों की स्तिथि दयनीय बनी हुई है और बच्चे उसी स्कूल में अध्ययनरत है। सनद रहे कि बालोद जिले के विभिन्न स्कूलों में करोड़ों के मरम्मत कार्य अधूरे रहने के बावजूद निर्माण एजेंसी ने अधूरे मरम्मत कार्यों को पूर्ण बताकर ठेकेदारों को “राशि” भुगतान पूरा कर दिया गया है। इस मामले में निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी विभाग ने ठेकेदारों का दस प्रतिशत और आरईएस विभाग ने छह प्रतिशत राशि रोककर रखने की जानकारी दिया है।
आपको बता दें कि तीन दिन पूर्व बालोद जिले के ग्राम कोरगुड़ा स्कूल में छत का प्लास्टर गिरने से चार छात्र घायल हुए थे। जिसके मामले में प्रशासन द्वारा प्रधान पाठक व संकुल सम्वन्यक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। वही 21अगस्त को डौंडी ब्लाक के ग्राम भर्रीटोला 36 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में छत के प्लास्टर गिर जाने की घटना बीती है। इस घटना की वास्तविक जानकारी बीईओ से लेने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कार्यवाही की बात कही गई है।
लेकिन जिस तरह करोड़ों अरबों रुपए के फंड मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में अधूरे मरम्मत कार्यों को पूर्ण बताकर ठेकेदारों का भुगतान पूरा कर दिया गया और इसकी भ्रष्टाचार सामने आने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की जा रही है। हाल ही में स्कूल के छत का प्लास्टर गिरने मामले में प्रधान पाठक व संकुल सम्वन्यक पर सख्ती दिखाते हुए निलंबन की त्वरित कार्यवाही किए जाने से कुछ स्कूल शिक्षकों द्वारा कार्यवाही को लेकर सवाल उठाया जा रहा है।
इस मामले में नाम ना छापने की शर्त पर कुछ शिक्षको ने कहा कि कोई भी स्कूल भवन जर्जर होने के पीछे इसका असल जिम्मेदार कौन है। संबंधित ठेकेदार, विभागीय अधिकारी, स्कूल प्रधान पाठक या संकुल सम्वन्यक..? यदि प्रधान पाठक और संकुल सम्वन्यक ही इसके दोषी बताए जा रहे है। तो फिर विभागीय अधिकारी व संबंधित ठेकेदार की क्या भूमिका रहती है। यदि इनकी कोई भूमिका ही नहीं रहती तो स्कूल भवन निर्माण या जीर्णोधार, मरम्मत कार्यों को प्रधान पाठक व संकुल सम्वन्यक के हवाले करना चाहिए। जिसके बाद यदि स्कूल भवन में कोई घटना – दुर्घटना घटित होती है। तब नियमतः प्रधान पाठक और संकुल सम्वन्यक पर कार्यवाही किया जाना चाहिए, वो भी ठोस रूप में ताकि संबंधित ठेकेदार व अधिकारी पर कोई सवालिया निशान लगाने की जुर्रत कोई ना कर सके। यह भी कहा जा रहा कि जब स्कूल भवन जर्रर हो रहा है तो इसकी मॉनिटिरिंग कर उचित समय में भवन निर्माण, जीर्णोधार, मरम्मत कार्य कराने का जवाबदेही किसकी बनती है। इस विषय में स्कूल शिक्षको पर कार्यवाही किए जाने से तरह तरह के सवाल उठाए जा रहे है।
बड़ा प्रश्न यह भी उठ रहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा स्कूल भवन जीर्णोद्धार, मरम्मत कार्यों के नाम पर अरबों रुपयों की राशि स्वीकृत किए जाने के बावजूद स्कूल भवन जर्रर स्तिथि में क्यों और किसके कारण से है। इसकी जांच क्यों नही करवाई जा रही है तथा अरबों रुपए की राशि कहा खर्च की जा रही है। बालोद जिले के इन स्कूल भवनों की दयनीय स्थिति का मूल जिम्मेदार कौन कौन है? क्या इस मसले पर सूक्ष्म जांच की जाएगी तथा मुख्य दोषियों पर कार्यवाही होगी, या फिर इन मामलो में केवल छोटे कर्मचारियों पर ही कार्यवाही की गाज गिरते रहेगी। बालोद जिले में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में भ्रष्टाचार के गंभीर प्रकरण का संज्ञान कब तक लिया जाएगा व जांच आखिर कब तक होगी..?क्या मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में किए गए अधूरे मरम्मत कार्य वाले इन स्कूलों में भी कोई बड़ी घटना होने का इंतजार जिम्मेदारों द्वारा किया जा रहा है।