इच्छा मृत्यु की चीख: NHM कर्मचारियों का विद्रोह – 29वें दिन हस्ताक्षरों से सिस्टम को ललकारा…

रायगढ़, 15 सितंबर 2025। छत्तीसगढ़ में नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) कर्मचारियों की लड़ाई अब निर्णायक और भयावह मोड़ पर पहुँच गई है। अनिश्चितकालीन हड़ताल के 29वें दिन आज रायगढ़ जिले के 500 से अधिक NHM कर्मचारी इच्छा मृत्यु की अनुमति के लिए सामूहिक हस्ताक्षर अभियान में उतर आए। उनका कहना है कि “20 साल की सेवा का इनाम बेरोजगारी और अपमान है, तो जीने से बेहतर मरना है।”
यह कदम सिर्फ़ एक विरोध नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के खिलाफ़ इमरजेंसी अलार्म है।
18 अगस्त से जारी इस हड़ताल की धुरी चार मांगें हैं – नियमितीकरण, जॉब सिक्योरिटी, पब्लिक हेल्थ कैडर और ग्रेड पे।
लेकिन 20 साल की निरंतर सेवा के बावजूद न तो सरकार ने सुनवाई की और न ही कोई ठोस पहल की। उल्टे, कई कर्मचारियों को सेवा से बाहर कर दिया गया। सवाल उठ रहा है –
👉 क्या यही सरकार का “राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन” है, जहां कोरोना काल में जान की बाज़ी लगाने वाले स्वास्थ्य योद्धाओं को अब अपमान और बेरोजगारी का दंश दिया जा रहा है?

लगातार हड़ताल से रायगढ़ सहित पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।
- जननी सुरक्षा योजना ठप – गरीब प्रसूताओं को मिलने वाली ₹1400 की सहायता रुकी।
- टीबी मरीजों को मिलने वाली ₹1000 मासिक राशि अटकी।
- रोज़ाना जन्म लेने वाले 1500 से अधिक बच्चों में 60% डिलीवरी सरकारी अस्पतालों में होती है, अब वे बिना सेवा के भटक रहे हैं।
- आंगनबाड़ी व स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच ठप।
- राष्ट्रीय बाल हृदय योजना के तहत चिन्हित बच्चों का इलाज अटक गया।
- केंद्र सरकार को डेटा न भेजे जाने से योजनाओं की सम्मान राशि बंद।
साफ है – सिस्टम को लगता है कि सिर्फ़ कागजों में योजना लिख देने से जनता स्वस्थ हो जाएगी, कर्मचारियों की कोई जरूरत नहीं है।
आज शुरू हुआ यह अभियान एक पत्र नहीं, बल्कि सरकार की नाकामी पर तमाचा है।
👉 ये हस्ताक्षर उस मानसिक अवसाद, अपमान और असुरक्षा की चीख हैं, जो कर्मचारियों के सीने में दबी थी।
👉 जल्द ही प्रदेश के 33 जिलों से एकत्रित हस्ताक्षर लेकर “इच्छा मृत्यु रैली” निकाली जाएगी, जो सत्ता के गलियारों को हिला देगी।
सिस्टम के नाम यह खुला संदेश है – “हम सेवा के लिए जिए थे, अपमान के लिए मरना बेहतर है।”
NHM कर्मचारी एक स्वर में कह रहे हैं:
- आश्वासन नहीं, आदेश चाहिए!
- नियमितीकरण और जॉब सिक्योरिटी चाहिए!
- एनएचएम संविदा मुक्त प्रदेश चाहिए!
वरना यह इच्छा मृत्यु हस्ताक्षर अभियान पूरे प्रदेश में एक ऐसा जनआंदोलन खड़ा करेगा, जिसे अनदेखा करना सरकार के लिए असंभव होगा।
NHM कर्मचारियों का यह कदम अब सिर्फ़ वेतन या पदस्थापना का सवाल नहीं रहा। यह सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई है। छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं और कर्मचारी साफ कह रहे हैं –
👉 “हक के लिए लड़ेंगे, अपमान नहीं सहेंगे।”