फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। बालोद जिले के पुरुर थाना प्रभारी शिशुपाल सिन्हा का नाम स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले वीरता के राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित हुआ है। इसके बाद से पूरे जिले भर के पुलिस विभाग के अधिकारी कर्मचारियों में हर्ष व्याप्त है। बता दे कि जिले के पुरूर थाना में पदस्थ निरीक्षक शिशुपाल सिन्हा को 26 जनवरी 2025 के लिए राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार मिलेगा। उनके अदम्य साहस के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। हालांकि जो पुरस्कार उन्हें मिलने जा रहा है उसके पीछे की घटना बालोद नहीं बल्कि बस्तर में पोस्टिंग के दौरान की है। जो की 2021 में घटित हुई थी।
जब दरभा घाटी में शिशुपाल सिन्हा अपने कुछ साथियों के साथ नक्सलियों से घिर चुके थे। बैकअप फोर्स आने में समय था। फिर भी उन लोगों ने 8 साथियों के साथ नक्सलियों का डटकर सामना किया और नक्सलियों के कमांडर को भी मार गिराया था। यह घटना 30 जून 2021 की थी। उन्होंने बताया कि नक्सलियों के होने की सूचना मिली थी कि झीरम घाटी के पास नक्सलियों की टोली आई हुई है। इसके एक सप्ताह पहले भी वहां घटना हो गई थी।
शिशुपाल सिंह ने बताया कि यह घटना उस समय की है जब वर्ष 2021 की जब दरभा घाटी में हम अपने कुछ साथियों के साथ नक्सलियों से भिड़ चुके थे बैकअप फोर्स आने में समय था पर उन्होंने आठ साथियों के साथ नक्सलियों का डटकर सामना करते रहे। उन्होंने बताया कि यह उस 12 साल के सेवा का परिणाम है जो मैंने नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में पूरी की थी। वहां पर करने को काफी कुछ होता है नक्सल मूवमेंट होते ही रहता है और हम जान में जोखिम में लेकर नौकरी करते हैं, ताकि हमारे क्षेत्रवासी सुरक्षित रह सके। बस्तर में ऐसा होते रहता है पर वहां काफी कुछ सीखने को मिलता है। जब हम बस्तर में नौकरी कर लेते हैं तो हमें सभी तरह का डर समाप्त हो जाता है। पुलिस की नौकरी में हमें हमेशा निडर रहने और आम जनता के साथ अपनेपन के भाव के साथ सेवा करने का गुर सिखाया जाता है।
उन्होंने बताया कि वीरता पुरस्कार के लिए उनका नामांकन हुआ है वह घटना 30 जून 2021 की है उन्हे सूचना मिली थी की झीरम घाटी के पास नक्सलियों की टोली आई हुई है इसके एक सप्ताह पहले ही वहां पर घटना हुई थी जिसमे 3 माओवादियों को मारा गया था, इसके बाद नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिल रही थी। जिस पर हमारे पास आठ लोगों की छोटी टुकड़ी थी, जिसे हम लेकर निकले हुए थे। बाद में फोर्स भेजी जा रही थी। पुलिस अधीक्षक के द्वारा जिस साहस से आठ लोगों की टीम ने माओवादियों का सामना किया और वहां पर सफलता हासिल की वह काबिले तारीफ थी। उसे समय आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया था और आज 3 साल बाद उन्हें राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है।